राजस्थानी मांगे राजस्थान: राजस्थानी में एमए करने वालों को स्कॉलरशिप देंगे राजवीर सिंह चलकोई, भाषा के लिए अनूठा प्रयास

राजस्थानी में एमए करने वालों को स्कॉलरशिप देंगे राजवीर सिंह चलकोई, भाषा के लिए अनूठा प्रयास
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जयपुर | राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के मुद्दे पर संघर्षरत राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार और शिक्षाविद राजवीर सिंह चलकोई ने एक अनूठी पहल की है। इसके तहत, राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों में राजस्थानी भाषा में एमए की पढ़ाई करने वाले छात्रों की पूरी फीस वहन करेंगे। इस पहल के तहत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और सत्र 2024-25 के लिए राजस्थानी भाषा में एडमिशन लेने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाएगी।

इस स्कॉलरशिप का मुख्य उद्देश्य अकादमिक स्तर पर राजस्थानी भाषा का संरक्षण और संवर्धन करना है। राजवीर सिंह चलकोई, जो खुद कई आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैं, का कहना है कि यह स्कॉलरशिप सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में राजस्थानी भाषा के कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए लागू होगी। इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है जहां से छात्र स्कॉलरशिप का लाभ उठा सकते हैं।

मान्यता के फायदे
राजस्थानी को मान्यता मिलते ही स्कूलों में राजस्थानी को पढ़ाने के लिए विषय विशेषज्ञों की भर्ती होगी। वर्ष 2003 में विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किए गए संकल्प और लोकसभा में दिए गए प्राइवेट बिल के बावजूद, अब तक राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिली है। इस संबंध में राजस्थानी युवा समिति ने पूर्व में एक लाख पोस्टकार्ड भी भेजे थे।

अंतर्राष्ट्रीय मान्यता
राजस्थानी भाषा को अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में विशेष योग्यता में शामिल किया गया था। नेपाल में भी राजस्थानी को संवैधानिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। हनुमानगढ़ के नोहर निवासी हेमराज तातेड़ ने नेपाल संसद में राजस्थानी भाषा में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली थी। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के पाठ्यक्रम में भी आज राजस्थानी व्याकरण शामिल है।

संवैधानिक अधिकार
अनुच्छेद 345, 346, 347 के अनुसार, यदि किसी राज्य का पर्याप्त अनुपात चाहता है कि उसकी बोली जाने वाली भाषा राज्य द्वारा अभिज्ञात की जाए, तो राष्ट्रपति उस भाषा को अभिज्ञा दे सकता है। अनुच्छेद 350 के अनुसार, व्यक्ति को अपने मन की व्यथा के निवारण के लिए किसी भी भाषा में आवेदन करने का हक है।

अंग्रेजों की मान्यता
जार्ज ग्रिर्यर्सन ने भारतीय भाषाओं के सर्वेक्षण में राजस्थानी भाषा को महत्वपूर्ण बताया। अंग्रेजों ने 1909 में 'द इंडियन एंपायर' में राजस्थानी भाषा को आवश्यक बताया था। कर्नल जेम्स टॉड ने 'एनल्स एंड एंटीक्वीटीज ऑफ राजस्थान' में भी प्रदेश की भाषा राजस्थानी बताई थी।

अन्य भाषाओं का संवैधानिक दर्जा
37 सालों में 8 अन्य भाषाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से 14 प्रारंभ से हैं। 1967 में सिंधी, 1992 में कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली और 2004 में बोड़ो, डोगरी, मैथिली, संथाली को संवैधानिक भाषाओं का दर्जा दिया गया।

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की दिशा में यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भाषा का संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित होगा।

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