DELHI: साक्षी मलिक एवं महिला पहलवानो ने बृजभूषण शरण सिंह किए योन शोषण मामले धाराओं का क्या महत्व है

साक्षी मलिक एवं महिला पहलवानो ने बृजभूषण शरण सिंह किए योन शोषण मामले धाराओं का क्या महत्व है
बृजभूषण शरण सिंह किए योन शोषण मामले धाराओं का क्या महत्व है
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Highlights

साक्षी मलिक वर्ष 2016 के ओलंपिक में 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीत चुकी 

राउज़ एवेन्यू कोर्ट (RAC) में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, 354ए और सेक्शन 506 के पार्ट-1 के आधार पर आरोप तय किए हैं |

दिल्ली | दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दायर किए गए यौन शोषण मामले में आरोप को निर्धारित कर दिया है।  भारत की कुछ महिला (woman) पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध यौन शोषण (Sexual Exploitation) का मामला दर्ज किया था. इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह के सचिव विनोद तोमर (vinod tomar) के ख़िलाफ़ भी मामला दायर किया गया है।  कोर्ट में आरोप तय होने के बाद ओलंपिक मेडल विजेता और छह शिकायतकर्ताओं में से एक साक्षी मलिक (sakshi malik) ने ये एक अच्छा क़दम है और वो जीत की तरफ़ बढ़ रही हैं.

मालिक ने कहा कि हमारे आरोप झूठे हो सकते है, लेकिन अब कोर्ट ने आरोप को बना को दिया है।  ये लड़ाई हमारी नहीं हीं है बल्कि उन भावी युवा महिला (woman) पहलवानों के लिए भी है ताकि भविष्य (future) में उन्हें ऐसी स्थिति से न गुज़रना पड़े.''

बृजभूषण के मामले क्या है धाराएं

इस मामले में राउज़ एवेन्यू कोर्ट (RAC) में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत (priyanka rajput) ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, 354ए और सेक्शन 506 के पार्ट-1 के आधार पर आरोप तय किए हैं.

धारा 354 :

महिला की शालीनता को ठेस पहुँचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.
ऐसे मामले में एक से लेकर पाँच साल तक की सज़ा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

धारा 354ए क्या है?

शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव, यौन संबंध बनाने की मांग करना किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध उसे पोर्नोग्राफ़ी (pornography) दिखाना उत्तेजित करनेवाली टिप्पणियाँ करना इन मामलों में किसी में तीन साल की और किसी में एक साल की सज़ा हो सकती है। वहीं इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है.

पूर्व खिलाडी ने कहा आगे क्या होने वाला है

साक्षी मलिक का कहना है, ''डेढ़ साल तक हम लड़ाई लड़ रहे थे अब हमें कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़नी है.'' बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप पहली बार साल 2023 के जनवरी महीने में सामने आए थे जब महिला खिलाड़ियों विनेश फोगाट (vinesh fogat), साक्षी मलिक (sakshi malik) और बजरंग पुनिया (bajrang puniya) ने दिल्ली के जंतर-मंतर में इकट्ठा होकर मीडिया के समक्ष अपनी बातें कहीं थीं। इन खिलाड़ियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महीने से ज़्यादा समय तक रहकर बृजभूषण शरण सिंह (brujbhushan sharan singh) की गिरफ़्तारी की मांग की थी. इस मामले में रिपोर्ट दर्ज न होने पर खिलाड़ियों ने सुप्रीम कोर्ट (SC) का सहारा किया था।

जिसके बाद दिल्ली पुलिस को नोटिस गया था और फिर रिपोर्ट दर्ज हुई थी। बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर (vinod tomar) के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने साल 2023 के जून महीने में चार्जशीट दायर की थी। वहीं इसी मामले में एक पहलवान खिलाडी ने अपनी शिकायत वापस ले ली थी। बृजभूषण शरण सिंह के वकील डॉ. एपी सिंह कहते है की  ''एक शिकायतकर्ता के शिकायत वापस लेने के बाद दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला निरस्त करने के लिए रिपोर्ट दायर की थी। ये मामला पटियाला (patiyala) की सेशन कोर्ट में विचाराधीन है.'' सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डॉ. एपी सिंह (Dr. AP singh) का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह मामले पर आगे का क़दम कुछ महीनों में निर्धारित किया जाएगा.

महिलाएँ है इसलिए मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता है

बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज(kaisarganj) से सांसद हैं और कहा जाता है कि आसपास के चार ज़िलों गोंडा, बहराइच, बलरामपुर (balrampur) और श्रावस्ती में उनका काफ़ी दबदबा है। इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह (karan bhushan singh) को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। साक्षी मलिक इस बात पर नाराज़गी जताती हैं और कहती हैं, "कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह के बेटे को टिकट नहीं मिलना चाहिए था, ऐसे में फ़ेडरेशन को बृजभूषण ही चलाएँगे। लेकिन उनके ख़िलाफ़ आरोप तय होने के बाद अब फ़ेडरेशन में कोई उत्पीड़न करने से पहले सौ बार सोचेगा कि उसके साथ भी ऐसा हो सकता है।

क़ानूनी मामलों की जानकारी देने वाली वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक़, मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत का कहना था, ''बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ सेक्शन 354, 354ए के तहत आरोप तय करने के लिए इस कोर्ट के पास रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत हैं, जो पीड़िता एक, दो, तीन, चार और पाँच से संबंधित हैं. सेक्शन 506 पीड़िता एक और पाँच से जुड़ा हुआ है." हालाँकि कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पीड़िता छह के आरोपों को हटा दिया. बृजभूषण शरण सिंह के सचिव रहे विनोद तोमर (vinod tomar) के ख़िलाफ़ भी कोर्ट ने सेक्शन 506(1) लगाया है. आरोप तय होने के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई और ANI से बातचीत में बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि वो न्यायपालिका के फ़ैसले का स्वागत करते हैं और अब उनके लिए सब रास्ते खुल गए हैं

उन्होंने कहा, ''मुझ पर जो चार्जशीट लगी थी उसका मैंने विरोध किया था लेकिन कोर्ट ने उसे नहीं माना  कोर्ट ने एक केस छोड़कर बाक़ी मामलों में आरोप तय किए हैं.'' बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ''जब आरोप तय होते हैं तो उसके बाद कोई सबूत, कोई साक्ष्य और कोई गवाह आप अलग से नहीं रख सकते हैं  जो पुलिस ने चार्जशीट में लिखा है, उसी के इर्द-गिर्द रहना पड़ता है  मेरे पास विकल्प खुले हैं और मैं इसका सामना करूँगा

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