Highlights
राजनीतिक गलियारों में चल रही हवाओं की माने तो कई लोग भाजपा में हुई इस उठापटक को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से भी जोड़ रहे हैं, क्योंकि राजे ’राजसत्ता’ सुख दिलाने वाली माता ’पीताम्बरा’ के दरबार में ढोक लगाने मध्य प्रदेश के पावन धाम दतिया में पहुंची थी।
जयपुर | राजस्थान में इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले गुरूवार को अचानक से सियासी फिजा बदल गई।
राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को उनके पद से हटाकर चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
अचानक से हुआ ये फेरबदल हर किसी के लिए चर्चा का विषय बन गया है।
इस उठापटक के साथ ही राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।
राजनीतिक गलियारों में चल रही हवाओं की माने तो कई लोग भाजपा में हुई इस उठापटक को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से भी जोड़ रहे हैं, क्योंकि राजे ’राजसत्ता’ सुख दिलाने वाली माता ’पीताम्बरा’ के दरबार में ढोक लगाने मध्य प्रदेश के पावन धाम दतिया में पहुंची थी।
दरअसल, नवरात्रि के पावन अवसर पर पूर्व सीएम राजे ने बगलामुखी देवी की पूजा-आराधना करने के लिए बगलामुखी माता के धाम पहुंची थी।
जिसके बाद ही गुरूवार को राजस्थान भाजपा में बड़ा फेरबदल सामने आया है।
हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब वसुंधरा राजे दतिया में मां पीताम्बरा शक्तिपीठ के दर्शन करने पहुंची। इससे पहले वे राजस्थान की सीएम रहते हुए भी मां के दरबार में ढोक लगाने पहुंच चुकी हैं।
मां पीतांबरा को शत्रु का नाश करने वाली अधिष्ठात्री देवी के साथ ही राजसत्ता का सुख दिलाने वाली देवी भी माना जाता है।
ऐसे में माता के दरबार में राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गज ढोक लगाने पहुंचते हैं।
माता के दर्शन कर पूर्व सीएम राजे ने कहा कि- दतिया में मां पीताम्बरा शक्तिपीठ के दर्शन करने का सौभाग्य मिला।
मातारानी देशवासियों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा सभी को सुख-समृद्धि व खुशहाली प्रदान करें।
राजे के माता बगलामुखी के दरबार में पहुंने के साथ ही राजनीतिक गलियारों में भी कई तरह की चर्चाए शुरू हो गई हैं।
राजसत्ता सुख प्रदान करने वाली माता के दरबार में राजे का पहुंचना आगामी विधानसभा चुनावों की ओर भी संकेत कर रहा है।
भले ही अभी तक भाजपा की ओर से राजस्थान में सीएम चेहरे को लेकर कोई संकेत नहीं दिए गए हो, लेकिन पूर्व सीएम रह चुकी राजे के समर्थक एक बार फिर से उन्हें सीएम पद पर देखने को आतुर हैं।
ऐसे में राजस्थान में लगातार बदल रही राजनीतिक फिजाओं के बीच राजे का माता के दरबार में पहुंचना, सालासर बालाजी धाम में अपने जन्मदिन के नाम पर शक्ति प्रदर्शन करना जैसे कार्य उनके फिर से सत्ता में आने प्रयास को दिखा रहा है।
बगलामुखी माता की पूजा क्यों की जाती है?
मां बगलामुखी के सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। ये चमत्कारी धाम स्वामीजी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है।
मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। उसके अंदर से सभी प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं।