Highlights
- 2021 में पीरियड्स लीव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई
- महिलाओं ने एक बार फिर उठाया पीरियड्स लीव का मुद्दा
- गांव-गांव जाकर पंचायतें कर रही हैं महिलाएं
- Eलाड़ों पंचायत की हुई शुरुआत
विदेशों में पीरियड्स लीव को लेकर क्या है प्रावधान?
जापान, इंडोनेशिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, यूके, वेल्स, चीन. ताइवान और जांबिया जैसे देशों में पीरियड लीव का प्रावधान है, बाकायदा इस दौरान महिलाओं के लिए अतिरिक्त लीव का भी प्रावधान है।
भारत में इसे लेकर कई बार आवाज़ उठाई गई है, पीरियड लीव का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँचा है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में 10 जनवरी साल 2021 को जनहित याचिका दाखिल की गई।
इसमें महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म के दौरान अवकाश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में याचिका शैलेंद्र मणि त्रिपाठी के द्वारा की गई थी।
अब फिर से पीरियड लीव का मुद्दा सामने आया है। इसे लेकर हरियाणा के गांवों में लाडो पंचायतें हो रही हैं जिनमें कामकाजी महिलाओं के लिए माहवारी के दौरान अवकाश की मांग की जा रही है।
महिला स्वास्थ्य पर विशेष कानून भी इस मांग का हिस्सा है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को असहनीय दर्द होना, मूड स्विंग और चिड़चिडेपन की शिकायत रहती है।
डॉक्टरों के मुताबिक एक महिला को मासिक धर्म के दौरान हार्ट अटैक के जितना दर्द होता है, जो बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं है।
इन पंचायतों में शामिल महिलाओं का कहना है कि शारीरिक दिक्कत तो सहन हो सकती है लेकिन माहवारी से जुड़ीं भ्रांतियों के कारण निकलना और चलना मुश्किल हो जाता है
और हर समय ये दिमाग में रहता है कि कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे शर्मिंदा होना पड़ जाए।
हरियाणा में पीरियड्स को लेकर एक नई पहल की गई है।
हरियाणा जो कभी अपनी दकियानूसी और रूढ़ीवादी सोच के लिए जाना जाता था। आज वहां नई सोच को बढ़ावा और विकास की बातें हो रही हैं, विकास की बातें न सिर्फ हो रही हैं
बल्कि धरातल पर इस समस्याओं को लेकर काम भी होने लगा है, और इन समस्याओं को हल करने में खाप पंचायतें भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।
हरियाणा में गांव-गांव में लड़कियां खुद पंचायत कर पीरियड लीव की मांग कर रही हैं। पंचायत में जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं उनमें महिला स्वास्थ्य के लिए सरकार से जरूरी कदम उठाने की मांग भी शामिल है।
इन महिलाओं का कहना है कि सरकारों को मासिक धर्म के समय अवकाश जरूर देना चाहिए और इसके लिए नया स्वास्थ्य बिल लाकर पारित करना चाहिए।
दरअसल, कई देशों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सवेतन छुट्टी देने की व्यवस्था है। ये छुट्टियां प्रत्येक महीने दी जाती हैं जो की स्वास्थ्य अवकाश व अन्य किसी भी प्रकार के अवकाश से अलग होती हैं।
आपको बता दें, वर्तमान में केवल बिहार ही ऐसा राज्य है जहां सरकार द्वारा पीरियड लीव का प्रावधान है। बिहार में साल 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने महीने में 2 दिन महिलाओं को पीरियड लीव देने की व्यवस्था की थी। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई कानून नहीं बना है।