Uttarpradesh: यूपी भाजपा की नई टीम का गठन, जातीय समीकरण साधेंगे नए कैप्टन

उत्तर प्रदेश भाजपा (Uttar Pradesh BJP) को नया अध्यक्ष पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) मिलने के बाद अब नई प्रदेश टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आगामी पंचायत (Panchayat) और विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को देखते हुए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए क्षेत्रीय और अग्रिम मोर्चों के अध्यक्षों में बदलाव होगा।

यूपी भाजपा की नई टीम: जातीय संतुलन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा (Uttar Pradesh BJP) को नया अध्यक्ष पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) मिलने के बाद अब नई प्रदेश टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आगामी पंचायत (Panchayat) और विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को देखते हुए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए क्षेत्रीय और अग्रिम मोर्चों के अध्यक्षों में बदलाव होगा।

यूपी भाजपा में नए युग की शुरुआत: पंकज चौधरी के नेतृत्व में टीम का गठन

यूपी भाजपा को लंबे इंतजार के बाद अपना नया अध्यक्ष मिल गया है, और अब पार्टी की नई प्रदेश टीम के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस बदलाव से क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ-साथ पार्टी के अग्रिम मोर्चों के अध्यक्षों में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

जानकारों का मानना है कि यह नई टीम आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएगी। इसमें जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को विशेष महत्व दिया जाएगा ताकि पार्टी सभी वर्गों को साध सके।

नई टीम में कुछ युवा और ऊर्जावान चेहरों को जगह मिल सकती है। वहीं, कुछ पुराने और लंबे समय से पद पर बने पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, या उनकी भूमिकाओं में बदलाव किया जा सकता है।

पंचायत चुनाव से पहले टीम गठन की अनिवार्यता

भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मार्च 2025 में अपनी प्रदेश टीम बनाई थी। उन्हें यह टीम बनाने में करीब सात महीने का समय लगा था।

हालांकि, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी को पंचायत चुनाव से पहले ही पार्टी की नई प्रदेश और क्षेत्रीय टीमों का गठन करना होगा। यह आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नई टीम में अग्रिम मोर्चों के मौजूदा प्रदेश अध्यक्षों के साथ-साथ कुछ क्षेत्रीय अध्यक्षों को भी जगह मिल सकती है। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि अगर कुछ क्षेत्रीय अध्यक्षों को हटाने से नाराजगी बढ़ती है, तो उन्हें क्षेत्र से हटाकर प्रदेश टीम में समायोजित किया जा सकता है।

स्वतंत्र देव सिंह की टीम अभी भी सक्रिय

भाजपा के अग्रिम मोर्चों के साथ-साथ मीडिया विभाग, आईटी एवं सोशल मीडिया सहित अन्य विभागों और प्रकोष्ठों में अभी भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की टीम ही काम कर रही है। भूपेंद्र चौधरी के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में निकाय चुनाव, लोकसभा चुनाव, उपचुनाव और अन्य संगठनात्मक कार्यक्रमों के कारण नई टीमें नहीं बनाई जा सकीं।

कई प्रकोष्ठों में तो पूर्व अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के समय बनी टीम ही आज भी सक्रिय है। यह स्थिति पार्टी के भीतर बदलाव की आवश्यकता को और बढ़ाती है।

पंकज चौधरी की पसंद और भरोसेमंद कार्यकर्ताओं को मिलेगा मौका

भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी अपनी पसंद के अनुसार टीम का गठन करेंगे। जानकार मानते हैं कि पंकज अपने भरोसेमंद और अनुभवी कार्यकर्ताओं को टीम में प्राथमिकता देंगे।

इसके चलते कुछ मौजूदा पदाधिकारियों को बाहर किया जा सकता है, या उनकी भूमिकाओं में फेरबदल किया जा सकता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जब कोई नया अध्यक्ष पदभार संभालता है।

टीम गठन की लंबी प्रक्रिया

टीम बनाने के लिए पहले दौर में पंकज चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह बैठक करेंगे। यह प्रारंभिक चर्चा नई टीम की रूपरेखा तय करने में महत्वपूर्ण होगी।

उसके बाद टीम के संभावित पैनल पर प्रदेश की कोर कमेटी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से चर्चा की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि टीम का गठन पार्टी की विचारधारा और संगठनात्मक लक्ष्यों के अनुरूप हो।

कोर कमेटी की ओर से तैयार पैनल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन नवीन और महामंत्री संगठन बीएल संतोष तक भेजा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही टीम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।

