world consumer rights day: क्यों मनाया जाता है विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, किसने की इसकी शुरुआत और क्या हैं उपभोक्ताओं के अधिकार? पढ़ें

क्यों मनाया जाता है विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, किसने की इसकी शुरुआत और क्या हैं उपभोक्ताओं के अधिकार? पढ़ें
world consumer rights day
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Highlights

पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह नया अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लाया गया था। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 पुराने अधिनियम की तुलना में अधिक तीव्रता से और कम समय में कार्यवाही करता है।

पुराने अधिनियम में त्रिस्तरीय उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र की व्यवस्था थी जो अपेक्षाकृत अधिक विलंबकारी थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत यदि किसी उत्पाद या सेवा में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता/ विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिए ज़िम्मेदार माना जाएगा।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर वर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों और जरूरतों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस एक ऐसा अवसर देता है, जिस पर सभी उपभोक्ताओं के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उनकी रक्षा की जाए व बाजार के दुरुपयोग और उन अधिकारों को कमजोर करने वाले सामाजिक अन्याय के प्रति विरोध प्रकट किया जाए। 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की परिकल्पना के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की प्रेरणा थी। 

जॉन एफ कैनेडी ने 15 मार्च 1962 को यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस को अपभोक्ता अधिकारों के विषय पर संबोधित किया था। संयुक्त राष्ट्र ने 9 अप्रैल 1985 को उपभोक्ता संरक्षण के व्यापक नियमों को स्वीकार किया था। 

कौन है उपभोक्ता ? 

उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदता है या सेवा प्राप्त करता है। इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं है जो दोबारा बेचने के लिए किसी वस्तु को हासित करता है या व्यापारिक उद्देश्य के लिए किसी वस्तु या सेवा को प्राप्त करता है इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके टेलीशॉपिंग, मल्टी लेवल मार्केटिंग या सीधे खरीद के जरिए किया जाने वाला सभी तरह का ऑफलाइन या ऑनलाइन लेन-देन शामिल है।   

उपभोक्ताओं के हितार्थ कुछ पहलें
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019,
पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह नया अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लाया गया था। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 पुराने अधिनियम की तुलना में अधिक तीव्रता से और कम समय में कार्यवाही करता है।

पुराने अधिनियम में त्रिस्तरीय उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र की व्यवस्था थी जो अपेक्षाकृत अधिक विलंबकारी थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत यदि किसी उत्पाद या सेवा में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता/ विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिए ज़िम्मेदार माना जाएगा।

अधिनियम में कहा गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाएगा। यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 5 महीने की अवधि के भीतर शिकायत पर निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा। अधिनियम में दोनों पक्षों की सहमति से मध्यस्थता का भी उल्लेख है।

उपभोक्ता कल्याण कोष
साल 1992 में उपभोक्ता कल्याण कोष नियम बनाए गए थे और इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।  उपभोक्ता कल्याण कोष की स्थापना सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 57 के तहत की गई है। 

भारतीय मानक ब्यूरो
BIS अधिनियम ,2016 12 अक्टूबर 2017 को प्रभाव में आया था।
BIS (भारत)  अक्टूबर 2020-23 तक तीन साल के कार्यकाल के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय मानक संगठन SARSO तकनीकी प्रबंधन बोर्ड और अनुरूपता मुल्यांकन बोर्ड BCA की अध्यक्षता कर रहा है। 

उपभोक्ता जागरूकता शुभंकर
DoCA का नया शुभंकर जागृति लांच किया गया था जिसका उद्देश्य जागो ग्राहक जागो नामक अभियान को मजबूत करना था, ताकि सभी उपभोक्ता ओं में जागरूकता संबंधी विचार को सुदृढ़ किया जा सके। 

ई फाइलिंग
ई दाखिल नाम से एक उपभोक्ता आयोग ऑनलाइन आवेदन पोर्टल विकसित किया गया है। जो उपभोक्ताओं/ अधिवक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से घर से या कहीं से भी अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करता है।

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