पायलट ने कर रखी है गहलोत की नींद खराब: अब जेल में रहकर भी वाइस प्रिसिंपल से प्रिंसिपल बन गया ’पेपर लीक’ का आरोपी शेर सिंह

अब  जेल में रहकर भी वाइस प्रिसिंपल से प्रिंसिपल बन गया ’पेपर लीक’ का आरोपी शेर सिंह
Rajasthan Paper Leak Accused
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शिक्षा विभाग की ओर से यह आदेश 26 मई को जारी किया गया, लेकिन जब इस बात का पता चला कि उनसे ये सब गफलत में हो गया है तो तुरंत इस आदेश को रविवार के दिन ही कार्यालय खुलावाकर निरस्त किया गया। 

जयपुर | पूरे देश में राजस्थान को चर्चा में लाने वाला ’पेपर लीक’ मामले ने जहां गहलोत सरकार की नींद खराब कर रखी है।

वहीं दूसरी ओर, इस मामले का मुख्य आरोपी वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह जेल बंद होकर भी पदोन्नति पा रहा है।

जी हां, पेपर लीक सरगना शेरसिंह वाइस प्रिंसिपल से पदोन्नत होकर प्रिंसिपल बन गया। है ना चौंकाने वाली बात! 

इस पेपर लीक प्रकरण के चलते तो सीएम गहलोत की अपनी पार्टी के नेता सचिन पायलट ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और पेपर लीक होने के चलते छात्रों को मुआवजा दिलाने की मांग उठा रखी है। 

इसके बावजूद पेपर लीक मामले में बर्खास्त हो चुके और उदयपुर जेल में बंद अनिल मीण उर्फ शेर सिंह पदोन्नति पा रहा है।

द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में वाइस प्रिंसिपल पद से बर्खास्त शेर सिंह को शिक्षा विभाग ने पदोन्नत करते हुए प्रिंसिपल बना दिया। 

शिक्षा विभाग की ओर से यह आदेश 26 मई को जारी किया गया, लेकिन जब इस बात का पता चला कि उनसे ये सब गफलत में हो गया है तो तुरंत इस आदेश को रविवार के दिन ही कार्यालय खुलावाकर निरस्त किया गया। 

गौर करने वाली बात तो ये है कि सिरोही जिले के महात्मा गांधी राजकीय स्कूल भावरी का बर्खास्त वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा पेपर लीक प्रकरण में जेल में बंद है। 

पदोन्नति लिस्ट में 46वें नंबर पर आरोपी का नाम 

दरअसल, 26 मई को जारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक के हस्ताक्षरयुक्त पदोन्नति लिस्ट में 46वें नंबर पर पेपर लीक प्रकरण में आरोपी वाइस प्रिंसिपल अनिल कुमार मीणा उर्फ शेर सिंह का नाम भी शामिल था। 

आदेश के अनुसार, अनिल कुमार मीणा को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय भावरी से राजकीय बालिका उमावि धारासर बाड़मेर में प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति दी गई थी। 

इस संबंध में जब शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल को जानकारी मिली तो उन्होंने रविवार को अवकाश के दिन पदोन्नति का आदेश वापस ले लिया। 

मार्च में की गई थी डीपीसी 

दरअसल, ये विभागीय डीपीसी मार्च में की गई थी, जबकि अनिल कुमार मीणा को अप्रेल में बर्खास्त किया गया था। 

जिसके चलते इतनी बड़ी गफलत हो गई और शिक्षा विभाग का नाम मीडिया में छा गया। अब इस मामले में निदेशालय स्तर पर सोमवार यानि आज जांच की जाएगी।

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