ट्विटर पर पहले नंबर पर ट्रेंड : SKPF का ईडब्ल्यूएस आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए पीएम और सीएम के नाम ज्ञापन
आर्थिक रूप से पिछड़े अनारक्षित वर्गों को आरक्षण देने हेतु 1 मई से 13 मई तक एसकेपीएफ ने अभियान चलाकर पूरे राजस्थान में 218 स्थानों पर तहसील, उपखण्ड व जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिए हैं।
जयपुर | राजस्थान में श्री क्षत्रिय युवक संघ के आनुषंगिक संगठन श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन (SKPF) के तत्वावधान में प्रदेश भर में ईडब्ल्यूएस आरक्षण में आ रही विसंगतियों के संबंध में प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने की मुहिम प्रारम्भ की गई।
आर्थिक रूप से पिछड़े अनारक्षित वर्गों को आरक्षण देने हेतु 1 मई से 13 मई तक एसकेपीएफ ने अभियान चलाकर पूरे राजस्थान में 218 स्थानों पर तहसील, उपखण्ड व जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिए हैं।
इसी को लेकर एसकेपीएफ ने ट्विटर पर भी ट्रेंड चलाया और पूरे देश 1 लाख 15 हज़ार ट्वीट के साथ पहले नंबर पर #JusticeForEWS ट्रेंड हुआ।
बता दें कि, इससे पहले भी एसकेपीएफ ने 1000 से अधिक पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों से प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखवाकर केंद्र में विद्यमान विसंगतियों को दूर करने का निवेदन किया था।
ज्ञापन में क्या है मांग ?
श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में दिए गए ज्ञापन में प्रधानमंत्री का आभार जताते हुए उसमें मौजूद विसंगतियों को दूर करने का निवेदन किया गया।
केंद्र में आर्थिक पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की पात्रता हेतु आय के साथ संपत्ति की शर्तों को भी शामिल किया गया है।
इसमें कहा गया है कि
1 - केंद्र में EWS आरक्षण की विसंगतियां दूर करें
2 - राजस्थान में EWS आरक्षण की सीमा 14% करें
3 - पंचायती राज, शहरी निकाय व अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं में भी EWS आरक्षण लागू करें।
मुख्यमंत्री से की गई ये मांगें
- राजस्थान विधानसभा में 16 जुलाई 2008 व 23 सितंबर 2015 को सर्वसम्मति से अनारक्षित वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक पारित किया गया था, जबकि वर्तमान में केवल 10 फीसदी ही दिया गया है। अतः इसे 14 फीसदी किया जाए।
- आरक्षण केवल सरकारी नौकरी व शिक्षा में ही दिया गया, जबकि अन्य सभी आरक्षण पंचायती राज व अन्य स्थानीय स्वायत्तशासी संस्था चुनावों में भी लागू है।
- अनारक्षित वर्ग के आर्थिक पिछड़ा वर्ग का स्थानीय राजनिति में प्रतिनिधित्व निरन्तर घटता जा रहा है। अतः पंचायती राज संस्थाओं, नगर निकायों व अन्य सभी स्वायत्तशासी संस्थाओं में लागू किया जाए।