कड़ाके की सर्दी: राजस्थान में शीत लहर और पाले की आशंका, फसलों को बचाने के लिए किसान करें यह उपाय

गंधक के तेजाब का छिड़काव: फसलों को पाले से बचाने हेतु गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात एक हजार लीटर पानी में एक लीटर सान्द्र गंधक का तेजाब का घोल तैयार कर फसलों पर छिड़काव करें अथवा घुलनशील गंधक के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं।

जयपुर | राजस्थान में कड़ाके की सर्दी के बीच पाला पड़ने की आशंका है। लगातार चल रही शीतलहर के बीच कृषि विभाग ने अलर्ट जारी किया हैं 
कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बताया कि शीतलहर व पाले से फसलों को नुकसान होने की सम्भावना रहती है जिससे पौधों की पत्तियां व फूल झुलसकर झड़ जाते है एवं पौधों की फलियों-बालियों में दाने बनते नही हैं या सिकुड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि रबी की फसलों में फूल व बालियों के समय पाला पड़ने पर सर्वाधिक नुकसान की संभावना रहती है। इस समय किसानों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए।

शीतलहर व पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय

  1. गंधक के तेजाब का छिड़काव: फसलों को पाले से बचाने हेतु गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात एक हजार लीटर पानी में एक लीटर सान्द्र गंधक का तेजाब का घोल तैयार कर फसलों पर छिड़काव करें अथवा घुलनशील गंधक के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं।
  2. नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के तापमान को कम होने से बचाने के लिए फसलों को टाट, पॉलिथिन अथवा भूसे से ढक दें।
  3. पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है।
  4. पाले के स्थाई समाधान के लिए खेतों की उत्तर-पश्चिम दिशा में मेढ़ों पर घने ऊंचे वृक्ष लगायें।

शीतलहर व पाले के लक्षण

  1. आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान काफी कम हो जाये तब पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
  2. दिन के समय दोपहर में पहले ठण्डी हवा चल रही हो व हवा का तापमान अत्यन्त कम होने लग जाये और दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाये तब पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है।

पाले के कारण पौधों को होने वाला नुकसान

  1. पाले के कारण पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जल जमने से कोशिका भित्ति फट जाती है, जिससे पौधों की पत्तियां, कोंपलें, फूल एवं फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
    फसलों की पैदावार में कमी आ जाती है।
  2. किसानों को शीतलहर व पाले से फसलों की सुरक्षा के लिए इन उपायों को अपनाना चाहिए। इससे फसलों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।