नीलू की कलम से: वर्जिन रिवर

वर्जिन रिवर
वर्जिन रिवर
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Highlights

मैं जब भी परेशान होती हूं, चद्दरें बदलती हूं

मैंने मेल को चुना और मेल ने जिस शेर्डन को चुना वह तो और भी कमाल का इंसान है

बूढ़ी दादियां वर्जिन रिवर की रौनक हैं। चुगली,फुसुफुसाहट के बीच हॉप और टेरिल की नोंक-झोंक गुदगुदाए बिना नहीं छोड़ती

कैमरन का निहायत छोटा-सा किरदार है मगर उसका ब्लश करना! वल्लाह!!

यह तुम क्या कर रही हो?

देखते नहीं? चद्दरें बदल रही हूं।

पर ये बिल्कुल साफ है!

मैं जब भी परेशान होती हूं, चद्दरें बदलती हूं।

वर्जिन रिवर का शांत इलाका ड्रग माफियाओं का शरणगाह है लेकिन इसके किनारे पर बसे छोटे से गांव के लोग उतने ही ऑर्गेनिक है जितने ऑर्गेनिक इसके हवा, पानी और किनारे के जंगल। बाहर से आए हर इंसान को उसके तमाम रहस्यों के साथ अपना लेने वाले लोग।

मेल मुनरो इस लिहाज़ से ज्यादा खुशकिस्मत है कि नॉर्दर्न केलिफोर्निया के सबसे संभ्रांत और टिपिकल डॉक के सामने अपने पेशे के समर्पण को मनवा पाई और तबसे वह क्लिनिक और वर्जिन रिवर की लाइफलाइन बन चुकी है।
वर्जिन रिवर जहां इंटरनेट की मुफीद स्पीड नहीं पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं।

वर्जिन रिवर जहां प्रेम संबंधों से ऊपर इलाके का हित समझा जाता है।

वर्जिन रिवर जहां के हर किरदार की अपनी प्रेम कहानी है,दर्शक जिसे चाहे अपना हीरो चुन ले।

मैंने मेल को चुना और मेल ने जिस शेर्डन को चुना वह तो और भी कमाल का इंसान है।

महिलाओं के प्रति स्वस्थ और संयत नजरिया इसके हर किरदार में है पर जैक शेर्डन! उफ्फ!! इतने परफेक्ट किरदार हिंदी टेलिविजन तो शायद ही ला पाए।

स्त्री की मदद करने को अपनी मर्दानगी समझने के बजाय खुद को प्रिविलिज्ड समझना,उससे बात करने के लिए भी उसकी मर्जी का इंतजार करना,उसके सही निर्णय पर गर्व और गलत निर्णय पर उतनी ही शिद्दत से साथ देना वर्जिन रिवर के वाशिंदों का चरित्र है।

आखिर स्त्री की लिखी कहानी में ही स्त्री का खयाल नहीं रखा जायेगा तो कहां रखा जायेगा।

जैक के किरदार में मार्टिन हेंडरसन का अभिनय कमाल का है।

अपनी फकत छोटी-छोटी आंखों से बंदा कमाल के एक्सप्रेशन देता है, डीओपी इसकी बलाइयां लेता होगा।

आधी एक्टिंग तो क्लोजर पे ही खत्म कर देता होगा,बाकी बचा काम उसके संवाद करते हैं।

"तुम इतने परफेक्ट कैसे हो?"

"मेरा आधा तुम जो हो!"

कैमरन का निहायत छोटा-सा किरदार है मगर उसका ब्लश करना! वल्लाह!!

वैसे मेल ने जैसे सबकुछ खुद से करने की जिद्द पाली हुई है।कभी-कभी दर्शक खुद खीझकर कह उठता है- "यार सामने वाला मदद करने के लिए तड़प रहा है,कुछ तो ले ले।"

'जिंदगी गुलजार है' की कशफ के काफी दिनों बाद मेल में इतनी खुद्दार लड़की मिली मुझे। (ओह हां, बता दूं कि 'जिंदगी गुलजार है'- एक लोकप्रिय पाकिस्तानी ड्रामा था जो मुझे अच्छा लगता है।

मैं पाकिस्तानी ड्रामाज की प्रशंसक रही हूं, जिनमें एक शालीन और मीनिंगफुल कहानी होती थीं।'थीं' इसलिए क्योंकि पिछले दो सालों से मैंने कुछ देखा नहीं।भारतीय टेलीविजन की तरह वहां अभी हवाई कहानियां,लाइटों के झपके,बड़ी बिंदी वाली खलनायिकाएं,सांप,सिंदूर और कला जादू नहीं आया है।)

वर्जन रिवर में किसी और की संतान को अपनी कोख में पालने वाली स्त्रियां भी पुरुषों के लिए आकर्षक हो सकती हैं, यहां लोग बच्चों के लिए तरस रहे हैं चाहे वे किसी के भी हों।

बूढ़ी दादियां वर्जिन रिवर की रौनक हैं। चुगली,फुसुफुसाहट के बीच हॉप और टेरिल की नोंक-झोंक गुदगुदाए बिना नहीं छोड़ती।

अब तक के पांचों सीजन मुझे काफी अच्छे लगे हैं, देखे हुए सीन्स को भी चाहें तो दिन में दस बार दिखा दें।

खैर यह बात हुई ड्रामा की,असल लेखन को पढ़ने के लिए सीरीज की फर्स्ट बुक ऑर्डर की है,देखते हैं कब तक आती है। आखिर मैं 'बेस्ट सेलर फोबिया' की शिकार हो ही गई।

- नीलू शेखावत

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