Highlights
- शेखावाटी में जाट विधायक फिलहाल 8 हैं। 2013 में जाट विधायकों की संख्या 10 थी और 2008 में शेखावाटी में 7 जाट विधायक थे।
- राजपूत विधायक फिलहाल तीन हैं और 2008 व 2013 में भी इनकी संख्या तीन ही थी।
- ब्राह्मण विधायक फिलहाल 5 हैं और 2013 में भी पांच ही ब्राह्मण एमएलए थे। परन्तु 2008 में ब्राह्मण विधायकों की संख्या 3 थी।
- शेखावाटी में मुस्लिम विधायक 1 हैं 2013 में शून्य और 2 मुस्लिम विधायक थे 2008 में
जयपुर | पीएम मोदी की शेखावाटी में हुंकार का क्या असर पड़ेगा, यह इस विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह तो तय है कि राजस्थान की सरकार बनाने के लिए शेखावाटी की सीटें बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सत्ता की हवाएं शेखावाटी से होकर गुजरती है। बीते तीन चुनाव जो परिसीमन के बाद हुए हैं। उसमें साफ है कि यह इलाका जो हरियाणा और दिल्ली एनसीआर के साथ—साथ राजस्थान की राजधानी तक छूता है। अपनी 23 विधानसभा सीटों में इतना सामान रखता है कि सत्ता की चाबी सौंपना तय करता है।
शेखावाटी में एक ओर राजेन्द्र गुढ़ा लाल डायरी के बहाने गरज रहे हैं। वहीं मोदी भी उसका उल्लेख कर गए हैं। इससे साफ है कि इस बार भी शेखावाटी में सत्ता का संग्राम कम नहीं रहने वाला है।
करीब साठ लाख वोटर्स
शेखावाटी जहां 23 सीटें और 57 सौ 42 बूथ हैं। 31 लाख 20 हजार पुरुष और 28 लाख 37 हजार महिलाओं समेत करीब साठ लाख वोटर्स हैं। यहां की कुल 22 सीटों में से पिलानी, धोद और सुजानगढ़ एससी के लिए रिजर्व है। तीनों ही एससी सीटें कांग्रेस के पास हैं। इनमें चुरू की छह, झुंझुनूं की आठ और सीकर की सात—सात तथा जयपुर जिले की दो सीटों पर इस अंचल का सीधे तौर पर प्रभाव पड़ता है।
फिलहाल इनमें से बीजेपी के पास महज चार सीट हैं। चुरू, सूरजगढ़, रतनगढ़ और चौमूं। एक सीट खंडेला पर महादेव सिंह निर्दलीय जीते, लेकिन वे भी कांग्रेस ही के खेमे में है।
राजेन्द्र गुढ़ा आजकल बागी हैं
साथ ही उदयपुरवाटी से बसपा के टिकट पर जीतकर कांग्रेस में जाने वाले राजेन्द्र गुढ़ा जो आजकल बागी हैं। वे भी यहीं से जीते हैं। हालांकि 2018 के चुनाव में मंडावा सीट से नरेन्द्र कुमार बीजेपी के टिकट पर जीते थे, लेकिन सांसद बन जाने के कारण उनका इस्तीफा हुआ और यह सीट कांग्रेस की रीटा चौधरी उप चुनाव में जीत गईं। हालांकि उप चुनाव यहां की सरदारशहर और सुजानगढ़ सीट पर भी हुआ, लेकिन वहां भी कांग्रेस जीती।
सीकर जिले में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुला। तभी यहां की लक्ष्मणगढ़ सीट से तीसरी बार लगातार जीते गोविंद सिंह डोटासरा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए और अब मुख्यमंत्री की रेस में है। यहां तीन सीट धोद, सुजानगढ़ और पिलानी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं और तीनों ही कांग्रेस के पास हैं।
शेखावाटी अंचल की विधानसभा सीटें ये हैं
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झुंझुनूं जिला : सूरजगढ़, पिलानी, खेतड़ी, नवलगढ़, मंडावा, झुंझुनू, उदयपुरवाटी
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सीकर जिला :फ़तेहपुर, श्रीमाधोपुर, लछमनगढ़, धोद,नीम का थाना, सीकर, दांतारामगढ़, खंडेला
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चुरू जिला : चूरू, तारानगर, सुजानगढ़, रतनगढ़, सरदारशहर, सादुलपुर
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जयपुर जिला : कोटपूतली, चौमूं
