Highlights
बीजेपी की राजनीति में महत्वपूर्ण शख्सियत बन रहीं जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य और राजसमंद सांसद दिया कुमारी ने विधायक नरपत सिंह राजवी को खामोश, लेकिन सटीक जवाब दे दिया है
उन्होंने दोनों की एक साथ ज्वाइनिंग करवाकर नरपत सिंह राजवी की टिप्पणी पर एक खामोश राजनीतिक वार किया है। अब राजवी जो कि भैरोंसिंह शेखावत के दामाद हैं, उनका टिकट बनेगा या नहीं यह वक्त बताएगा।
जयपुर | बीजेपी ने राजपूत समाज के दो बड़े धुरंधरों की पार्टी में ज्वाइनिंग करवाकर नए समीकरणों को साधा है। कल्याण सिंह कालवी और नाथूराम मिर्धा की एक जोड़ी थी और अब दोनों ही की तीसरी पीढ़ी यानि कि भवानी कालवी और ज्योति मिर्धा बीजेपी से जुड़ चुके हैं।
वहीं मेवाड़ में गुलाबचंद कटारिया की गैरमौजूदगी में बीजेपी को विश्वराज सिंह मेवाड़ के रूप में एक अहम क्षत्रप मिला है। दोनों ही की एक साथ ज्वाइनिंग करवाकर सांसद और विद्याधर नगर सीट से प्रत्याशी दिया कुमारी ने नरपत सिंह राजवी को जवाब भी दे दिया है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और विश्वराज सिंह मेवाड़ का यह गठबंधन निश्चित तौर पर बीजेपी के कमल को मेवाड़ में मजबूत करेगा। इस इलाके की आरक्षित सीटों पर भी समीकरण सधेंगे।
वहीं भवानी कालवी के ससुर नाथद्वारा से विधायक रह चुके हैं। इस समीकरण से सीपी जोशी की राह अब मुश्किल हो जाएगी। भवानी कालवी के दादा कल्याण सिंह कालवी चन्द्रशेखर की कैबिनेट में मिनीस्टर थे और विश्वराज के पिता महेन्द्रसिंह मेवाड़ चित्तौड़गढ़ के सांसद थे।
भवानी कालवी के पिता स्व. लोकेन्द्रसिंह कालवी ने करणी सेना के माध्यम से देश में एक अलग पहचान कायम की थी। पूरे राजस्थान में कालवी परिवार का एक अलग ही नाम है। इस जुड़ाव से बीजेपी के लिए कई तरह के समीकरण सामने आने वाले हैं।
ये समीकरण निश्चित तौर पर राजस्थान के विधानसभा चुनाव को अलग रंग देंगे और कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाएंगे। देखना है कि कांग्रेस इसका क्या तोड़ निकालती है।
मिर्धा—कालवी गठजोड़
दो रणनीतिक और राजनीतिक चालों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में प्रमुख कालवी-मिर्धा परिवार की तीसरी पीढ़ी, भवानी कालवी और ज्योति मिर्धा का अपने पाले में स्वागत किया है।
इस घटनाक्रम का राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में जाट-राजपूत समीकरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ना तय है। राजस्थान की राजनीति में कालवी-मिर्धा परिवार का एक लंबा इतिहास रहा है।
भवानी कालवी के दादा, कल्याण सिंह कालवी, पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के मंत्रिमंडल में मंत्री थे, जबकि ज्योति मिर्धा के दादा नाथूराम मिर्धा कांग्रेस छोड़कर कालवी के साथ जनता दल में आ गए और नागौर से सांसद बने।
इनकी मित्रता बीजेपी खासकर भैरोंसिंह शेखावत के लिए खटास वाली थी। परन्तु इनके साथ आने से ही बीजेपी और जनता दल गठबंधन 1989 में सभी 25 सीटें जीतने में सफल रहा था।
नए नेतृत्व का आधार
भवानी कालवी और विश्वराजसिंह मेवाड़ के भाजपा में शामिल होने से, पार्टी ने राजपूत समुदाय के महत्वपूर्ण नेताओं की निष्ठा हासिल कर ली है।
यह घटनाक्रम भाजपा के लिए अपने समर्थन आधार को मजबूत करने और क्षेत्र में राजनीतिक समीकरणों को संभावित रूप से फिर से परिभाषित करने के लिए एक नए दृष्टिकोण का प्रतीक है।
नए गठबंधन बनाने और अपना प्रभाव बढ़ाने की पार्टी की कोशिश को देखते हुए यह एक उल्लेखनीय कदम नजर आता है।
मेवाड़ में प्रभाव
गौरतलब है कि भवानी कालवी के ससुर नाथद्वारा से विधायक थे और इसके साथ ही कांग्रेस के बड़े नेता सीपी जोशी की राह और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है. यही नहीं उनके दादा कल्याण सिंह कालवी पहली बार विधायक मेवाड़ ही की बनेड़ा सीट से बने थे। यहां विश्वराज सिंह मेवाड़ की मौजूदगी से समीकरण कांग्रेस के लिए और जटिल हो गया है, जो राजपूत समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और भाजपा के भीतर एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए हैं।
भाजपा की स्थिति मजबूत
विश्वराज सिंह मेवाड़ का सीपी जोशी के साथ जुड़ाव संभावित रूप से मेवाड़ में भाजपा की स्थिति को मजबूत कर सकता है और सीटों के वितरण में समायोजन कर सकता है, खासकर क्षेत्र के आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में। सीपी जोशी और विश्वराज सिंह मेवाड़ के बीच गठबंधन से बीजेपी को इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव
इन नए समीकरणों का उभरना आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक अलग आयाम जोड़ने के हालात दर्शाता है। भाजपा के रणनीतिक कदमों से कांग्रेस पार्टी के लिए राजनीतिक परिदृश्य की जटिलता बढ़ने की उम्मीद है। कांग्रेस के सामने अब इन घटनाक्रमों का मुकाबला करने और राज्य में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए एक प्रभावी प्रतिक्रिया तैयार करने की चुनौती है।
नरपत सिंह राजवी को जवाब
बीजेपी की राजनीति में महत्वपूर्ण शख्सियत बन रहीं जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य और राजसमंद सांसद दिया कुमारी ने विधायक नरपत सिंह राजवी को खामोश, लेकिन सटीक जवाब दे दिया है। उन्होंने दोनों की एक साथ ज्वाइनिंग करवाकर नरपत सिंह राजवी की टिप्पणी पर एक खामोश राजनीतिक वार किया है। अब राजवी जो कि भैरोंसिंह शेखावत के दामाद हैं, उनका टिकट बनेगा या नहीं यह वक्त बताएगा।
महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्ति सिंह के वंशज क्रमश: विश्वराज सिंह मेवाड़ और भवानी कालवी का भाजपा में एक साथ प्रवेश राजस्थान की राजनीतिक गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाता है। गेंद अब कांग्रेस के पाले में है, क्योंकि उन्हें राज्य में बदलते राजनीतिक परिदृश्य से निपटने के लिए एक उपयुक्त समाधान ढूंढना होगा।