अग्रिम मोर्चों को मिले दो कार्यकाल: अब बदलाव तय

भाजपा के सात अग्रिम मोर्चों का गठन तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने साल 2021 में किया था। उसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा संभालने वाले भूपेंद्र चौधरी का साढ़े तीन साल का कार्यकाल बीत गया।

लेकिन, इन अग्रिम मोर्चों के अध्यक्षों में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह स्थिति अब बदलने वाली है।

वर्तमान अग्रिम मोर्चों के अध्यक्ष

  • भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य
  • युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त द्विवेदी
  • अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली
  • किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह
  • ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप
  • एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया
  • अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संजय गोंड

इन सभी अध्यक्षों ने अपने दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अग्रिम मोर्चों में अध्यक्ष सहित पूरी टीम में बदलाव किया जाएगा।

युवा मोर्चा अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार

युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष के लिए बिलग्राम मल्लावां से विधायक आशीष कुमार सिंह आशू, युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री वरुण गोयल और हर्षवर्धन सिंह प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इस पद पर कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।

युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष पद पर ठाकुर या वैश्य समुदाय से किसी की नियुक्ति होने पर, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी ब्राह्मण महिला कार्यकर्ता को मिल सकता है। यह जातीय संतुलन साधने की रणनीति का हिस्सा होगा।

'हारे हुए घोड़े' भी सिखाते हैं चुनावी दौड़: मौजूदा टीम का विश्लेषण

भाजपा की मौजूदा प्रदेश टीम में बड़ी संख्या में ऐसे पदाधिकारी हैं, जो या तो खुद चुनाव नहीं लड़े या चुनाव हार चुके हैं। इसके बावजूद वे प्रदेश से लेकर जिलों तक चुनावी दांव-पेंच सिखाने जाते हैं।

यह स्थिति पार्टी के भीतर एक दिलचस्प विरोधाभास पैदा करती है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

चुनावी हार के बाद भी महत्वपूर्ण पदों पर

  • प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य: 2022 में ऊंचाहार से सपा के मनोज पांडेय से चुनाव हारे थे। हार के बावजूद उन्हें राज्यसभा भेजा गया, जो पार्टी में उनके महत्व को दर्शाता है।
  • प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई: 2017 में कानपुर की सीसामऊ से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्हें विधान परिषद भेजा गया। विश्नोई 2022 में लगातार दूसरी बार कानपुर की सीसामऊ सीट से चुनाव हार चुके हैं।
  • प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक: 2002 में निजामाबाद से चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद वे प्रदेश टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  • नीलम सोनकर: लालगंज से चुनाव हार चुकी हैं, फिर भी पार्टी संगठन में सक्रिय हैं।

अब देखना होगा कि नई टीम के गठन में सरकार की कितनी चलती है और क्या इन पदाधिकारियों की भूमिकाओं में बदलाव होता है।

टिकट काटकर बनाया प्रदेश पदाधिकारी: असंतुष्टों को साधने की रणनीति

प्रदेश टीम में कुछ ऐसे भी पदाधिकारी हैं, जिन्हें चुनाव में हार की आशंका के चलते प्रत्याशी नहीं बनाया गया। उसके बाद उन्हें प्रदेश टीम में जगह देकर संतुष्ट किया गया।

यह पार्टी की एक रणनीति रही है ताकि संभावित असंतोष को रोका जा सके और अनुभवी कार्यकर्ताओं को संगठन में बनाए रखा जा सके।

उदाहरण

  • प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत: 2014 में बाराबंकी से सांसद चुनी गईं। 2019 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया, और 2024 में भी उन्हें मौका नहीं दिया गया। इसके बावजूद उन्हें प्रदेश टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है।
  • प्रदेश महामंत्री रामप्रताप सिंह: 2017 में आगरा जिले की एत्मादपुर सीट से विधायक थे। 2022 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर धर्मपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया, और उन्हें प्रदेश टीम में जगह दी गई।

लंबे समय से प्रदेश टीम के सदस्य: जातीय समीकरण और शीर्ष नेतृत्व का वरदहस्त

भाजपा की प्रदेश टीम में प्रदेश उपाध्यक्ष और महामंत्री पद पर कई ऐसे पदाधिकारी हैं, जो बीते 7 से 11 साल से बने हुए हैं। इनकी लंबी संगठनात्मक यात्रा पार्टी के भीतर उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाती है।

