हौसले को सलाम करते हैं लोग: जन्म से कमर के नीचे का हिस्सा नहीं, डांस ऐसा दांतों तले अंगुली दबा लेते सब

जन्म से कमर के नीचे का हिस्सा नहीं, डांस ऐसा दांतों तले अंगुली दबा लेते सब
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सुमन एक बेहतरीन डांसर है और अपने इतनी परेशानियों के बावजूद अपने दम पर डांस के जरिए अपनी अलग पहचान कायम की हैं। सुमन अपने दोनों हाथों के दम पर इस कदर डांस करती है कि देखने वाले दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। 

ब्यावर | अगर हौसले बुलंद हो तो कोई भी शारीरिक अक्षमता हावी नहीं हो सकती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है 16 साल की एक बालिका ने जिसका नाम सुमन बानो है। 

ब्यावर के सुमेल गांव में सामान्य परिवार में जन्मी सुमन के कमर का हिस्सा नहीं हैं। 

सुमन बर के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में कक्षा 11वीं की छात्रा है। 

किसान सत्तू काठात की बेटी सुमन को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। उसकी शारीरिक बनावट से नहीं बल्कि उसकी काबिलियत से। 

सुमन एक बेहतरीन डांसर है और अपने इतनी परेशानियों के बावजूद अपने दम पर डांस के जरिए अपनी अलग पहचान कायम की हैं। 

सुमन अपने दोनों हाथों के दम पर इस कदर डांस करती है कि देखने वाले दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। 

पांच भाइयों की इकलौती बहन सुमन ने केजीबी स्तर पर विविध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अवार्ड भी हासिल किए हैं।

सुमन ने अपनी शारीरिक कमी को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। 

दोनों पैर नहीं होने के बावजूद भी सुमन हालात से मुकाबला कर इस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं कि उसे अब हर कोई जानने लगा है।  

सुमन तो दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी हैं। जिसने जीवन में कभी हार मानना नहीं सीखा। 

सुमन के अनुसार, बचपन में दूसरे बच्चों को डांस करते देख मैं मायूस हो जाती थी मेरा भी मन करता था कि मैं भी उनकी तरह डांस करूं।

जब किसी को यह बात बताती तो कभी कोई हंसता तो कोई सहानुभूति दिखाता। 

लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और डांस करना सीखा। सुमन की इच्छा आईएएस बनना हैं लेकिन उसे इस बात का दुख है कि सरकार की ओर से उसे कोई मदद नहीं मिलती।

सुमन ने डांस के लिए किसी तरह का प्रषिक्षण नहीं लिया है बल्कि टीवी और यू-ट्यूब पर वीडियो को देखकर ही अपनी डांस प्रतिभा को निखारा है। 

सुमन मारवाड़ी गीतों पर ऐसे जमकर डांस करती हैं कि उनके आगे अच्छे-अच्छे डांस भी फीके पड़ जाए। 

सुमन की मां सोहनी भी किस्मत को कोसने के बजाए अपनी बेटी के जज्बे को देखकर बेहद खुश हैं। 

सुमन ने सबसे पहले ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। 

इसके बाद जिला व संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में भी जीत के झंडे बुलंद किऐ। बूंदी में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी सुमन ने जोधपुर संभाग का प्रतिनिधित्व करते हुए हिस्सा लेकर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया।

जन्म से नहीं है कमर के नीचे का हिस्सा

सुमन बानो के परिवार के मुताबिक, जब सुमन का जन्म हुआ तो उसे पहली बार देखकर परिवार वालों के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई।

कपड़े में लिपटी मासूम सी बेटी को जब डॉक्टर ने मां की गोद में दिया तो उसे सहलाते हुए मां के हाथ जैसे ही कमर से नीचे पहुंचे वह सन्न रह गई।

मासूम बेटी के कमर से नीचे का हिस्सा ही नहीं था। डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि मेडिकल की दुनिया में डॉक्टर के पास भी इसका कोई इलाज नहीं है।

लेकिन अब सुमन 16 साल की हो चुकी है और उसने अपनी इसी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर दुनिया को चौंका दिया है। 

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