आज 16 दिसंबर है और भारतीय सेना आज की तारीख को बड़े ही गौरव के साथ याद करती है। कारण है कि आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान से इकहत्तर की जंग जीत ली थी। इस लड़ाई के अनसुने किस्सों के बीच एक ऐसा भी किस्सा है जब 1971 की जंग के नायक और उस समय देश की आर्मी के चीफ कमांडर सैम मानेकशॉ ने खुद ये लड़ाई लड़ने से इनकार कर दिया था लेकिन जब वे अपनी तैयारी के मुताबिक जंग में उतरे तो पाकिस्तान का पूरा भूगोल बदल कर रख दिया।
पूर्वी पाकिस्तान के हालत जब बेकाबू हो गए तो वहां से बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने का सिलसिला भारत में शुरू हो गया। जब पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों ने शरणार्थियों की समस्या पर परेशानी जाहिर की तो इंदिरा गांधी ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया। तभी 27 अप्रैल को इंदिरा कैबिनेट की बैठक थी और सैम मानेकशॉ को उससे बतौर आर्मी जनरल इनवाइट किया गया।
इंदिरा गांधी का मूड उस दिन कुछ ठीक नही था इसलिए माहौल में एकदम सन्नाटा था। सैम यह बात तो जानते ही थे कि अगर उन्हें कैबिनेट मीटिंग में बुलाया है तो जरूर कोई विशेष बात है। इधर इंदिरा ने भी किसी मंत्री से बात किए बगैर ही सैम को पूर्वोत्तर राज्य के किसी मुख्यमंत्री का टेलीग्राम लहराते हुए सीधे पूंछा...
क्या आप कुछ कर नही सकते ?
जवाब में सैम ने कहा "आप मुझसे क्या करवाना चाहती हैं?
पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश।
इसका मतलब होगा युद्ध, सैम ने कहा। जब इंदिरा गांधी ने कहा कि हमें युद्ध से परहेज नहीं है तो सैम ने फटाक कहा कि क्या आपने बाइबिल पढ़ी है ?
तभी विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह बीच में कूद पड़े और कहा कि उसमें बाइबिल कहां से आ गई।एक कदम आगे बढ़कर अब सैम ने कहा कि बाइबिल में लिया है कि ईश्वर ने कहा, प्रकाश हो जाए और,और प्रकाश हो गया। आपको लगता है कि इतना कह देने से कि युद्ध हो जाने दो, युद्ध हो सकता है ?
सैम ने फिर इंदिरा गांधी से कहा कि क्या आप युद्ध के लिए तैयार है ? मैं तो नही हूं।अपने आर्मी चीफ के युद्ध से मना कर देने पर इंदिरा गांधी की अचानक त्यौरिया चढ़ गई। लेकिन सैम ने आगे जो कहा वह सुनकर इंदिरा गांधी को समझ आया कि सैम मानेकशॉ युद्ध से डरते नही है बल्कि उनके पास युद्ध को लेकर एक बेहतरीन योजना है।
सैम ने आगे अपनी प्रधानमंत्री से कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में बहुत सी नदियां है,जिनके जल्द ही बाढ़ आने वाली है। क्योंकि कुछ हफ्तों बाद मानसून आ जायेगा। ऐसी स्थिति युद्ध के लिए कैसे भी ठीक नही है। अगर मौसम खराब रहेगा तो वायुसेना अपेक्षा के अनुसार थल सेना की मदद नही कर पायेगी।इस बैठक में देश के कृषि मंत्री फकरुद्दीन अली अहमद भी थे। सैम ने उनकी तरफ देखते हुए कहा कि अभी गेंहू की फसल को काटने का समय चल रहा है इससे अनाज को लाने ले जाने में दिक्कत होगी।अगर देश के अकाल पड़ गया तो लोग आपको दोष देंगे।
उसके बाद सैम ने वित्त मंत्री वाई ही चव्हाण की तरफ देखा और कहा कि 'मेरी आर्मड डिविजन के केवल 12 टैंक है,जो काम में लिए जा सकते हैं। क्योंकि जब भी हम आपसे पैसे की मांग करते है तो आप मना कर देते है। आगे सैम ने युद्ध के लिए अपनी विस्तृत योजना बताते हुए सर्दियों तक युद्ध टालने की सलाह दी।सैम ने यह भी कहा कि बिना तैयारियों के युद्ध में उतरना बेवकूफी रहेगी और तब तक भारत को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करके का वक्त भी मिल जायेगा।
सैम मानेकशॉ की इस योजना से पूरा कैबिनेट सहमत हो गया लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चेहरे के भाव अब भी वैसे ही थे। प्रधानमंत्री की मनोदशा देख सैम ने आगे इन्दिरा को कहा कि मैं आपका आर्मी चीफ हूं और मेरा काम युद्ध लड़ना है। लेकिन ये मेरा कर्तव्य है कि मैं उससे जुड़े तथ्य आपके सामने रखूं। अगर 1962 में मैं आपके पिता का आर्मी चीफ होता तो तब भी मैं यही कहता और उनको इस तरह शर्मिंदा नाही होना पड़ता।
आगे सैम ने अपनी बात खत्म करते हुए कह दिया कि "अगर आप चाहती है कि मैं आगे युद्ध में उतर जाऊं तो मैं तैयार हूं लेकिन साथ ही मैं आपको हार की शत प्रतिशत गारंटी देता हूं लेकिन आप मुझे तैयारी के लिए वक्त देती है तो मैं आपको जीत की गारंटी दे सकता हूं।यह सब सुनकर प्रधानमंत्री ने भी सैम से पूंछ लिया की जो तुम कह रहे हो अगर वह सब सच है तो ठीक है। तुम युद्ध के लिए सेना को तैयार करो। इसके बाद सैम मानेकशॉ युद्ध की तैयारी में जुट गए और आखिर में उन्होंने वह कर दिखाया जिसकी गारंटी सैम प्रधानमंत्री को देकर आए थे।