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घटना की जानकारी देते हुए सांसद रंजीता कोली ने ट्वीट कर कहा कि, मैं हमारे कार्यकर्ताओं और सीआईएसएफ के मेरे भाइयों का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने पुलिस के हमले से मुझे बचाया वरना भरतपुर पुलिस का बस चलता तो मेरे वहीं प्राण निकाल देती....
भरतपुर | राजस्थान में पुलवामा वीरांगनाओं की मांगों का मामला बेहद गंभीर हो गया है।
जिसके चलते अब राज्य में इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले एक दूसरा माहौल दिखने लगा है।
वीरांगनाओं के मामले को लेकर विपक्षी पार्टियां अब राज्य की अशोक गहलोत सरकार को घेरने में जुट गई है।
वहीं दूसरी ओर, इस मामले को लेकर शुक्रवार को प्रदेश में बेहद ही हाई प्रोफाइल ड्रामा देखने को मिला जिसमें राज्य सरकार की बर्बरता सामने आई।
तड़के पुलिस ने धरना स्थल से वीरांगनाओं को उठा लिया और उनके गृह नगर में ले गई। जिसके बाद दिन भर ऐसा ड्रामा चला और कई नेता और समर्थक पुलिस से धक्का-मुक्की में चोटिल हो गए।
ऐसे में भरतपुर जिले सांसद रंजीता कोली भी पीछे नहीं रही और वीरांगना से मिलने के लिए अस्पताल पहुंच गई। इस दौरान उनकी भी पुलिस से धक्का-मुक्की हुई। जिसमें उन्हें भी चोटे आने की बात कही जा रही है।
मेरे वहीं प्राण निकाल देती पुलिस....
अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी देते हुए सांसद रंजीता कोली ने ट्वीट कर कहा कि, मैं हमारे कार्यकर्ताओं और सीआईएसएफ के मेरे भाइयों का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने पुलिस के हमले से मुझे बचाया वरना भरतपुर पुलिस का बस चलता तो मेरे वहीं प्राण निकाल देती।
भरतपुर के नगर कस्बा अस्पताल में भर्ती शहीद जीतराम गुर्जर की वीरांगना पत्नी से मिलने पहुंची सांसद रंजीता कोली को जब पुलिस ने रोका तो सांसद समेत उनके समर्थकों के साथ पुलिस की धक्का मुक्की हो गई।
जिसके बाद सांसद रंजीता के समर्थक अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए और नारेबाजी शुरू कर दी।
बता दें कि, शहीद की वीरांगना सुंदरी देवी, देवर विक्रम और बेटी सुमन को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया था साथ ही पूरे अस्पताल को छावनी बना दिया गया था। इसी दौरान शाम को सांसद रंजीता कोली वीरांगना से मिलने पहुंची थी।
वीरांगना बोली- अस्पताल नहीं बच्चे के पास जाना है...
अपने साथ हुई पुलिस बर्बता के बारे में बताते हुए सांसद ने कहा कि, वीरांगना सुंदरी की तबीयत एकदम सही है और उसका कहना है कि, वह अस्पताल नहीं बल्कि मुझे मेरे बच्चों के पास रहना चाहती है।
ऐसे में मैंने बाहर तैनात सिक्युरिटी से सुंदरी को बच्चों के पास छोड़ने की प्रार्थना की और सुंदरी को उसके घर ले जाना चाह तो, मेरे ऊपर हमला किया गया। जिससे मेरे हाथ में चोट आई है और मेरी चैन भी गिर गई है।
पूरे देश में वीरांगनाओं का सम्मान किया जाता है, ऐसे में किसी महिला को इस तरह से नहीं पकड़ा जा सकता है।
वीरांगना का हाथ पकड़कर खींचना कहा का कानून है। यह कौनसी किताब में लिखा है कि कोई कहीं भी इलाज नहीं करवा सकता। पहले तो राजस्थान में माहिलाओं के ऊपर अत्याचार होता था अब वीरांगनाओं के ऊपर भी अत्याचार हो रहा है।
वहीं दूसरी ओर राजधानी जयपुर में सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को भी पुलिस की आक्रमकता का शिकार होना पड़ा और चोटिल होने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
किरोडी लाल मीणा को भी पुलिस ने सामोद पुलिस थाने के बाहर बेरिकेट्स लगाकर रोक लिया, लेकिन किरोड़ी ऐसे ही रूकने वाले थोड़े ही हैं।
ऐसे में पुलिस और किरोड़ीलाल मीणा के बीच हाथपाई हो गई और किरोड़ी लाल मीणा के कपड़े फट गए, वे चोटिल हो गए। जिसके बाद उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया।