Highlights
यह कुछ कुछ ‘फिल्म लाल सिंह ‘चड्डा’ में लाल सिंह की भूमिका की याद दिलाता है, फिल्म में लाल सिंह चड्डा भागते रहते हैं.
फिर चाहे बारिश हो, बर्फ हो या पहाड़, मूवी के अंत में वो फिर दौड़ना शुरु करते हैं उनकी ख्याति देखकर लोग भी लाल सिंह चड्डा का साथ देते हैं और उनके साथ दौड़ते हैं.
इस दौरान लाल सिंह चड्डा अचानक पीछे मुड जाते हैं तब उन्हें पता चलता है कि उनके पीछे कितने लोग दौड़ रहे हैं.
लाल सिंह पीछे मुड़कर वापिस घर की तरफ चलते हैं तब लोग उन्हें पूछते हैं तो लाल सिंह चड्डा कहते हैं कि वो थक गए हैं
राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से भारत जोड़ों यात्रा की शुरुआत की थी। जाहिर है इस यात्रा से राहुल गांधी और कांग्रेस की छवी सुधरी है।
इससे पहले विपक्ष और मीडिया में राहुल गांधी की छवि पप्पू वाली रही है.
लेकिन अब जैसा कि खुद राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि राहुल गांधी कहीं है ही नहीं, उन्होंने राहुल गाँधी को मार दिया है।
इससे साबित होता है कि राहुल लगातार भाग रहे हैं, अपने आप से या इस गाँधी परिवार की छवि से।
फिल्म लाल सिंह चड्डा में लाल की याद दिलाते राहुल गाँधी
यह कुछ कुछ ‘फिल्म लाल सिंह ‘चड्डा’ में लाल सिंह की भूमिका की याद दिलाता है, फिल्म में लाल सिंह चड्डा भागते रहते हैं.
फिर चाहे बारिश हो, बर्फ हो या पहाड़. उनकी ख्याति देखकर लोग भी लाल सिंह चड्डा का साथ देते हैं और उनके साथ दौड़ते हैं.
लाल सिंह दौड़ते हैं, उनकी बाल—दाढ़ी बढ़ते हैं, जिन्हें वो कटाते नहीं। राहुल गांधी का भी सेम पिंच है।
इस दौरान लाल सिंह चड्डा अचानक पीछे मुड जाते हैं तब उन्हें पता चलता है कि उनके पीछे कितने लोग दौड़ रहे हैं.
लाल सिंह पीछे मुड़कर वापिस घर की तरफ चलते हैं तब लोग उन्हें पूछते हैं तो लाल सिंह चड्डा कहते हैं कि वो थक गए हैं।
फिल्म लाल सिंह चड्डा की कहानी राहुल गाँधी की भारत जोड़ों यात्रा से इसलिए भी मेल खाती है जब राहुल गाँधी ने यात्रा शुरु की थी तो भारत के दक्षिण में कन्याकुमारी से की और इस दौरान उनके साथ उनके कार्यकर्ता और कुछ पार्टी के लोग थे.
तब राहुल गाँधी एकदम युवा दिख रहे थे, इस बीच उन्होंने तेज धूप, बारिश और अब सर्दी यानि मौसम की हर ऋतु से गुजरे हैं।
अब राहुल गाँधी एक टी-शर्ट में दाड़ी बढ़ा कर कदमताल कर रहे हैं, बिल्कुल लाल सिंह चड्डा की तरह।
लाल सिंह चड्ढा यात्रा के अंत में पगड़ी में आ जाते हैं और राहुल गांधी भी इन दिनों पगड़ी में है। अब कहीं ऐसा तो नहीं राहुल गाँधी भी अपने कदम पीछे कर लें, और कहें मैं अब थक गया हूं।
कांग्रेस पार्टी की वजूद की लड़ाई
दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने भारत के 75 साल लंबे लोकतांत्रिक राजनीतिक सफ़र में से दो तिहाई हिस्से में भारत का नेतृत्व किया है।
गांधी-नेहरू परिवार ने इस देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं, जिन्होंने लगभग 40 सालों तक भारत पर शासन किया है।
लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को विधानसभा चुनावों से लेकर आम चुनावों तक लगातार हार का सामना करना पड़ा है।
एक दौर में भारतीय राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी इस समय भारत के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ़ तीन राज्यों में सरकार चला रही है।
ये तीन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश हैं, जहाँ कांग्रेस को बहुमत हासिल है। वहीं, तमिलनाडु, बिहार और झारखंड में वह क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सत्ता में है।
इंडियाना यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर सुमित गांगुली ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि ये यात्रा राहुल गांधी की ओर से पार्टी की हालत सुधारने के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय छवि मज़बूत करने की दिशा में आख़िरी प्रयास है।
तमाम शोर-शराबे के बावजूद वह भारत को लेकर एक अलग और स्पष्ट विचार पेश करने में नाकाम रहे हैं। "