रणनीति : सीएम पद के लिए बीजेपी के 'डार्क हॉर्स' होंगे सुमेधानंद सरस्वती!

सीएम पद के लिए बीजेपी के 'डार्क हॉर्स' होंगे सुमेधानंद सरस्वती!
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Highlights

  • राजपूत की बेटी ,जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन के रूप में धौलपुर की पूर्व महारानी वसुंधरा राजे की अपील काम कर गयी। राजस्थान में भाजपा ने पहली बार बड़ी जीत का इतिहास बनाया। 120 सीट हासिल कर वसुंधरा राजे राजस्थान की सत्ता में आयी और पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। 
  • भाजपा और आरएसएस एक लक्ष्य पर काम कर रहे हैं और यह लक्ष्य है -आर्य समाज आंदोलन के दौरान राजस्थान में इसके  अगुआ रहे जाट समाज को हिंदुत्व की चादर ओढ़ाकर बीजेपी से जोड़ने का। अब  बीजेपी की निगाह सीकर से दो बार सांसद सुमेधानंद सरस्वती पर आ टिकी है। सुमेधानंद संत समाज का प्रतिनिधित्व भी पूरा करते हैं और जाट होने के नाते शेखावाटी, मारवाड़ में प्रभावी  इस वोट बैंक का भी। 

Jaipur | मौका था -जनाक्रोश यात्रा के समापन का और स्थान था -कुचामनसिटी का पुराना बस स्टेण्ड। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस में कुर्सी की लड़ाई और बेहाल जनता पर भाषण दिए, आक्रोश जताया और अगले कार्यक्रम की तैयारी में जुट गए।

इस बीच एक वाकया हुआ। लेकिन किसी ने उस पर ज्यादा गौर नहीं किया।  और यह वाकया था, मंचस्थ हरीश कुमावत द्वारा एक स्वप्न के जिक्र का। अपने भाषण में बीजेपी के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता हरीश कुमावत ने कहा कि मैनें सपना देखा है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी और सुमेधानंद सरस्वती मुख्यमंत्री बनेंगे।

कुमावत ने बात सपने के बहाने कही लेकिन बात अंदर की थी सो मंच पर ही खंडन भी हो गया। खंडन किया -खुद सुमेधानंद सरस्वती ने। अपने सम्बोधन में सीकर सांसद सरस्वती ने कहा -"सपना सपना ही होता है। मुख्यमंत्री कोई भी बन सकता है। "

हरीश कुमावत ने सपने की बात कही और सरस्वती ने इसका खंडन भी कर दिया।  यानीं ,बात वहीं  पर खत्म हो गयी। लेकिन दिल्ली की राजनीति को करीब से जानने वाले सूत्रों की माने तो बात खत्म नहीं हुई ,अंदर ही अंदर तेजी से  आगे बढ़ रही है। उसी को भांप कर हरीश कुमावत ने अपनी बात कही और बहाना सपने का था। 

भाजपा का सपना 

दरअसल , राजस्थान की राजनीति से भैरों सिंह शेखावत की विदाई से पहले ही भाजपा और आरएसएस एक लक्ष्य पर काम कर रहे हैं और यह लक्ष्य है -आर्य समाज आंदोलन के दौरान राजस्थान में इसके  अगुआ रहे जाट समाज को हिंदुत्व की चादर ओढ़ाकर  बीजेपी से जोड़ने का।

इसी लक्ष्य की और बढ़ती भाजपा की रणनीति को समझ शेखावत ने दिल्ली की राह पकड़ी। भैरों सिंह शेखावत देश के उप राष्ट्रपति बने और राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे युग की शुरुआत हुई। परिवर्तन यात्रा के रथ पर सवार  हो धौलपुर की पूर्व महारानी वसुंधरा राजे राजस्थान में निकली तो राजपूत की बेटी ,जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन के रूप में सभी को साथ जोड़ने की अपील काम कर गयी। 

राजस्थान में भाजपा ने पहली बार बड़ी जीत का इतिहास बनाया। 120 सीट हासिल कर वसुंधरा राजे राजस्थान की सत्ता में आयी और पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। पांच साल बाद हुए अगले चुनाव में बीजेपी कम अंतर से हार गयी लेकिन विधान सभा में दबदबा कायम रहा।  

2013 में राजे के नेतृत्व में बीजेपी फिर सत्ता में लौटी तो कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गयी। बीजेपी को बहुमत ही नहीं मिला बल्कि दो तिहाई बहुमत का रिकॉर्ड भी बन गया। 

बीजेपी का नया गणित 

चार साल पहले हुए चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी चुनाव हार गयी और यहीं से एक नए नेतृत्व की तलाश के साथ नए समीकरणों पर काम तेज हो गया। जनता में अपील के लिहाज से देखें तो वसुंधरा राजे आज भी राजस्थान में सबसे ज्यादा करिश्माई नेता है और भीड़ खींचने में अगर उनकी टक्कर का कोई नेता है तो वह है कांग्रेस नेता -सचिन पायलट। लेकिन न बीजेपी वसुंधरा राजे को आगे बढ़ते देख ज्यादा उत्साहित है , न सचिन पायलट को भीड़ जुटाता देखकर  कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी।

अब जबकि आरएसएस के मार्गदर्शन में बीजेपी नए समीकरण देख रही है। निगाह सीकर से दो बार सांसद सुमेधानंद सरस्वती पर आ टिकी है। सुमेधानंद संत समाज का प्रतिनिधित्व भी पूरा करते हैं और जाट होने के नाते शेखावाटी, मारवाड़ में प्रभावी  इस वोट बैंक का भी।

हरियाणा के रोहतक में जन्मे ,चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी -मेरठ में पढ़े और शेखावाटी में शराब बंदी पर काम करने वाले सरस्वती का राजस्थान , हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में असर सम्भव है  ,यह भी उनके पक्ष में एक बड़ी दलील है। संघ बीते सालों से जाट समाज को अपनी विचारधारा से जोड़ने में लगा है ,लिहाजा यह भी उनके पक्ष में सबसे बड़ा फेक्टर माना जा रहा है।

लक्ष्मणगढ़ पर निगाह 

सरस्वती का नाम उन सांसदों में माना जा रहा है ,जिन्हे भाजपा विधान सभा चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। सरस्वती के लिहाज से शेखावाटी में कई सीटें हैं ,लेकिन ज्यादा संभावना उन्हें कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के सामने मैदान में उतारने की है।

इस सीट पर आर्य समाज का असर भी है और जाटों का प्रभाव भी। सरस्वती को इस सीट से चुनाव मैदान में उतार बीजेपी डोटासरा को भी घेर सकती है और इससे सटे शेखावाटी के चूरू और झूंझुनू जिलों में भी हिंदुत्व का प्रभाव भी बढ़ा सकती है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी में मोदी -शाह की जोड़ी अपने फैसलों से चौंकाती रही है। और ,इस बार सुमेधानंद के जरिये राजस्थान की जनता को चौंका दे तो अचरज नहीं। 

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