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मेघवाल समाज एक बड़ा वोट बैंक है, जिसका आठों विधानसभा पर एक प्रभाव है। खासकर के जालोर और रेवदर पर तो रिजर्व सीट होने के कारण अलग ही इफेक्ट है। रामलाल मेघवाल बीते लम्बे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और उनके पार्टी बदल लेने से बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। परन्तु अब कांग्रेस क्या करेगी, यह बड़ा सवाल है।
जालोर—सिरोही में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। मेघवाल समाज एक बड़ा वोटबैंक इस लोकसभा सीट पर है। ऐसे में रामलाल मेघवाल का बीजेपी में चले जाना अशोक गहलोत टीम के लिए चिंता का सबब है।
जवाहरलाल नेहरू के जमाने के नेता हैं रामलाल मेघवाल, आठ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार मनुहार नहीं होनेे से कांग्रेस नाराज है और उन्होंने उस वक्त में बीजेपी का दामन थाम लिया है, जब कांग्रेस में मारवाड़ के गांधी और राजनीति के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जालोर—सिरोही से चुनाव लड़ाया जा रहा है।
हालांकि रामलाल मेघवाल ने 2023 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उनके महज 41 सौ वोट ही आए। 2008 से 2013 तक मेघवाल जालोर के विधायक रह चुके हैं।
रामलाल मेघवाल ने थिंक से बात करते हुए अपने दिल के राज खोले और कहा कि उनकी नाराजगी पुखराज पाराशर से है। उन्होंने पाराशर पर जिले में कांग्रेस की राजनीति को खत्म करने का आरोप लगाया। रामलाल मेघवाल के बीजेपी ज्वाइन करने से क्या परिणाम बदलेंगे, इस पर बातचीत... प्रदीप बीदावत के साथ...।
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