यमुना पर संघर्ष करेगी कांग्रेस : शेखावाटी में यमुना का पानी देने की नीयत नहीं है बीजेपी की : गोविंद सिंह डोटासरा

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"पीने का पानी नहीं, सिंचाई तो छोड़िए। पेयजल भी घटिया खनिज लवणों से युक्त है। यमुना का पानी राजस्थान को दिए जाने को लेकर 31 हजार करोड़ की परियोजना रिपोर्ट बन चुकी है। इसके बावजूद अभी तक मुद्दा वहीं खड़ा है, जहां शुरू हुआ था। इस डीपीआर को किनारे करते हुए अब नई डीपीआर की बात कही जा रही है, जबकि बीजेपी की नीयत में शेखावाटी को यमुना का पानी दिया जाना है नहीं।

दस्तावेज और कुछ बैठकों और बयानों का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी शासित हरियाणा और केन्द्र की सरकार राजस्थान को उसके हक का पानी नहीं देना चाहती।"

Jaipur | कांग्रेस अब यमुना के पानी पर हुए समझौते पर बीजेपी को घेरेगी। हाल ही में राजस्थान की भजनलाल सरकार और मनोहरलाल खट्टर की हरियाणा सरकार ने इस प्रकरण की नए सिरे से डीपीआर बनाने पर काम शुरू करने का दावा किया है। परन्तु राजस्थान की कांग्रेस पार्टी ने इसमें नया खुलासा करते हुए मनोहरलाल खट्टर के बयानों और कुछ दस्तावेज को प्रेस वार्ता के माध्यम से जनता के सामने प्रस्तुत किए हैं। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रवक्ता यशवर्धन सिंह शेखावत और नीम का थाना के विधायक सुरेश मोदी ने कहा कि यह एक तरह से राजस्थान के साथ छलावा है।

यमुना जल संघर्ष समिति के संयोजक यशवर्धनसिंह शेखावत से जब हमने बात की तो सामने आया कि हालात और भी विकट है और लोग इसके लिए लामबंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यमुना जल के लिए संघर्ष कर रहे हैं झुंझुनूं जिले और शेखावाटी के लोग। नासा की रिपोर्ट के अनुसार यदि दुनिया में सबसे अधिक भू—जल स्तर कहीं गिर रहा है तो वह शेखावाटी का है।

बावजूद इसके सरकारें मौन है। ईआरसीपी परियोजना को अमली जामा पहनाकर केन्द्र ने राजस्थान के पूर्वी हिस्से को तो सौगात दे दी है, लेकिन यह इलाका अब डार्क जोन में है।

पीने का पानी नहीं, सिंचाई तो छोड़िए। पेयजल भी घटिया खनिज लवणों से युक्त है। यमुना का पानी राजस्थान को दिए जाने को लेकर 31 हजार करोड़ की परियोजना रिपोर्ट बन चुकी है। इसके बावजूद अभी तक मुद्दा वहीं खड़ा है, जहां शुरू हुआ था। इस डीपीआर को किनारे करते हुए अब नई डीपीआर की बात कही जा रही है, जबकि बीजेपी की नीयत में शेखावाटी को यमुना का पानी दिया जाना है नहीं। उन्होंने दस्तावेज और कुछ बैठकों और बयानों का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी शासित हरियाणा और केन्द्र की सरकार राजस्थान को उसके हक का पानी नहीं देना चाहती।

सुरेश मोदी ने बताई यमुना के पानी की जरूरत और संघर्ष के रूपरेखा की कहानी
नीम का थाना विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश मोदी ने  प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए यमुना के पानी की आवश्यकता और संघर्ष के रूपरेखा की कहानी बताई। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रवक्ता यशवर्धन सिंह शेखावत के साथ मीडिया से मुखातिब सुरेश मोदी ने कहा कि यह पानी शेखावाटी का हक है और हरियाणा इसे इस तरह नहीं रोक सकता।

