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वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2022 के ग्रुप ए और बी के सामान्य ज्ञान परीक्षा के पेपर दोबारा कराने के लिए नए पेपर छपवाने, परीक्षा केंद्र व स्टाफ की ड्यूटी, वीडियोग्राफी के अलावा अन्य कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे।
जयपुर । राजस्थान में पेपर लीक का मामला पूरे देश में छाया हुआ है।
प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और गहलोत सरकार के लिए ये पेपर लीक प्रकरण सिर दर्द बने जा रहा है।
चुनावों सभाओं में भी अब तो सबसे पहले विपक्षी दल पेपर लीक प्रकरण को ही सबसे पहले उठाते हैं।
फिर से पेपर छपवाने समेत अन्य कार्यों पर खर्च होंगे करोड़ों रुपए
एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2022 को 21 और 22 दिसंबर को आयोजित ग्रुप ए और बी के सामान्य ज्ञान परीक्षा को निरस्त तो कर दिया है।
लेकिन अब इन परीक्षाओं को फिर से आयोजित करने में करोड़ों रुपय का खर्चा आएगा।
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2022 के ग्रुप ए और बी के सामान्य ज्ञान परीक्षा के पेपर दोबारा कराने के लिए नए पेपर छपवाने, परीक्षा केंद्र व स्टाफ की ड्यूटी, वीडियोग्राफी के अलावा अन्य कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे।
इसी के साथ परीक्षा में सम्मिलित होने वाले अभ्यर्थियों को फिर से नये सिरे से तैयारी करनी होगी।
अभ्यर्थियों को फिर से तैयारी में जुटने के अलावा परीक्षा केंद्रों तक दौड़ लगानी पड़ेगी
40 अभ्यर्थियों पर फिर से गिरफ्तारी की तलवार
वहीं दूसरी ओर, वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा पेपर लीक मामले में उन 40 अभ्यर्थियों पर एक बार फिर से गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।
इन अभ्यर्थियों को उदयपुर पुलिस ने 24 दिसंबर को परीक्षा से पहले पेपर को बस में हल करते पकड़ा था।
लेकिन इन्हें निचली अदालत से जमानत दे दी थी। ऐसे में अब पुलिस ने अदालत के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की है।
अभी जोधपुर कोर्ट में यह मामला लंबित है। बता दें कि पुलिस ने इन अभ्यर्थियों को गिरफ्तार करने के साथ ही मुख्य आरोपी सुरेश ढाका के रिश्तेदार सुरेश साहू और पेपर हल कराने के लिए उनके साथ आए अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था।
इस दौरान बस में सुरेश के साथ ही अभ्यर्थियों को पेपर हल कराने के लिए दो आरोपी भजनलाल बिश्नोई और रायता राम चौधरी भी थे।
सांचौर निवासी भजनलाल एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है वहीं रायता राम सेकंड ग्रेड अध्यापक है।
कटारा का चौंकाने वाला खुलासा- चपरासी के फोन से बात करता था
पेपर लीक प्रकरण में एक और बात चौंकाने वाली है। पुलिस की गिरफ्त में आया आरपीएससी सदस्य बाबू लाल कटारा पकड़े जाने के डर से जब भी गिरोह से संपर्क करता तो अपने मोबाइल से बात नहीं करता था।
उसे जब भी गिरोह के सदस्य शेर सिंह मीणा से बात करनी होती थी तो वह ऑफिस के चपरासी का मोबाइल काम में लेता था।