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पसवीना और अनाहिता को ऊपरवाले ने खूबसूरती के साथ—साथ तेज दिमाग भी दिया। साथ ही बख्शा आगे बढ़ने का जुनून। वह भी ऐसे मुल्क में जहां औरतें सिर्फ पर्दे में रहती हैं। इन्होंने अपने माता—पिता की सहमति और मुल्क की इजाजत से भारत आकर आयुर्वेद सीखने के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त की है।
पसवीना और अनाहिता ने अफगानिस्तान में स्कूली पढ़ाई की और आयुर्वेद को अपना कॅरियर बनाने की ठानी। आगे बढ़ी और भारत आ गईं, दोनों आयुर्वेद पढ़ रही हैं। परन्तु यह निर्णय अब उन्हें अपने घर लौटने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। मुल्क का निजाम बदल चुका है।
वहां तालिबान है जो बेटियों के पढ़ने के खिलाफ है। आयुर्वेद से तौबा है! ऐसे में इन बेटियों के दिल पर क्या गुजर रही है इनके अलावा कोई नहीं जानता।
पसवीना और अनाहिता को ऊपरवाले ने खूबसूरती के साथ—साथ तेज दिमाग भी दिया। साथ ही बख्शा आगे बढ़ने का जुनून।
वह भी ऐसे मुल्क में जहां औरतें सिर्फ पर्दे में रहती हैं। इन्होंने अपने माता—पिता की सहमति और मुल्क की इजाजत से भारत आकर आयुर्वेद सीखने के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त की है। अब ये अपने घर कब लौट पाएंगी? मां—बाप से कब मुलाकात होंगी?
क्या डिग्री प्राप्त करने के बाद वे वहां जाकर अपने हमवतनों की सेवा कर पाएंगी? ऐसे कई सवाल है जो मैं जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान से लेकर लौटी हूं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं।
अपने वीडियो जर्नलिस्ट साथी गणेश यादव के साथ जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान पहुंची तो यहां कई विदेशी छात्र नजर आए। सबकी अलग—अलग कहानियां हैं, अलग—अलग परीस्थितियां और अलग ही विचार।
परन्तु पसवीना और अनाहिता से मिलकर यह जाना कि इस दुनिया में एक वह भी एक दुनिया है जो कट्टर विचारों के कारण नारी को ऐसी चारदीवारी देती है, जिसके पीछे सिर्फ अंधेरा ही है।
जयपुर में यह राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान सन 1976 से चल रहा है और 13 नवंबर 2020 को मोदी सरकार ने इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया है। इस आयुर्वेदिक विश्विद्यालय द्वारा पारम्परिक और आधुनिक आयुर्वेद के विभिन्न कोर्स चलाए जाते हैं।
आपको बता दें, वर्तमान में जयपुर के इस राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान में 16 देशों के करीब 150 छात्र आर्युर्वेद की पढ़ाई कर रहे हैं।
पसवीना और अनाहिता दोनों ही बीते 2 साल से जयपुर में हैं और अब अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत होने की वजह से जा नहीं सकती। वजह है तालिबान लड़कियों को पढ़ने की इजाजत नहीं देता।
ये दोनों अफगान लड़कियां खुशमिजाज हैं और बड़े ही उत्साह से इन्होंने हमारे हर सवाल का जवाब दिया। पसवीना और अनाहिता बड़ी ही उम्मीद से कहती हैं कि जैसे ही अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक खत्म होगा, तब वो अपने देश जाएंगी।
जब मैंने पूछा क्या आप दोनों इंडिया में नहीं रहना चाहती, तो पसवीना ने कहा ये भी एक अच्छा विकल्प है यहां के लोग अच्छे हैं हम कहीं भी आ जा सकते हैं।
घूम सकते हैं जो मन करे खा सकते हैं। यहां बहुत सारे फेस्टिवल्स होते हैं, जिनमें हम हमेशा हिस्सा लेते हैं, हमें यहां रहना अच्छा लगता हैलेकिन फिर मायूस हो जाती हैं ये कहकर कि उन्हें अपने माता-पिता से मिले करीब 2 वर्ष हो गए हैं। अफगानिस्तान जाना खतरे से खाली नहीं है।
ईरान की पहली आयुर्वेदिक डॉक्टर फातिमा
यहां हमारी मुलाकात ईरान की पहली आयुर्वेदिक डॉक्टर फातिमा से हुई। फातिमा ने आयुर्वेद की पढ़ाई जयपुर के राष्ट्रिय आयुर्वेदिक संस्थान से की है और फिलहाल यहां प्रैक्टिस कर रही हैं। इन्होंने आयुर्वेद में पीएचडी भी किया हुआ है।
फातिमा का कहना है कि वह अपने देश जाकर लोगों की मदद करना चाहती हैं। उनका कहना है आयुर्वेद एक जीवन जीने की कला है। स्वस्थ्य शरीर को कैसे बीमार होने से बचाया जाए यह हमें आयुर्वेद सिखाता है।
कैरेबियाई देश वेस्ट इंडीज के अविनीश नरीन जयपुर में ले रहे आयुर्वेद की शिक्षा
इसके बाद कैरेबियाई देश वेस्ट इंडीज से आने वाले अविनीश नरीन से हमने बात की। वह पिछले पांच साल से जयपुर में रहकर आयुर्वेद की पढ़ाई कर रहे हैं।
अविनीश का कहना है कि कैरेबियन देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी नहीं हैं इसलिए वह आयुर्वेद के माध्यम से अपने देश जा कर लोगों की मदद करना चाहते हैं।
उनका कहना है अब लोग आयुर्वेद को बहुत मानने लगे हैं। यह एक जीवन जीने की कला है। इसके जरिए बहुत सस्ते में इलाज हो जाता है।
आपको बता दें, वर्तमान में जयपुर के इस राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान में 16 देशों के करीब 150 छात्र आर्युर्वेद की पढ़ाई कर रहे हैं।