यमुना का पानी राजस्थान को दिए जाने पर मनोहरलाल खट्टर का बयान
इन्होंने एक एग्रीमेंट की चर्चा की है। उसके बाद उसी समय जो एग्रीमेंट 2000 के बाद 2001 या 2002 में फिर एक एग्रीमेंट हुआ। जिसके अंदर बाकायदा ये बताया गया कि कहां कहां से पानी अवेलेबल होगा।

पहले पानी के कहां से अवेलेबल लेना है। इसका कोई जिक्र नहीं था। केवल उसमें पानी का बंटवारा किया गया था कि इतना पानी हरियाणा को मिलेगा। इतना पानी राजस्थान को मिलेगा। इतना... अलग—अलग प्रदेशों के हिसाब से था। 

आपने ठीक कहा कि पांच प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने किया। लेकिन पानी कहां से मिलेगा यह नहीं था। फिर से जो एक समझौते में तय किया गया था कि हथिनी कुण्ड से इतना मिलेगा, हुकना से इतना मिलेगा। वो शायद 19 सौ कुछ क्यूसेक पानी हथिनी कुण्ड से उनका मिला हुआ था। 

लगातार से इसमें कई विवाद चलते रहे। विवादों में यह था कि उनका प्रो रेटा पानी यानि जितना पानी अवेलेबल होगा उसका प्रकोस्टरेटली हरियाणा और राजस्थान और बाकी सब लेंगे। 

इस पर हरियाणा का अपना स्टैंड था कि नहीं हम यह नहीं करेंगे। हरियाणा की जितनी आवश्यकता है। जो हमारी उस समय कैपेसिटी थी तेरह हजार क्यूसेक की। हमें तेरह हजार क्यूसेक हमें पहले दे दो। 

बाद में पानी आपका बचता है वो हथिनी कुंड ले लो। संयोग से बाद में हरियाणा का स्टैंड यह रहा कि हमें अपना पानी चाहिए, पूरा चाहिए। आगे चलकर के हमने उस तेरह हजार को अठारह हजार किया। 

अठारह हजार हमारा हो गया। अब अठारह हजार हमें चाहिए उसके बाद आपको मिलेगा। यह झगड़ा उस समय से यही चल रहा था। इसके उपर हरियाणा सरकार का यही स्टैंड था कि हम पहले हरियाणा का पानी पूरा करके बाद में बचेगा तो आपको मिलेगा।

इस बीच में हमने अपने हरियाणा के लोगों की सहूलियत के लिए या अपनी अवेलेबिलिटी के हिसाब से अपनी कैपेसिटी कर ली है चौबीस हजार क्यूसेक। जो पहले उस समय 13 हजार क्यूसेक थी। आज हमारी अपना सिस्टम हमने उसको अपग्रेड किया है। तो वो हो गया चौबीस हजार क्यूसेक। देखा जाए तो उस समय हमारा स्टैंड 13 हजार का था। तेरह हजार के बाद भी हम हां कर चुके थे। लेकिन इतने साल समझौता नहीं हुआ। 

आज हमारी कैपेसेटी 18 हजार तो हम ले रहे हैं। अगला जो है। जिस भी आधार पर नया रूप प्रारूप जो बन रहा है  वह है चौबीस हजार। आज हमने कहा है कि चौबीस हजार तक तो हम नहीं देंगे। 

चौबीस हजार के अगर वर्षा के दिनों में जब बाढ़ का पानी आता है। सब तक तरफ फैलता है। यमुना में चला जाता है। उसकी अगर आपको चाहिए तो हम दे सकते हैं उससे नीचे नहीं। 

मात्र पन्द्रह से बीस दिन ऐसा होता है कि वर्षा के दिनों में छह—छह लाख, आठ—आठ लाख क्यूसेक पानी आ जाता है। उसके बाद भी उसके उपर दिया। फिर हमने एक अप्लीकेशन लगाई है। उसके बाद भी अगर उपर होता है, उपर होता है तो उसमें वन फोर्थ पानी हम लेंगे।

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