Rajasthan: जालोर में नर्मदा पाइपलाइन में 10 बार लीकेज, किसान कर्ज में डूबे
जालोर (Jalore) के निंबलाना गांव में नर्मदा (Narmada) पाइपलाइन में बार-बार लीकेज से किसानों की अनार व जीरे की फसलें चौपट हो रही हैं, जिससे वे कर्ज में डूब रहे हैं। कुछ महीनों में 10 बार लीकेज हो चुका है।
जालोर: जालोर (Jalore) के निंबलाना गांव में नर्मदा (Narmada) पाइपलाइन में बार-बार लीकेज से किसानों की अनार व जीरे की फसलें चौपट हो रही हैं, जिससे वे कर्ज में डूब रहे हैं। कुछ महीनों में 10 बार लीकेज हो चुका है।
जालोर जिले के निंबलाना गांव में नर्मदा पाइपलाइन का बार-बार फटना किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। हाल ही में रविवार को एक बार फिर पाइपलाइन में भारी लीकेज हुआ, जिससे आसपास के खेत पानी से भर गए और खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं।
किसानों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में यह पाइपलाइन 10 बार फट चुकी है। सिंचाई विभाग इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं कर रहा है।
फसलें बर्बाद, किसान कर्ज में
किसान बाबूलाल चौधरी ने बताया कि नर्मदा पाइपलाइन से लगातार लीकेज के कारण लाखों रुपए की अनार और जीरे की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। खेतों में पानी भर जाने से पौधे सड़ जाते हैं।
इस स्थिति ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है। उनके लिए अगली फसल की तैयारी करना भी मुश्किल हो गया है।
कर्ज का दुष्चक्र
बाबूलाल चौधरी ने आगे बताया कि हर बार पाइपलाइन फटने और खेत डूबने के बाद फसलें खराब हो जाती हैं। किसानों को फिर से कर्ज लेकर खेती करनी पड़ती है, जिससे वे कर्ज के दुष्चक्र में फंस रहे हैं।
किसानों ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन उन्हें कोई ठोस समाधान नहीं मिला है।
अस्थायी पैचवर्क नाकाफी
ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने नर्मदा विभाग के अधिकारियों को कई बार मौके पर बुलाया और लीकेज की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने शिकायतें दर्ज करवाईं और फोटो-वीडियो भी भेजे।
इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। विभाग केवल अस्थायी पैचवर्क करता है, जिससे कुछ दिनों बाद पाइपलाइन फिर फट जाती है और किसानों को दोबारा नुकसान झेलना पड़ता है।
स्थायी समाधान की मांग
ग्रामीणों ने नर्मदा विभाग से आग्रह किया है कि बार-बार हो रहे लीकेज का जल्द से जल्द स्थायी समाधान किया जाए। उनका कहना है कि जब तक पाइपलाइन को सही तरीके से दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की फसलें सुरक्षित नहीं रह सकतीं।
किसानों की मांग है कि विभाग इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान दे और एक दीर्घकालिक हल निकाले ताकि उन्हें बार-बार होने वाले नुकसान से मुक्ति मिल सके।