2013 विधानसभा चुनाव में शेखावाटी क्षेत्र का परिणाम
2013 में गणित उल्टा था। कांग्रेस के पास सिर्फ पांच सीटें झुंझुनूं, लक्ष्मणगढ़, कोटपूतली, सरदारशहर और दांतारामगढ़ थी। बीजेपी 13 सीटों पर काबिज हुई। यह शेखावाटी में सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक था भाजपा का। यहां से डॉक्टर राजकुमार शर्मा नवलगढ़, मंडावा से नरेन्द्र कुमार और फतेहपुर से नंदकिशोर महरिया निर्दलीय जीत गए। वहीं खेतड़ी और सादुलपुर सीट बसपा के हिस्से आई।
2008 विधानसभा चुनाव में शेखावाटी क्षेत्र का परिणाम
2008 में बीजेपी सिर्फ छह सीट जीत पाई। पिलानी, तारानगर, खंडेला, रतनगढ़, सरदारशहर और सादुलपुर। इस चुनाव में झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ और उदयपुरवाटी की सीट बसपा के खाते में चली गई। दो सीट माकपा के हिस्से दांतारामगढ़ और धोद आई। जबकि लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी कोटपूतली की सीट ले गई। यहां बीजेपी 2008 में चुनाव नहीं लड़ी थी। बाकी 12 सीटें कांग्रेस के कब्जे में चली गईं।
शेखावाटी की 23 सीटों पर 2018, 2013 व 2008 में जातीय समीकरण
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जाट विधायक फिलहाल 8 हैं। 2013 में जाट विधायकों की संख्या 10 थी और 2008 में शेखावाटी में 7 जाट विधायक थे।
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राजपूत विधायक फिलहाल तीन हैं और 2008 व 2013 में भी इनकी संख्या तीन ही थी।
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ब्राह्मण विधायक फिलहाल 5 हैं और 2013 में भी पांच ही ब्राह्मण एमएलए थे। परन्तु 2008 में ब्राह्मण विधायकों की संख्या 3 थी।
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मुस्लिम विधायक 1 हैं 2013 में शून्य और 2 मुस्लिम विधायक थे 2008 में
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यादव विधायक बीते दो चुनाव में एक—एक विधायक यादव जीता है। जबकि 2008 में शेखावाटी में यादव विधायकों की संख्या शून्य थी।
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वैश्य विधायकों की संख्या शेखावाटी में 1 है। 2013 में भी एक भी वैश्य विधायक नहीं था। दो वैश्य 2008 में जीते थे।
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दलित विधायकों की संख्या औसतन तीन रही है। यहां तीन ही सीटें दलितों के लिए आरक्षित है।
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गुर्जर विधायक : 2018 में एक विधायक गुर्जर समाज से हैं और 2013 में कोई गुर्जर शेखावाटी से चुनाव नहीं जीता। हालांकि 2008 में दो गुर्जर विधायक हुआ करते थे।
क्या होगा दिसम्बर 2023 में
वैसे यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर करीब डेढ़ प्रतिशत का पिछले चुनाव में रहा है। ऐसे में बीजेपी अब पूरी शिद्दत से जुटी है कि इस इलाके को कैसे कब्जाया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीकर में अपने पब्लिक स्पीच में सीधे तौर पर पहली बार चुनावी मुद्दों का जिक्र करके बिगुल फूंक दिया है। इन मुद्दों में प्रदेश की कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षाा, दलित अत्याचार, भ्रष्टाचार और असुरक्षित होते राजस्थान का जिक्र स्पष्ट रूप से रहा है। वहीं देखना है कि सीएम की रेस में आगे आए गोविंद सिंह डोटासरा और राजेन्द्र राठौड़ का इन सीटों पर सफलता का औसत क्या रहता है।