Sanchore: सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग पर चार दिन से धरना जारी

सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग पर चार दिन से धरना जारी
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Jalore | सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग ने पूरे क्षेत्र में आंदोलन की लहर फैला दी है। स्थानीय जनता, विशेष रूप से युवा और महिलाएं, इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है और क्या सांचौर अपने नए जिले के रूप में बने रहने में सफल हो पाता है। शनिवार को दिनभर सांचौर बंद रहा। यहां अनशन पर बैठे सुखराम विश्नोई ने स्वास्थ्य खराब होने पर प्रशासन के आग्रह पर अपनी भूख हड़ताल तोड़ दी।

जिला कलक्टर शक्ति सिंह राठौड़ ने उनका अनशन खत्म करवाया। मुम्बई में भी व्यवसाइयों ने ज्ञापन देकर आगामी विधानसभा चुनावों की नजर से अपनी राय पेश कर दी है। स्टील व्यवसाइयों ने तो सीधे तौर पर सांचौर से जिले का दर्जा हटाने पर चुनावों में परिणाम विपरीत की चेतावनी दी है। अब देखना है कि भजनलाल सरकार क्या निर्णय लेती है।
पिछले साल अगस्त में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में 19 नए जिलों की घोषणा की थी, जिनमें सांचौर भी शामिल था। इस ऐलान के बाद सांचौर के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन विधानसभा चुनावों में गहलोत सरकार को हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई। भाजपा सरकार ने सभी नए जिलों की समीक्षा के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया। अब चर्चा है कि छोटे नए जिलों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। 

इस आशंका के चलते सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग को लेकर स्थानीय लोग विरोध-प्रदर्शन और धरना दे रहे हैं। धरना-प्रदर्शन पिछले चार दिनों से चल रहा है और शनिवार को इसका चौथा दिन था। सांचौर के संघर्ष समिति के आह्वान पर पूरे शहर में व्यापारिक गतिविधियां ठप हैं। जिला मुख्यालय पर स्थित कलेक्ट्रेट के बाहर हजारों की संख्या में लोग धरने पर बैठे हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हैं।

76 वर्षीय पूर्व राज्यमंत्री का अनशन समाप्त

धरने के प्रमुख नेताओं में से एक, 76 वर्षीय पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई ने पिछले चार दिनों से अनशन कर रखा था। शनिवार को उनकी स्वास्थ्य जांच में "कीटोन प्लस 3" पाया गया, जो उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाता है। धरना स्थल पर मौजूद अन्य नेताओं और जनता ने उनसे अपील की कि वे स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अनशन समाप्त कर दें, लेकिन धरना जारी रखें। इसके बाद दोपहर 3 बजे, जिला कलेक्टर शक्ति सिंह ने उन्हें जूस पिलाकर अनशन समाप्त करवाया।

प्रदर्शन की तीव्रता, स्कूल-कॉलेज और बाजार बंद

धरने के कारण सांचौर और आसपास के कस्बों में व्यापक बंद का असर देखने को मिल रहा है। शहर के मुख्य बाजारों से लेकर छोटे कस्बों तक सभी व्यावसायिक गतिविधियां बंद हैं। निजी स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा कर दी है, जबकि सरकारी स्कूलों के छात्र अपने स्कूलों के बाहर ताले लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र सड़कों पर उतरकर रैली निकाल रहे हैं और सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग कर रहे हैं।

सांचौर के ग्राम पंचायत चितलवाना में भी महिलाएं और पुरुषों ने बैनर और कृषि उपकरणों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। इसी बीच, कुछ स्थानों पर युवाओं ने रोडवेज बसों के सामने लेटकर विरोध जताया।

प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था

धरना-प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए दो कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं। एक धरना स्थल की निगरानी कर रहा है, जबकि दूसरा नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक जाम की आशंका को देखते हुए तैनात किया गया है। प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरतते हुए किसी भी अप्रिय घटना को टालने की कोशिश की है।

सांचौर: एक नजर में

सांचौर, गुजरात सीमा से सटा हुआ एक प्रमुख क्षेत्र है, जो अब धीरे-धीरे विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। नर्मदा नहर आने के बाद इस क्षेत्र में हरियाली फैली है और कृषि में भारी उन्नति हुई है। इसके अलावा, सांचौर को विश्व की सबसे बड़ी गोशाला के लिए भी जाना जाता है। यहां स्थित पथमेड़ा गांव में "गोधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा" है, जो गोसेवा के क्षेत्र में विश्वभर में एक प्रेरणा बना हुआ है।

नर्मदा नहर: सांचौर की जीवन रेखा

1993 में शुरू हुआ नर्मदा नहर प्रोजेक्ट 2008 में वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी के द्वारा उद्घाटन किया गया था, जिसके बाद सांचौर की कृषि और जल आपूर्ति में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। नर्मदा नहर सांचौर के लिए जीवन रेखा के समान मानी जाती है, जिससे इस क्षेत्र के विकास को बल मिला है।

सुखा बंदरगाह: भविष्य की संभावनाएं

सांचौर में सुखा बंदरगाह बनाने की भी चर्चाएं काफी समय से चल रही हैं। यदि भविष्य में यह परियोजना सफल होती है, तो यह सांचौर की भारत में एक नई पहचान बना सकता है। मुंद्रा पोर्ट से आने वाला सामान इस बंदरगाह पर उतरेगा, जिससे परिवहन लागत में भी कमी आएगी।

उद्योग और कनेक्टिविटी में सुधार

सांचौर की भौगोलिक स्थिति और बेहतर कनेक्टिविटी ने यहां के उद्योगों को बढ़ावा दिया है। अहमदाबाद-सांचौर सिक्स लेन रोड बनने से यहां स्टील उद्योग और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

लूणी नदी और धार्मिक स्थल

लूणी नदी का बहाव क्षेत्र भी सांचौर जिले में आता है, जो इस क्षेत्र की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, सांचौर में कई धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें प्रमुख रूप से गोगाजी की ओरडी और गोलासन हनुमानजी का प्राचीन मंदिर शामिल हैं। ये स्थल स्थानीय आस्था और धार्मिक पर्यटन का केंद्र हैं।

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