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ग्रामीण राजपूत बाहुल्य क्षेत्रों मे केंद्रीय विद्यालय आ जाएगी तो भाजपा के जयकारे कौन लगाएगा ?
केंद्र में EWS सरलीकरण तथा ओबीसी के समान उम्र और अवसरों मे छूट कर देंगे तो भाजपा के लिए दरियाँ कौन बिछाएगा ?
एमपी लैड फंड से राजपूतो इलाकों में लाइब्रेरी बना देंगे तो हिंदुत्व की रक्षा कौन करेगा।
Jaipur:
"गहलोत सरकार चुनावी साल में प्रलोभन दे रही ,आप जमीर मत बेचना। " केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की राजपूत बाहुल्य बालेसर कस्बे में की गयी यही अपील बीजेपी का वोटबैंक माने जाने वाले राजपूत समाज में चर्चा का विषय बन गयी है।
इसे कांग्रेस के कम्प्यूटर मित्रों का कमाल मानें चाहे सीएम अशोक गहलोत के ट्रबल शूटर के बतौर खुद को स्थापित करने में जुटे धर्मेंद्र राठौड़ की कोशिशों का नतीजा, सोशल मीडिया पर राजनाथ सिंह उन्ही के कोर वोटर्स के निशाने पर हैं।
राजनाथ सिंह को ट्रोल करने में जुटे यूजर्स पूछ रहे हैं कि राज्य सरकार कोई राहत दे तो जनता को नहीं लेनी चाहिए क्या ?
इस सवाल के साथ कर्मवीर सिंह अपने सोशल मीडिया अकाउंट Karmveer Singh पर अन्य लोगों को टैग कर आगे पूछते हैं "Rajnath Singh ji गहलोत सरकार ने तो EWS आरक्षण में छूट दी हैं उसका फायदा लें या फिर राष्ट्र हित में केन्द्र वाले EWS आरक्षण से ही काम चलाये?"
राजनाथ सिंह के इस बयान पर सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रिया बीजेपी को प्रभावित कर पाएगी या नहीं ,यह तो पता नहीं। लेकिन गहलोत सरकार के कर्णधारों तक राजपूतों के क्लोज ग्रुप्स के जरिये पूरे समाज में वायरल हुई प्रतिक्रिया से कांग्रेसी खेमे में उम्मीदों का संचार हुआ है।
इन क्लोज ग्रुप्स में एक सन्देश खास तौर पर वायरल हुआ है। "संविधानवादी राजपूत" के नाम से वायरल इस सन्देश में राजनाथ सिंह को आड़े हाथ लेते हुए यूजर ने लिखा है -"जमीर राजपूत नेताओं का बिका है, आम राजपूत का नही। " सन्देश में केंद्रीय गृह मंत्री को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है -"आदरणीय राजनाथ सिंह साहब !
आम राजपूत प्रलोभन, जमीर बेचता तो आपके यहां पधारने की जरूरत नहीं पडती,और ना ही आपकी पार्टी का अस्तित्व होता।
इस आम राजपूत ने ही अपने सिर फुडवाकर भाजपा को राजस्थान में हर बूथ तक पहुंचाया। आज वो ही पार्टी राजपूतों के खंजर घोंपकर आम राजपूत को जमीर का पाठ पढा रही है। साहब जमीर बिक चुका है तो इस पार्टी का बिक चुका है। इस पार्टी से जुडे़ राजपूत नेताओं का जमीर बिक चुका है।
अब जब समाज का एक प्रगतिशील धड़ा मुद्दे आधारित विमर्श से कुछ कठोर सवाल पूछ रहा है, आम राजपूत के बेटे भविष्य का चिंतन हो रहा है तो मठाधीशों की जमीन खीसकने लगी है। लेकिन खिसकती जमीन बचाने के मुद्दे और समाधान की बजाय हमें जमीर का पाठ पढाया जा रहा है।
शौर्य और साहस की सरजमीं कहे जाने वाले और सबसे ज्यादा युद्ध विधवाओं वाले शेरगढ़ क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय की घोषणा नहीं होने से नाराज यूजर ने लिखा है कि," इस समाज को झूठ के बुनियाद पर हमेशा ठगा गया। नागौर में चार चार केंद्रीय विद्यालय प्रस्तावित है लेकिन राजपूत बाहुल्य सैनिकों के क्षेत्रों में एक भी नही। " केंद्रीय विद्यालय को स्वीकृति नहीं मिलने से नाराज यूजर्स क्लोज ग्रुप्स में राजनाथ सिंह के बयान को साझा कर कई सवाल पूछ रहे हैं .
