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किसानों की मांग है कि यदि जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ा जाए तो जलस्तर बढ़ सकता है। आपको बता दें कि जवाई-सुकड़ी नदी किनारे पावटा, आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा तहसील के 186 गांव बसे हुए हैं।
Jaipur | जालोर के लोगों की उम्मीदें हमेशा मानसून में जवाई पर जिंदा होती है। लोगों की सूख चुकी आंखें इंतजार करती है कि जवाई के गेट खुलेंगे, लेकिन खुलते तभी हैं। जब बाढ़ आती है।
आहोर के विधायक छगनसिंह ने सरकार ने पूछा कि यह सही है कि जवाई बांध निर्माण की प्रोजेक्ट रिपोर्ट में जालोर जिले के हक के लिए पानी नदी में छोड़ने के लिए निश्चित किया गया था?
यदि हां, तो क्या सरकार उक्त जिले के हक का पानी नदी में छोड़ने का विचार रखती है? यदि नहीं, तो क्यों? विवरण सदन की मेज पर रखें।
इस आतारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा है कि जवाई बांध निर्माण की प्रोजेक्ट रिपोर्ट में जालौर जिले के लिये जवाई बांध से नदी में पानी छोडने हेतु कोई प्रावधान नहीं किया गया था।
वर्तमान में जवाई बांध के स्थापित सिंचित क्षेत्र तथा पेयजल की मांग के कारण बांध के पूर्ण भराव से पूर्व जालोर जिले हेतु नदी में पानी छोडा जाना विचाराधीन नहीं है। यह मुद्दा पहले भी उठाया गया है कि जवाई बांध के गेट नियमित तौर पर एक व्यवस्था के तहत खोले जाए। परन्तु इस पर नियमित सुनवाई नहीं हो रही है।
लोग हमेशा करते हैं आन्दोलन
जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ने की मांग को लेकर किसान हमेशा ही आंदोलन करते रहे हैं। कई सालों से नदी में पानी नहीं आने से 186 गांवों को भूमि जलस्तर काफी गिर गया है।
किसानों की मांग है कि यदि जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ा जाए तो जलस्तर बढ़ सकता है। आपको बता दें कि जवाई-सुकड़ी नदी किनारे पावटा, आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा तहसील के 186 गांव बसे हुए हैं।
इन गांवों का क्षेत्रफल 3 लाख 233 हेक्टेयर है और कृषि योग्य क्षेत्र 2 लाख 70 हजार 585 हेक्टेयर है। नदियों के प्राकृतिक बहाव बंद होने से केवल 5 फीसदी क्षेत्र ही सिंचित हो रहा है, जबकि बाकी क्षेत्र बंजर हो चुका है।
इन क्षेत्रों में किसानों के कुल 16 हजार 327 कुएं और 168 ट्यूबवेल हैं। इसके अलावा पाली जिले की सुमेरपुर तहसील के 26, सिरोही जिले की शिवगंज तहसील के 20 गांव बसे हुए हैं। इन क्षेत्र की नदियों पर जवाई बांध के अलावा अन्य 16 छोटे बांध बने हुए हैं।
कई सालों से जवाई नदी में पानी नहीं छोड़ने से नदी किनारे कुएं सूख चुके हैं। आने वाले समय में पीने के पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो सकता है। ऐसी स्थिति में जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ना ही समस्या का समाधान है।
निर्माण को करीब साठ वर्ष बीत गए, लेकिन जवाई बांध जालोर के लोगों के लिए नासूर बन गया है।
सबसे बड़ी वजह है राजनैतिक स्तर की पैरवी की कमी। कि भारी बारिश होने पर जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की आशंका होती है तो ही गेट खोलकर नदी में पानी छोड़ा जाता है।
जालोर बाढ़ में डूब जाता है। करीब पंद्रह वर्षों से तो जवाई का पानी जोधपुर भी नहीं भेजा जा रहा। इसके बाद पाली के अन्य इलाकों को पानी दिया जा रहा है।
ऐसे बना था जवाई का तखमीना
जालोर की जीवन रेखा कही जाने वाली जवाई नदी का उद्गम उदयपुर के पास अरावली की शृंखलाओं से होता है।
उदयपुर से निकलकर जवाई नदी पाली, सिरोही, जालोर जिले में होते हुए सांचौर के पास रणखार तक चलती है।
जिससे इस नदी के आसपास के इलाकों का जलस्तर अच्छा रहता था, लेकिन 50 के दशक में जोधपुर के पूर्व महाराजा उम्मेदसिंह ने जोधपुर पाली जिले की पेयजल समस्या को दूर करने के लिए जवाई नदी के प्राकृतिक बहाव पर बांध बनाने के लिए पहाडिय़ोंं से घिरे इस स्थान का चयन किया।
वर्ष 1942 में जवाई बांध की नींव रखी गई और यह 1957 में बनकर तैयार हुआ।
इस निर्माण के बाद अरावली की शृंखलाओं से निकलने वाली जवाई नदी जवाई बांध के कैचमेंट एरिया में विलुप्त होने लग गई। ऐसे जालोर क्षेत्र की नदी सूखी रहने लगी।
अब अगर बांध ओवरफ्लो होने या फिर गेट खोलने पर ही जालोर क्षेत्र में नदी में पानी का बहाव होता। ऐसे में प्राकृतिक बहाव का जालोर के हिस्से का पानी रोक दिया गया, लेकिन जालोरवासियों को कुछ नहीं मिला। इन साठ वर्षों में सरकार भी नीति तय कर पाई है।
बांध के निर्माण के उद्देश्य...
जवाईबांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य जोधपुर पाली जिले को पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाना और जालोर जिले के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाना था, लेकिन जवाई बांध के भराव की स्थितियां दिन दिन बदलती रही।
जिस कारण कई बार बांध आधा अधूरा तो कई बार पूरा भर भी गया, लेकिन उसके बावजूद भी जालोर जिले के किसानों का हक नहीं मिला।
पाली जिले के गांवों में दिया जाता है सिंचाई का पानी
जवाई बांध पूरा भरने पर पाली जिले में पाली शहर समेत शहर कस्बों एवं जिले के 540 गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए पानी दिया जाता है।
इसके अलावा पाली जिले के जैतारण क्षेत्र के गांवों को भी जवाई बांध पेयजल योजना से जोड़ा गया है। इन गांवों में भी जवाई बांध से पेयजल आपूर्ति की जाती है।