जयपुर में क्यों जुट रहे हैं जाट: जाट महाकुंभ सौ साल बाद हो रहा है और उसका उद्देश्य क्या है, पूर्व आईपीएस के. राम ने कहा पांच लाख समाजबंधु जुटेंगे

जाट महाकुंभ सौ साल बाद हो रहा है और उसका उद्देश्य क्या है, पूर्व आईपीएस के. राम ने कहा पांच लाख समाजबंधु जुटेंगे
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के. राम ने बताया कि 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी तक ओबीसी आरक्षण को किए जाने की भी मांग है। यही नहीं उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम सिस्टम के बजाय आईजेएस सेवाओं का चयन भी एक प्रमुख मांग रहेगी।

आरटीई कानून के तहत पहली के अलावा कक्षाओं में गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में चयन एक बड़ी मांग रहेगा। तीसरा बिंदु पानी, पशु और पर्यावरण रहे।

उत्तरी राजस्थान के लिए भाखड़ा नांगल है। शेखावाटी के लिए यमुना, दक्षिण राजस्थान के लिए नर्मदा जल की मांग की जाएगी। यही नहीं किसानों को उपज का उचित दाम और खरीद की अनिवार्यता समेत तमाम बिंदुओं पर बातें रहेंगी।

जयपुर | जयपुर शहर में एक महाकुंभ हो रहा है। आयोजन करीब 100 साल बाद हो रहा है। जाट महाकुंभ के तौर पर जाट समाज का सबसे बड़ा आयोजन हो रहा है। जयपुर में पांच मार्च 2023 को विद्याधर नगर स्टेडियम में लाखों की संख्या में जाट समाज के लोग जुटें। इसकी तैयारियों की कैंपेन समिति के संयोजक के. राम ने हमारे से बात की।

के. राम सेवानिवृत्त आईपीएस हैं और पूर्वोत्तर के राज्यों में डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के तौर पर सेवाएं दी हैं। जाट समाज में काफी बड़ा नाम आपका रहा है। अन्य समाज में आपको आदर और विचारधारा के उन्नत व्यक्ति के रूप में माना जाता है।

के. राम ने बताया कि क्षत्रिय समाज के इवेंट में एक सकारात्मक इमेज बनी और यह एक तरह का कॉम्पिटेटिव स्पिरिट है। जाट समाज भी 100 साल पहले जो पुष्कर में इस तरह का आयोजन कर चुका है।

जिसका आयोजन भरतपुर महाराजा ने किया था। के. राम ने कहा कि अब 100 साल बाद आज समाज का स्टैंड कहां है और समाज राष्ट्र के उत्थान और मजबूती में कैसे ज्यादा बढ़ चढ़ के हिस्सा ले सकता है और समाज के सामने जो चुनौतियां है। उसमें चिंतन करके आगे का रोड मेप क्या होना चाहिए। इस पर काम होगा।

के. राम ने बताया कि आर्थिक उत्थान एक पक्ष जो है पक्ष है और वह बड़ा महत्वपूर्ण हो गया कि 1947 में कृषि आधारित जनसंख्या देश की लगभग 70% थी और आज जो विकसित राष्ट्र है अमेरिका वियतनाम जापान और मुश्किल से 6 से 8% लोग ही खेती पर आधारित है।

ऐसे में जाट हो, पटेल हों, मराठा हों, राजपूत हों, इनको धीरे-धीरे दूसरे व्यापारों में जाना पड़ रहा है। ऐसे में यह कोशिश  भी है कि हम यहां कैसे अपने आपको सिरमौर कर सकें।

के. राम ने बताया कि 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी तक ओबीसी आरक्षण को किए जाने की भी मांग है। यही नहीं उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम सिस्टम के बजाय आईजेएस सेवाओं का चयन भी एक प्रमुख मांग रहेगी।

इससे न्यायपालिका अधिक मजबूत बन सकेंगे। आरटीई कानून के तहत पहली के अलावा कक्षाओं में गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में चयन एक बड़ी मांग रहेगा। तीसरा बिंदु पानी, पशु और पर्यावरण रहे।

उत्तरी राजस्थान के लिए भाखड़ा नांगल है। शेखावाटी के लिए यमुना, दक्षिण राजस्थान के लिए नर्मदा जल की मांग की जाएगी। यही नहीं किसानों को उपज का उचित दाम और खरीद की अनिवार्यता समेत तमाम बिंदुओं पर बातें रहेंगी।

के. राम ने बताया कि जनता को पौष्टिक भोजन समेत तमाम मुद्दे हैं, जो किसी जाति से नहीं बल्कि जनहित से जुड़े हैं। गोशालाओं को मिलने वाला अनुदान गाय पालने पर पशुपालक को भी मिले। इससे बच्चों को शुद्ध दूध और बुजुर्गों को काम मिल सकेगा। 

संत भी आएंगे
के. राम ने बताया कि इस आयोजन में संत भी आएंगे और जाति—समाज से इतर संत भी इस महाकुंभ में शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग आएंगे और ऐसे समाजबंधु भी आएंगे जो पहले जाट समाज में थे और बाद में पंथ बदलकर सिख, जसनाथी या विश्नोई आदि हो गए।

पांच लाख का टारगेट
के. राम ने बताया कि इस आयोजन में कम से 5 लाख तो हो ही जाएगा। क्योंकि समाजबंधुओं में बहुत बड़ा जोश है। एक कॉम्पिटेटिव स्प्रिट भी हो गई है। राजपूत समाज की तुलना में जाटों की संख्या डबल है तो उनका डबल तो लाना ही पड़ेगा। इज्जत का सवाल है दूसरा धर्म में जो चले गए उनको भी बुला रहे हैं।

सिख बन गए बिश्नोई बन गए आर्य समाज ही बन गए वो सब भी आएंगे। के. राम ने कहा कि कुल मिलाकर इस आयोजन का उद्देश्य है कि जाट समाज राष्ट्र की मजबूती में जाट कॉम क्या योगदान दे सकती है। यही इस आयोजन का अहम उद्देश्य है।

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