जैसे ,
- ग्रामीण राजपूत बाहुल्य क्षेत्रों मे केंद्रीय विद्यालय आ जाएगी तो भाजपा के जयकारे कौन लगाएगा ?
- केंद्र में EWS सरलीकरण तथा ओबीसी के समान उम्र और अवसरों मे छूट कर देंगे तो भाजपा के लिए दरियाँ कौन बिछाएगा ?
- एमपी लैड फंड से राजपूतो इलाकों में लाइब्रेरी बना देंगे तो हिंदुत्व की रक्षा कौन करेगा।
इन यूजर्स ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की कार्यशैली पर भी कई सवाल खड़े किये हैं। वहीं ,ईडब्लूएस सरलीकरण और लाइब्रेरी निर्माण में भूमिका अदा कर रहे कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं।
ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि यूजर्स को एक्टिव करने के पीछे भी कहीं कांग्रेस का राठौड़ी अंदाज तो नहीं ?
मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियों से अवगत कराने के लिहाज से आयोजित राजनाथ सिंह की बालेसर सभा से पहले भी यूजर्स ने मुहिम चलाने की भरसक कोशिश की। कहा गया कि राजनाथ सिंह ही वो व्यक्तित्व है जिनको आगे करके भाजपा पिछले दो दशक से राजपूत वोट लेती रही है।
लिहाजा उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह समाज के वाजिब मुद्दों से प्रधानमंत्री को अवगत कराएं। ये मुद्दे हैं
- - 1. राजस्थान राज्य की तरह केंद्र में EWS का सरलीकरण कर भूमि जैसी अव्यवहारिक, अतार्किक शर्त हटाना। ओबीसी के समान EWS को उम्र, अवसरों, फीस मे छूट प्रदान करना।
- अग्निवीर योजना मे रेजीमेंटल सिस्टम तथा मार्शल कौम के चयन प्रणाली को बनाये रखना।
- इतिहास विकृतिकरण पर लगाम लगा कर जातीय वैमनस्य पैदा करने की कोशिश को रोकना।
- सनातन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए बलिदान देने वाले क्षत्रिय समाज को "राम मंदिर ट्रस्ट" में उचित प्रतिनिधित्व देना।
राज्यपालों की नियुक्ति में राजपूतों के प्रतिनिधित्व को बिलकुल नकार देना। इन मांगों के साथ एक चेतावनी भी चस्पा की गयी थी कि बीजेपी के राजनितिक नेतृत्व ने इन मुद्दों की अनदेखी की तो 2018 में जिस तरह बीजेपी को सत्ता से दूर करने में इस वोट बैंक ने भूमिका अदा की वैसी कहानी फिर लिखी जा सकती है।
राजपूतों के क्लोज ग्रुप Kshatriya Discussion Forum में राजनाथ सिंह के बयान वाली खबर चस्पा करते हुए लिखा गया है -"भ्रष्ट राजनेता क्या होता है, वह आप इस स्टेटमेंट से समझ लीजिए। ... यह वह आदमी है जो कई बार गुजरों को खुश करने के लिए अपनी ही जाति के मोहिरभोज पड़ियार को गूजर बोलते आए हैं।
" अब तक बीजेपी के परम्परागत वोट बैंक के रूप में पहचान रखने वाले राजपूत नौजवानों का यह रुख कांग्रेस को तो उत्साहित कर रहा है। लेकिन अब तक अपने अंदाज में इस वोटबैंक को डील करती रही बीजेपी की सेहत के लिए ठीक नहीं। क्योंकि सोशल मीडिया पर पोस्ट एक होती है ,लेकिन शेयर लाखों जगह की जाती है।