BJP: नितिन नबीन बने BJP कार्यकारी अध्यक्ष: PM की मीटिंग, शाह का आदेश
भाजपा (BJP) ने नितिन नबीन (Nitin Naveen) को अपना नया कार्यकारी अध्यक्ष (Working President) घोषित किया। यह फैसला प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ऑनलाइन बैठक (Online Meeting) और गृह मंत्री (Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) के निर्देश पर लिया गया, जिसकी जानकारी केवल तीन लोगों को थी।
दिल्ली:भाजपा (BJP) ने नितिन नबीन (Nitin Naveen) को अपना नया कार्यकारी अध्यक्ष (Working President) घोषित किया। यह फैसला प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ऑनलाइन बैठक (Online Meeting) और गृह मंत्री (Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) के निर्देश पर लिया गया, जिसकी जानकारी केवल तीन लोगों को थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे एक लंबी और गोपनीय प्रक्रिया रही है। इस फैसले की इनसाइड स्टोरी बताती है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ने एक युवा नेता को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।
नितिन नबीन के कार्यकारी अध्यक्ष बनने की इनसाइड स्टोरी
14 दिसंबर को भाजपा ने नितिन नबीन के नाम का ऐलान पार्टी के नए कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर किया। यह घोषणा पार्टी के भीतर भी कई लोगों के लिए अप्रत्याशित थी, क्योंकि इस फैसले की भनक कुछ ही लोगों को थी।
पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह लखनऊ में एक कार्यक्रम में व्यस्त थे, तभी उनके फोन की घंटी बजी। यह फोन गृह मंत्री अमित शाह का था, जिन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम फाइनल होने की सूचना दी और नितिन नबीन के नाम का लेटर तुरंत जारी करने का निर्देश दिया।
अगले एक घंटे के भीतर, लेटर तैयार होकर पार्टी और संगठन के बीच सर्कुलेट हो गया। यह प्रक्रिया इतनी तेजी से हुई कि कई वरिष्ठ नेताओं को भी इसकी जानकारी घोषणा के बाद ही मिली।
2020 से जेपी नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और 2024 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था। तब से वे एक्सटेंशन पर थे, जिससे नए अध्यक्ष की तलाश जारी थी।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, इस महत्वपूर्ण फैसले के सिर्फ तीन ही राजदार थे, जिन्होंने अंतिम क्षण तक इस जानकारी को गोपनीय रखा। यह दिखाता है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कितनी सावधानी और गोपनीयता से इस प्रक्रिया को अंजाम दिया।
पीएम मोदी की ऑनलाइन मीटिंग और अपेक्षित गुण
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने पार्लियामेंट्री बोर्ड के सभी सदस्यों को दो घंटे के नोटिस पर ऑनलाइन मीटिंग में जुड़ने का संदेश भेजा। इस मीटिंग में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने मीटिंग को संबोधित करते हुए पूछा कि पार्टी के लिए कैसा राष्ट्रीय अध्यक्ष चाहिए और उसमें किन गुणों की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी नाम की नहीं, बल्कि उन खासियतों की सूची चाहिए जो सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष में देखना चाहते हैं।
बोर्ड के सदस्यों की ओर से अध्यक्ष के लिए संभावित गुणों की एक लंबी सूची आने लगी। इसके बाद एक अंतिम सूची तैयार हुई, जिसमें मोटे तौर पर 4-5 बातें सबसे ज्यादा बार दोहराई गई थीं।
अध्यक्ष के लिए सुझाए गए प्रमुख गुण
- युवा चेहरा
- संगठन और पार्टी में तालमेल बैठाए
- विवादित न हो
- संघ और पार्टी दोनों का बैकग्राउंड हो
- हिंदी भाषी हो
पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्यों की यह मीटिंग लगभग 45-50 मिनट तक चली। हालांकि, इसमें न तो किसी नाम पर चर्चा हुई और न ही यह बताया गया कि दो दिन बाद ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा।
अमित शाह का आदेश और लेटर जारी
14 दिसंबर की शाम 4 बजे, लखनऊ में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह को अमित शाह का फोन आया। शाह ने उन्हें फौरन पार्टी के नए कार्यकारी अध्यक्ष के नाम का लेटर तैयार करवाकर सर्कुलेट करने का निर्देश दिया, जिसमें नितिन नबीन का नाम बताया गया।
इस निर्देश के बाद, एक घंटे के भीतर लेटर तैयार होकर सर्कुलेट भी हो गया। इस फैसले से पार्टी में खलबली मचने जैसी स्थिति तो नहीं थी, लेकिन जो लोग अध्यक्ष पद की दौड़ में थे, उन्हें निश्चित रूप से झटका लगा होगा।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कुछ नेताओं को इस फैसले से निराशा हुई, जिनसे उनकी बातचीत भी हुई थी। यह दिखाता है कि इस घोषणा ने कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
फैसले के तीन राजदार
भाजपा सूत्रों ने बताया कि जिस दिन नितिन नबीन के नाम का ऐलान हुआ, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और गृह मंत्री अमित शाह, अमित शाह के घर पर मौजूद थे। यहीं से बीएल संतोष ने नितिन नबीन को लेटर जारी होने से कुछ घंटे पहले फैसले की जानकारी दी।
उस वक्त इस बारे में सिर्फ इन्हीं तीन लोगों को पता था। ये लोग एक साथ कितनी देर तक थे, यह तो नहीं पता, लेकिन यह बात पक्की है कि वे गृह मंत्री के घर पर एक साथ थे।
क्या इनके अलावा पार्टी के किसी और सीनियर लीडर को इसकी जानकारी थी, यह जानने के लिए हमने कुछ पार्टी लीडरों से भी बात की। उनका कहना था कि इस बारे में उन्हें भी तब पता चला, जब नितिन नबीन के नाम का लेटर जारी हुआ।
नितिन नबीन को कब मिली खुशखबरी?
नितिन नबीन को इस फैसले के बारे में कब पता चला, यह जानने के लिए हमने उनके एक करीबी सूत्र से बात की। उन्होंने बताया कि ऐलान के दिन सुबह तक नितिन नबीन को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था कि उनका नाम फाइनल हुआ है।
वह अपनी विधानसभा सीट बांकीपुर में कार्यकर्ता सम्मान कार्यक्रम में व्यस्त थे। यह कार्यक्रम बिहार में जीत की खुशी में नबीन ने ही कार्यकर्ताओं के सम्मान में रखा था।
इसी दौरान दोपहर 2 से 2.30 बजे के करीब उनके पास संगठन महामंत्री बीएल संतोष का फोन आया। संतोष ने उन्हें फौरन दिल्ली आने को कहा और बताया कि उनका नाम अध्यक्ष पद के लिए तय हुआ है।
प्रवक्ताओं को हिदायत और गोपनीयता
भाजपा राष्ट्रीय कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, 13 दिसंबर को करीब 3 बजे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में एक मीटिंग हुई। यह मीटिंग भाजपा के सीनियर लीडर विनोद तावड़े के नेतृत्व में हुई थी, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के सभी प्रवक्ता मौजूद थे।
मीटिंग में सभी से यूपी अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कोई भी बयान देने से बचने के लिए कहा गया था। यह भी हिदायत दी गई थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कयास भरे बयानों से बचा जाए।
हालांकि, मीटिंग में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के न तो नाम पर चर्चा हुई और न ही घोषणा की तारीख पर। यह जरूर कहा गया था कि यूपी अध्यक्ष की घोषणा के एक घंटे बाद से लेकर एक महीने बाद तक कभी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि सबको यही लगा कि खरमास के खत्म होते ही पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा, क्योंकि अध्यक्ष बनाने की एक प्रक्रिया होती है, जिसे पूरा करने में 3-4 दिन लग जाते हैं।
