Rajasthan: टोंक में यूरिया के लिए किसानों की आधा किमी लंबी लाइन, 1000 निराश लौटे

टोंक में यूरिया के लिए किसानों की आधा किमी लंबी लाइन, 1000 निराश लौटे
टोंक में यूरिया संकट: किसान परेशान
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Highlights

  • टोंक जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत बनी हुई है।
  • देवली रोड स्थित इफको बाजार के बाहर आधा किलोमीटर लंबी लाइन लगी।
  • एक हजार से ज्यादा किसान खाद न मिलने से निराश होकर लौटे।
  • किसानों ने यूरिया की कालाबाजारी का आरोप लगाया है।

टोंक:टोंक (Tonk) जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत बनी हुई है, जिससे किसान (farmers) परेशान हैं। देवली रोड (Deoli Road) स्थित इफको बाजार (IFFCO Bazar) के बाहर खाद लेने के लिए आधा किलोमीटर लंबी लाइन लग गई, जिसमें 1000 से ज्यादा किसान निराश होकर लौटे।

जिले भर में यूरिया खाद की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर अधिकारी के छुट्टी पर होने से किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं।

किसानों को जहां भी यूरिया खाद की गाड़ी आने की सूचना मिलती है, वे तुरंत वहां पहुंच जाते हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष घंटों दुकान के बाहर खड़े रहते हैं।

यूरिया खाद की दुकानों के बाहर आधा से एक किलोमीटर लंबी कतारें अब एक सामान्य दृश्य बन गया है। यह स्थिति किसानों के लिए बेहद चिंताजनक है।

इफको बाजार के बाहर उमड़ी भारी भीड़

हाल ही में जिला मुख्यालय पर देवली रोड स्थित इफको बाजार के बाहर भी किसानों की भारी भीड़ जमा हो गई। बुधवार को जैसे ही आसपास के किसानों को इफको बाजार में यूरिया की गाड़ी आने की खबर मिली, वे तुरंत सक्रिय हो गए।

गुरुवार को अल सुबह 5 बजे से ही महिला और पुरुष खाद के लिए टोकन लेने बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। देखते ही देखते यह भीड़ एक हजार से भी ज्यादा हो गई, जिससे स्थिति को संभालना मुश्किल हो गया।

भीड़ को देखकर इफको बाजार संचालक भी घबरा गए और उन्हें पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला और पुरुषों की अलग-अलग लाइनें लगवाईं ताकि व्यवस्था बनी रहे।

टोकन वितरण और किसानों की निराशा

सुबह 9 बजे से 10.15 बजे तक 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर केवल चार सौ टोकन ही बांटे जा सके। इसके बाद इफको बाजार संचालक ने घोषणा की कि अब अगली खाद की खेप आने पर ही दोबारा टोकन दिए जाएंगे।

इस घोषणा के बाद करीब एक हजार से ज्यादा किसान निराश होकर अपने घरों को लौट गए। कई किसानों ने इस स्थिति के लिए यूरिया की कालाबाजारी को जिम्मेदार ठहराया है।

किसानों का कहना है कि उन्हें खाद के लिए सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। यह उनके लिए दोहरी मार है।

यूरिया संकट और कालाबाजारी के आरोप

निराश लौटे किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में यूरिया का ऐसा भीषण संकट पहली बार देखा है। उन्हें दो-दो यूरिया के कट्टे के लिए एक किलोमीटर लंबी लाइन में पांच घंटे तक खड़े रहना पड़ा, फिर भी खाद नहीं मिली।

किसान युवा महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी और प्रदेश मंत्री रतन लाल चौधरी ने यूरिया की जमकर कालाबाजारी होने का गंभीर आरोप लगाया है।

उन्होंने बताया कि रात के समय खाद विक्रेता ट्रॉलियों में भरकर यूरिया को ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं। इसकी शिकायत कृषि विभाग के जॉइंट डायरेक्टर को भी दी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

किसानों का आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत या उदासीनता के कारण ही यह कालाबाजारी फल-फूल रही है, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

अधिकारियों का रवैया और किसानों का प्रदर्शन

उधर, कृषि विभाग के जॉइंट डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि वह अभी अवकाश पर हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है।

हालांकि, किसानों का अनुभव इस दावे से बिल्कुल उलट है। उन्हें खाद के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है और वे अधिकारियों के बयानों से संतुष्ट नहीं हैं।

यूरिया खाद की किल्लत से परेशान होकर किसान आए दिन कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपनी मांगों को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं।

यह स्थिति दर्शाती है कि टोंक जिले में किसानों को यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। अन्यथा, आने वाले समय में कृषि उत्पादन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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