अक्षरधाम मंदिर में भव्य बाल-उत्सव मेला: खेल-खेल में बच्चों ने सीखे अध्यात्म के उच्च मूल्य 

• स्वामिनारायण अक्षरधाम में बचपन से पुनः परिचय  • प्रत्येक ह्रदय में उमंग-तरंग, अक्षरधाम बाल उत्सव के संग  • उत्साह और उल्लास भरा मेला  • आनंद की बेला, ख़ुशियों का रेला - स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर में ‘अक्षरधाम उत्सव मेला’

akshardham temple bal mela magic show

• स्वामिनारायण अक्षरधाम में बचपन से पुनः परिचय 
• प्रत्येक ह्रदय में उमंग-तरंग, अक्षरधाम बाल उत्सव के संग 
• उत्साह और उल्लास भरा मेला 
• आनंद की बेला, ख़ुशियों का रेला - स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर में ‘अक्षरधाम उत्सव मेला’

दिल्ली | इस वर्ष, ‘अक्षरधाम बाल उत्सव’ का आयोजन  स्वामिनारायण अक्षरधाम, दिल्ली के सत्संग-मंदिर के परिसर में हुआ। लगभग पाँच एकड़ क्षेत्रफल के मैदान में ५० पंडालो के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के खेलों, झूलों, प्रदशनियों और भोजनालयों की सुप्रबंधित व्यवस्था थी।

मेले के सभी प्रावधान, ५ से ३० वर्ष तक की आयु वर्ग के सभी जनों की रुचि के अनुसार थे। हज़ारों की संख्या में बच्चे और युवान अपने मित्रों, रिश्तेदारों तथा अभिभावकों के साथ इस मनोरंजक मेले में सम्मिलित हुए।

इस बाल मेले के झूमते वातावरण को देखकर बच्चों के साथ-साथ वयस्कों का भी उत्साह बेजोड़ था।

खेलों और झूलों में चढ़ते, फिसलते, उठते, गिरते, झूमते, निशाना-लगाते, जीतते, हारते, एकजुट होते बच्चे, आज इस मैदान में सफल जीवन-शैली के सभी पाठ सीख रहे थे। वे खेल खेल में अध्यात्म के उच्च मूल्यों के पाठ सीख रहे थे. 

आर्टिफ़िशल इंटेलीजंस और नेनो टेक्नॉलजी के इस युग में इनके लिए विज्ञान एवं गणित के सिद्धांतो पर आधारित क्रीड़ाएँ भी थी।

मेले की चहल-पहल में जादूगर के चमत्कार, जोकर की शरारतें, पशुओं की पोशाक में करतब दिखाते बालक, हलचल मचाते हुए नृत्य, हास्यपूर्ण नाटक और सुरीले वाद्य शामिल थे।

‘मेरा देश मेरा गौरव' तथा 'वासुदेव कुटुम्बकम्" की भावनाओं का सृजन करते, प्रस्तुतीकरण भी इस मेले का महत्वपूर्ण हिस्सा थेI 

लज़्ज़तदार और स्वादिष्ट भोजन में वयस्क लीन और प्रसन्नचित्त थे। सभी आगंतुकों के चहेरे की उमंग-तरंग से मेले का उल्लास बढ़ता चला गया और संध्या आते-आते, सभी के मन में यह विचार आया कि काश, जीवन का प्रत्येक दिन इस उत्सव के समान हो जाए।

स्वामिनारायण अक्षरधाम को इस रसमय दिन के लिए धन्यवाद देते हुए सभी ने अगले ‘अक्षरधाम उत्सव मेले’ में उपस्थित होने के संकल्प सहित विदा ली। 

अक्षरधाम संस्थान के प्रमुख  एवं  गुरु परम पूज्य महंत स्वामीजी महाराज ऐसे उत्सवों के माध्यम से इन बच्चों को भारत के समर्थ नागरिक बनाने के लिए हमेशा कटिबद्ध रहे हैं ।