कार्यकारी अध्यक्ष के चयन पर अनौपचारिक प्रक्रिया
पार्टी कार्यालय के एक कार्यकर्ता ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई और न ही कोई नोटिफिकेशन जारी हुआ। वैसे तो इस तरह के चुनाव बहुत कॉन्फिडेंशियल होते हैं।
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और आरएसएस के वरिष्ठजनों की राय से ही फैसला होता है। राष्ट्रीय स्तर पर औपचारिक मीटिंग जरूर होती है, लेकिन अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर यह मीटिंग नहीं हुई।
कार्यकर्ता ने आगे बताया कि जगत प्रकाश नड्डा का चुनाव भी पहले ऐसे ही हुआ था, जब वह कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। अमित शाह गृह मंत्री बने और उसके एक-दो दिन बाद ही नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था।
फिर 6-7 महीनों बाद जब वह स्थायी अध्यक्ष बने, तब पूरी प्रक्रिया हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यकारी अध्यक्ष के लिए यह प्रक्रिया जरूरी नहीं है।
कार्यकारी अध्यक्ष की शक्तियां और सीमाएं
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कार्यकारी अध्यक्ष अभी स्वतंत्र रूप से कोई फैसला नहीं ले पाएंगे। कार्यकारी अध्यक्ष न तो टीम से किसी सदस्य को निकाल सकता है और न ही नया सदस्य जोड़ सकता है।
मतलब वह पुराने स्ट्रक्चर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। जो काम या प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उसे उन्हीं की निगरानी करना और बैठकें करना होगा।
यह पद मुख्य रूप से संगठन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को संभालने और चल रही परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा। बड़े नीतिगत फैसले अभी भी शीर्ष नेतृत्व के परामर्श से ही लिए जाएंगे।
पुराने अध्यक्ष का दखल और कार्यभार हस्तांतरण
पुराने अध्यक्ष जेपी नड्डा को कुछ वक्त मिलेगा कि वह अपने काम ट्रांसफर कर सकें। जिन फैसलों पर काम चल रहा है, उन्हें नए अध्यक्ष को विस्तार से बता सकें।
ऐसे में उनका कुछ हद तक दखल बना रहेगा, ताकि सुचारु रूप से सत्ता का हस्तांतरण हो सके और पार्टी के कामकाज में कोई बाधा न आए। यह सुनिश्चित करेगा कि महत्वपूर्ण परियोजनाएं और रणनीतियाँ निर्बाध रूप से जारी रहें।
नितिन नबीन का मंत्रिपद से इस्तीफा
नितिन नबीन ने 16 दिसंबर को मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है। बिहार सरकार में उनके पास पथ निर्माण विभाग और नगर विकास विभाग की जिम्मेदारी थी।
अब ये विभाग किसी और मंत्री को सौंपे जाएंगे। भाजपा में लंबे समय से ‘एक व्यक्ति एक पद’ का सिद्धांत लागू है, जिसके तहत नितिन नबीन को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा है।
उन्होंने 15 नवंबर को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचकर पदभार संभाला। यह सिद्धांत पार्टी में पारदर्शिता और कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
युवा नेतृत्व को मिली बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा ने बिहार सरकार के मंत्री नितिन नबीन को अपना राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। वे इस पद पर पहुंचने वाले सबसे युवा नेताओं में से एक हैं, जिनकी उम्र महज 45 साल है।
अमित शाह जब अध्यक्ष बने थे तो उनसे 5 साल बड़े यानी 50 साल के थे। नितिन नबीन को भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने की भनक नहीं थी, जो उनकी निष्ठा और समर्पण का परिणाम है।
यह नियुक्ति दर्शाती है कि पार्टी युवा और समर्पित नेताओं को महत्वपूर्ण भूमिकाएं देने के लिए तैयार है, जो संगठन को नई ऊर्जा प्रदान कर सकें।