जन संघर्ष यात्रा: 11 मई की तारीख कहती है कि सचिन पायलट इतिहास रचने के लिए रवाना हुए हैं

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25 साल बाद इसी तारीख पर इसी धरती पर एक और न्यू​क्लीयर टेस्ट हो रहा है। वह है राजनीति का न्यूक्लीयर धमाका है। इस धमाके ने बीते 25 साल से चल रहे सत्ता संघर्ष को तीसरे मोर्चे की आहट के रूप में चुनौती है। और तो और यह वही तारीख है, जिस दिन अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को ठिकाने लगाया ​था। 

Jaipur । आज का दिन 11 मई। यह एक महज तारीख नहीं है। ​एक दिन है, जिसके इतिहास में बड़ी से बड़ी सत्ताओं की चूलें हिला डालना दर्ज है। अब तक कांग्रेस ही के नेता सचिन पायलट वही कर रहे हैं। आगे वे किसके साथ होंगे। या हाथ बढ़ाकर उन सबको अपने साथ ले लेंगे जो  राजनीति में अकेले ही उस जगह खड़े हैं, जिन्हें कोई राह बुलावा नहीं दे रही।

इसी तारीख 11 मई 1857 को क्रान्तिकारियों ने दिल्ली कब्जा ली थी। अंग्रेज जिनके राज में कभी रक्त नहीं सूखता था उनकी चूलें हिल गईं। इसी तारीख को राजस्थान में एक इतिहास रचा, आज से 25 साल पहले जिसने पूरी दुनिया के नक्शे कदम पर भारत को परमाणु संपन्न बनाया।

पूरी दुनिया की सरकारों की बुनियाद ​ही हिलाकर रख दी। जी हां इसी तारीख को पहला परमाणु विस्फोट पोखरण की धरती पर हुआ। 

25 साल बाद इसी तारीख पर इसी धरती पर एक और न्यू​क्लीयर टेस्ट हो रहा है। वह है राजनीति का न्यूक्लीयर धमाका है। इस धमाके ने बीते 25 साल से चल रहे सत्ता संघर्ष को तीसरे मोर्चे की आहट के रूप में चुनौती है। और तो और यह वही तारीख है, जिस दिन अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को ठिकाने लगाया ​था। 

सचिन पायलट भरी दुपहरी में हजारों लोगों के बीच राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं चार दिन बाद का दावा है कि लाखों लोगों के साथ राजधानी में प्रवेश करेंगे। दावा है चूलें एक बार फिर से हिलाई जाएंगी, मौजूदा सरकार की। उस सरकार की जो जनता को भरी दुपहरी में महंगाई राहत के नाम पर हलकान किए हुए हैं और एक लोकतांत्रिक देश में याचक की मुद्रा में खड़ा किए हैं।

याद रखो दोस्तों यह वही महीना है, जिसमें आज से करीब 45 साल पहले जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रान्ति परवान चढ़ रही थी और इन्दिरा गांधी सरकार की बुनियाद हिलने लगी थी।

मार्च से जून के बीच हुई यह क्रान्ति सीधे तौर पर सिंहासन पर बैठे हुक्मरानों की बुनियाद खोखली कर गई थी। यहां पर संघर्ष सत्ता से है और कोशिश है कि चालीस डिग्री में एक राजनीतिक हलवाहा संघर्ष की धरती जोत रहा है और भ्रष्टाचार के खरपतवार को मिटाना चाह रहा है। 

आपको याद होगा कि यह वही मई का महीना है जिसमें करीब पन्द्रह साल पहले गुर्जर आरक्षण आन्दोलन परवान चढ़ा था। तत्कालीन  सरकार को विदा होना पड़ा था। मजदूर दिवस से शुरू होने वाला यह महीना किसानों के लिए भी संघर्ष का महीना है।

मानसून की आस में किसान खरपतवारों को हटाते हैं, क्या राजस्थान से भ्रष्टाचार की खरपतवार किस तरह हटाईजाएगी। यह सचिन पायलट और उनकी टीम के अगले कदम तय करेंगे।

सचिन पायलट का सड़क पर निकल आना अनायास ही नहीं है। 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन, 11 मई को तपती सड़क पर निकल पड़ना और 11 जून को  पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि। बहुत कुछ कहती हैं ये राजनीतिक तारीखें।

मुझे लगता है कि राजस्थान में राजनीति जल्द ही एक नई करवट लेगी। जल्द ही एक नया ऐलान होगा। यह ऐलान होगा सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

यह सब कैसे होगा, यह वक्त बताएगा, लेकिन कर्नल सचिन पायलट अपनी राह का मुकम्मल आगाज कर चुके हैं। इस आगाज में हर वर्ग, जाति, समूह और विचारधारा के लोग हैं।

उर्जा से भरे लोग चालीस डिग्री तापमान में कदम से कदम बढ़कर चल रहे हैं, ये कदम सत्ता तक पहुंचकर भ्रष्टाचार का खुलासा करेंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।

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