अंता उपचुनाव: त्रिकोणीय मुकाबला: अंता उपचुनाव: BJP-कांग्रेस में कांटे की टक्कर, निर्दलीय चुनौती
राजस्थान (Rajasthan) की अंता विधानसभा सीट (Anta Assembly Seat) पर उपचुनाव का राजनीतिक पारा चरम पर था। BJP और कांग्रेस (Congress) ने पूरी ताकत झोंकी। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा (Naresh Meena) ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया।
अंता: राजस्थान (Rajasthan) की अंता विधानसभा सीट (Anta Assembly Seat) पर उपचुनाव का राजनीतिक पारा चरम पर था। BJP और कांग्रेस (Congress) ने पूरी ताकत झोंकी। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा (Naresh Meena) ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया।
अंता उपचुनाव: सियासी घमासान और त्रिकोणीय संघर्ष
राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव का राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ था।
यह सीट भाजपा के कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के बाद खाली हुई थी।
उन्हें 20 साल पुराने एक मामले में सजा मिलने के कारण विधायकी गंवानी पड़ी थी।
अब इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस और एक निर्दलीय उम्मीदवार के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला।
निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा दोनों प्रमुख दलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे थे।
प्रमुख उम्मीदवार और चुनावी समीकरण
अंता सीट पर कुल 2.27 लाख मतदाता हैं, जो चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन मतदाताओं में मीणा, माली, गुर्जर और धाकड़ समाज के वोटर निर्णायक माने जाते हैं।
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को 5861 वोटों के अंतर से हराया था।
इस उपचुनाव में भाजपा ने मोरपाल सुमन को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मोरपाल सुमन माली समाज से आते हैं और उनकी स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ मानी जाती है।
वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया है।
प्रमोद जैन भाया दो बार विधायक रह चुके हैं और पूर्व मंत्री भी हैं, जिससे उनका अनुभव चुनाव में काम आ सकता है।
स्टार प्रचारकों का जमावड़ा और जातिगत समीकरण
भाजपा ने इस महत्वपूर्ण सीट को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 6 नवंबर को मंगलोर में एक संयुक्त रोड शो किया था।
इस दौरान वसुंधरा राजे ने पिछली सरकार के वादों को पूरा करने की बात कही थी।
भाजपा ने केंद्रीय मंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित 40 से अधिक स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा था।
पार्टी विशेष रूप से माली समाज के वोटों को साधने पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, जिनकी संख्या लगभग 45 हजार है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का प्रभाव भी इस चुनाव में एक बड़ा कारक माना जा रहा था, क्योंकि कंवरलाल मीणा उनके करीबी माने जाते थे।
कांग्रेस ने भी अपने प्रमुख नेताओं और स्टार प्रचारकों को अंता में उतारा था ताकि सीट पर कब्जा जमाया जा सके।
यह उपचुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था।