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दुष्यंत का चरित्र पटकथा की कमी के चलते ठीक से विकसित ही नहीं हो पाया है। दोनों मुख्य किरदारों की हिंदी डबिंग भी बहुत प्रभावी नहीं है। फिल्म का हिंदी भाषी क्षेत्रों से संबंध स्थापित करने के लिए हिंदी सिनेमा के कुछ चर्चित कलाकारों को भी फिल्म में लिया गया है लेकिन, प्रकाश राज को छोड़ इनमें से कोई भी असर नहीं छोड़ पाता है।
महाकवि कालीदास रचित महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तलम पर आधारित फिल्म शाकुंतलम है। जिसमें महाभारत कालीन महान राजवंश हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और युवती शकुंतला की प्रेम कहानी है।
दोनों को कण्व ऋषि के आश्रम में प्रेम होता है और दोनों गंधर्व विवाह कर लेते हैं। और शकुंतला गर्भवती हो जाती है।
Jaipur। Shaakuntalam Movie Review
14 अप्रैल अंबेडकर जयंती पर रिलीज हुई साउथ की फिल्म शाकुंतलम ने पहले ही दिन अच्छी कमाई की है। फिल्म में फेमस साउथ हीरो अल्लु अर्जुन की बेटी अरहा भी हैं। इसके अलावा सामंथा प्रभु फिल्म के लीड रोल में हैं।
उनकी एक्टिंग की दर्शक काफी तारीफ कर रहे हैं। सामंथा ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिल जीत लिए। यह फिल्म तमिल के साथ-साथ 4 अन्य भाषाओं में रिलीज हुई है।
सोशल मीडिया पर फिल्म शाकुंतलम को मिल रहा है अच्छा रिस्पांस
गुनाशेखर के निर्देशन में बनी 'शाकुंतलम' में सामंथा रुथ प्रभु शकुंतला के रोल में हैं, जबकि मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार देव मोहन राजा दुष्यंत के रोल में। इसके अलावा अल्लू अर्जुन की बेटी अरहा का भी अभिनय देखने को मिलेगा। बतौर बाल कलाकार यह उनकी पहली फिल्म है।
महाकवि कालीदास रचित महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तलम पर आधारित है फिल्म
महाकवि कालीदास रचित महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तलम पर आधारित फिल्म शाकुंतलम है। जिसमें महाभारत कालीन महान राजवंश हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और युवती शकुंतला की प्रेम कहानी है।
दोनों को कण्व ऋषि के आश्रम में प्रेम होता है और दोनों गंधर्व विवाह कर लेते हैं। और शकुंतला गर्भवती हो जाती है।
अंतरंग क्षणों के अतिरेक में दिया हुआ अपना वचन दुष्यंत भूल जाते हैं। शकुंतला को पहचानने से दुष्यंत मना कर देते हैं। दोनों के बीच का वचन यही है कि उनकी संतान ही हस्तिनापुर के सिंहासन पर बैठेगी। और, ये संतान हैं भरत, जिनके नाम पर भारत देश का नाम पड़ा।
अल्लू अरहा का शानदार अभिनय
दुष्यंत का चरित्र पटकथा की कमी के चलते ठीक से विकसित ही नहीं हो पाया है। दोनों मुख्य किरदारों की हिंदी डबिंग भी बहुत प्रभावी नहीं है। फिल्म का हिंदी भाषी क्षेत्रों से संबंध स्थापित करने के लिए हिंदी सिनेमा के कुछ चर्चित कलाकारों को भी फिल्म में लिया गया है लेकिन, प्रकाश राज को छोड़ इनमें से कोई भी असर नहीं छोड़ पाता है।
हां, भरत का चरित्र निभा रहीं अभिनेता अल्लू अर्जुन की बेटी अल्लू अरहा का अभिनय कमाल है। उनका बाल सुलभ भोलापन और चेहरे पर एक नैसर्गिक तेज उनके चरित्र को शक्ति प्रदान करता है। फिल्म के क्लाइमेक्स में अल्लू अरहा ने जो काम किया है, वह दर्शकों का दिल जीत लेता है।
फिल्म की कमियां
तकनीकी तौर पर यह एक अच्छी फिल्म कही जा सकती है, लेकिन हिंदी में डब करते समय फिल्मों में संगीत देते रहे मणि शर्मा यहां फिल्म के भाव और इसके कथ्य में संगीत की महत्ता समझने में पूरी तरह विफल रहे हैं। फिल्म की एडिटिंग भी स्टूडियो में हरे नीले पर्दे लगाकर इतिश्री कर दी गई है।
अगर फिल्म को पौराणिक स्वरूप देने में विफल रहे हैं डायरेक्टर। हम तो यही कहेंगे की निर्देशक को कहानी तो पता थी लेकिन वह मसालों का संतुलित प्रयोग करना भूल गए।