राजस्थान में विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों में थोड़ा ही वक्त बाकी है ऐसे में हर राजनीतिक दल सियासी समीकरण साधने के लिए अपनी-अपनी एक्सरसाइज करने में लगा है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों पूरे आत्मविश्वास से लबरेज दिख रहे है. और दावा कर रहे है कि राजस्थान में एक बार फिर से कांग्रेस की सरकार रिपीट करेगी.
वहीं भाजपा के नए नवेले प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी जनाक्रोश रैली के जरिए भाजपा कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे है और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.
लेकिन भाजपा के सबसे बड़ी सिरदर्दी अभी भी भरतपुर संभाग सहित पूर्वी राजस्थान का इलाका बनाना हुआ है. जहां हर बार भाजपा को मुंह की खानी पड़ती है. और उसी क्षेत्र में अभी तक ना तो भाजपा चीफ सीपी जोशी जनाक्रोश रैली के जरिए गए है और ना ही भाजपा का वहां कोई बड़ा कैम्पैन फिलहाल दिखाई दे रहा है.
अगर राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनावों की बात करे तो पूर्वी राजस्थान का ही वह इलाका था जिसने कांग्रेस को सत्ता के नजदीक पहुंचाया था. और भाजपा का उस पूरे क्षेत्र में सूपड़ा साफ़ हो गया था.
गुर्जर-मीणा बाहुल्य इस क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू भी इस क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर पाता. पिछले विधानसभा चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी की इस क्षेत्र में बड़ी रैलियां हुई थी लेकिन जब रिजल्ट आया तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को मुंह की खानी पड़ी.
हालही में गृहमंत्री अमित शाह ने भरतपुर में एक बूथ अध्यक्ष कार्यकर्त्ता सम्मलेन को सम्बोधित किया है और उसके बाद ऐसी खबर है कि भाजपा भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा और सवाई-माधोपुर जिलों के लिए एक अलग प्लान पर काम कर रही जिसकी कमान अब गृह मंत्री अमित शाह ने खुद संभाली है.
इन चुनावों में ERCP बड़ा मुद्दा
ERCP के मुद्दे पर लगातार भाजपा और कांग्रेस लगातार आमने सामने है. कांग्रेस भाजपा और भाजपा कांग्रेस पर इस मुद्दे पर एक दूसरे को घेरती रही है. लेकिन इससे इतर पूर्वी राजस्थान के जिले ERCP पर लगातार आंदोलनरत है और आने वाले चुनावों को यह मुद्दा बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकता है.
कांग्रेस इस कोशिश में लगी है कि कैसे भी ERCP के मुद्दे को पूरी तरह से भाजपा पर ट्रांसफर कर दिया जाए. हालही में कांग्रेस विधायकों के फीडबैक कार्यक्रम में इन जिलो के विधायकों से ERCP को लेकर भी फीडबैक फॉर्म में डिटेल भरवाई गई थी.
जिसके बाद स्पष्ट है कि कांग्रेस ERCP को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है जो पूर्वी राजस्थान के समीकरणों को बड़े स्तर पर प्रभावित करेगा.
पायलट बिना यहाँ कैसे लैंड होगा कांग्रेस का जहाज
सीएम अशोक गहलोत हालाँकि बड़े ही आत्मविश्वास के साथ सरकार रिपीट का दावा कर रहे है लेकिन सचिन पायलट से उनकी बढ़ती अदावत और पार्टी में लगातार पायलट की अनदेखी भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
कांग्रेस इस क्षेत्र में कैसे परफॉर्म कर पाती है यह इस बात पर बहुत ज्यादा निर्भर करेगा कि सचिन पायलट की चुनावों में क्या भूमिका रहने वाली है. अगर सचिन पायलट बीते चुनाव की तरह कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करते है तो एक बड़ा वोटबैंक कांग्रेस से छिटक सकता है.
क्योंकि इस क्षेत्र में सचिन पायलट सबसे ज्यादा मजबूत नेता हैं और यहां के गुर्जर मतदाताओं पर उनका बड़ा प्रभाव है.
भाजपा के पास नहीं है कोई बड़ा क्षत्रप
अगर इस क्षेत्र में भाजपा के समीकरणों की बात की जाए तो भाजपा के पास फिलहाल कोई ऐसा बड़ा क्षत्रप नहीं है जो बड़े वोटबैंक को ट्रांसफर कर सके. डॉ किरोड़ीलाल मीणा का घटता प्रभाव भी भाजपा के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है साथ ही अमित शाह के बूथ अध्यक्ष कार्यकर्त्ता सम्मलेन में किरोड़ीलाल मीणा का नहीं पहुँचना भी बड़ी चर्चा का विषय है कि आने वाले चुनावों में इस क्षेत्र के लिए डॉ मीणा को क्या भूमिका दी जाएगी.