जातीय समीकरण और लखनऊ से दिल्ली तक आरएसएस, सरकार और भाजपा के बड़े नेताओं का वरदहस्त होने से ये टीम में लगातार जगह बनाए हुए हैं। इनमें से ज्यादातर विधान परिषद और राज्यसभा में भी पहुंच गए हैं, जो उनके प्रभाव का प्रमाण है।

क्षेत्रीय अध्यक्षों में बड़े बदलाव की संभावना

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, अवध, काशी, ब्रज, पश्चिम, गोरखपुर और कानपुर सहित कई क्षेत्रों में भाजपा की क्षेत्रीय टीमों में भी बदलाव होगा। यह बदलाव आगामी चुनावों को देखते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

प्रत्येक क्षेत्र में नए चेहरों को मौका देने और जातीय संतुलन साधने पर जोर दिया जाएगा।

विभिन्न क्षेत्रों में संभावित बदलाव

  • काशी क्षेत्र के अध्यक्ष सहजानंद राय: नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उन्हें एक और मौका दिया जा सकता है, जो उनके लिए एक बड़ी राहत होगी।
  • अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा: उन्हें बदलकर अवध में किसी ब्राह्मण या पिछड़े चेहरे को मौका दिया जाएगा। कमलेश को पार्टी की प्रदेश टीम में जगह मिल सकती है, जिससे उनका अनुभव संगठन के बड़े स्तर पर उपयोग हो सके।
  • काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल: उनके खिलाफ लखनऊ से लेकर दिल्ली तक शिकायतें पहुंची हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दिलीप पटेल को हटाकर किसी नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है, जिससे संगठन में नई ऊर्जा का संचार हो।
  • पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के करीबी हैं। उन्हें क्षेत्र से हटाकर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, जो उनके अनुभव का सम्मान होगा।
  • कानपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल: उन्हें एक मौका और मिल सकता है। यह उनके प्रदर्शन और संगठनात्मक कौशल पर निर्भर करेगा।
  • ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय शाक्य: उन्हें भी बदले जाने की पूरी संभावना है। यह बदलाव क्षेत्र में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा सकता है।

जानकार मानते हैं कि जिलाध्यक्षों के चुनाव के दौरान कुछ क्षेत्रीय अध्यक्षों के खिलाफ शिकायतें लखनऊ से दिल्ली तक पहुंची थीं। आने वाले समय में नए क्षेत्रीय अध्यक्षों के चयन और वर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्षों के संगठन में समायोजन में उन शिकायतों के आधार पर विचार किया जाएगा।

राजनाथ सिंह के बेटे पंकज की जगह ले सकते हैं नीरज

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बड़े बेटे पंकज सिंह लगातार 11 साल से पार्टी की प्रदेश टीम में हैं। वह दूसरी बार नोएडा से विधायक भी हैं, जो उनकी राजनीतिक पकड़ को दर्शाता है।

ऐसा माना जा रहा है कि पंकज चौधरी की नई टीम में पंकज सिंह की जगह राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह को जगह मिल सकती है। यह एक बड़ा राजनीतिक बदलाव होगा।

नीरज सिंह भाजपा में काफी सक्रिय हैं और लखनऊ में होने वाले पार्टी के कार्यक्रमों को सफल बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। बीते दिनों पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने भी एक कार्यक्रम में उनकी प्रशंसा की थी, जो उनके बढ़ते कद का संकेत है।

राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय की राय

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं कि जाहिर सी बात है, नई टीम में कुछ लोगों की छुट्टी होती है और कुछ नए चेहरों को मौका दिया जाता है। यह किसी भी संगठन में एक सामान्य प्रक्रिया है।

पंकज चौधरी सकारात्मक राजनीति करते हैं, लिहाजा नई टीम बनाने में सरकार और संघ से भी समन्वय करेंगे। यह समन्वय टीम को और मजबूत बनाएगा।

आनंद राय यह भी बताते हैं कि नई टीम बनाने में समय लगेगा, क्योंकि इसकी एक लंबी प्रक्रिया है। अभी खरमास चल रहा है, इसलिए 14 जनवरी के बाद ही कमेटी बनाने की कवायद शुरू होगी।

कुर्मी समाज से पंकज चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हो गए हैं। इसलिए काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल की छुट्टी होगी, और उनकी जगह किसी अन्य पिछड़ी जाति के चेहरे को मौका दिया जाएगा। यह जातीय संतुलन साधने की पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।