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स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती, जिनका जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था, एक अद्वितीय समाज सुधारक थे जिनका देश के स्वाधीनता संग्राम में भी विशेष योगदान था. उन्होंने 1875 में सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी
New Delhi | भारत के माननीय उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 7 अप्रैल, 2023 को सुबह 10 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली के प्लेनरी हॉल में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200 वें जन्म जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में उन पर एक स्मारक डाक टिकट का विमोचन करेंगे।
इस अवसर पर, केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री, देवूसिंह चौहान स्मारक डाक टिकट के प्रस्तावक, लोक सभा सांसद, डॉ सत्य पाल सिंह लोक सभा सांसद, स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार से स्वामी रामदेव परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से स्वामी चिदानंद सरस्वती संचार मंत्रालय एवं डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं आर्य समाज के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहेंगे.
स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती, जिनका जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था, एक अद्वितीय समाज सुधारक थे जिनका देश के स्वाधीनता संग्राम में भी विशेष योगदान था । उन्होंने 1875 में सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी ।
आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ऋग्वेद की उक्ति, “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” को अपने जीवन का आदर्श बनाया और समाज में तत्समय व्याप्त जाति एवं लिंग आधारित असमानताओं के विरुद्ध आवाज उठाई |
उन्होंने वेदों की ओर लौट चलने का आह्वान किया और वेद पठन-पाठन को भारतीय परंपरा के अनुसार सुलभ बनाने के उद्देश्य से देश भर में गुरुकुलों की स्थापना करवाई जिनमें स्त्रियों और निम्न जाति के लोगों को निशुल्क शिक्षा का समान अधिकार दिलवाया |
डॉ सत्य पाल सिंह जी ने बताया कि आज से 148 साल पहले, 7 अप्रैल को ही स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने काकडवाडी, मुंबई में आर्य समाज की स्थापना कर आर्य समाज के गठन की नींव रखी थी |
उन्होंने यह भी बताया कि आर्य समाज ने दो वर्ष तक चलने वाले महर्षि दयानंद जी की 200वीं जन्मजयंती के कार्यक्रम की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा करवाई |