मिथिलेश के मन से: तुम ग़ौर से सुनना, ये सदी बोल रही है...

तुम ग़ौर से सुनना, ये सदी बोल रही है...
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कभी यह इलाका जंगल हुआ करता था। शेर, भालू, रीछ और जाने कितने कितने जीव- जंतुओं का स्थायी घर। जंगल में जाने की जिद अगर किसी सरफिरे ने की तो तय मानो, वह फिर वापस नहीं लौटा। लेकिन कुछ लोग तब भी जाते और लौट भी आते। जानते हो, वो कौन लोग थे जो गये और लौट आये?

- यह सच्चीमुच्ची का प्यार क्या होता है?

- अभी नहीं समझोगे बाबू। 

- तुमने समझ लिया?

कभी यह इलाका जंगल हुआ करता था। शेर, भालू, रीछ और जाने कितने कितने जीव- जंतुओं का स्थायी घर। जंगल में जाने की जिद अगर किसी सरफिरे ने की तो तय मानो, वह फिर वापस नहीं लौटा। लेकिन कुछ लोग तब भी जाते और लौट भी आते। जानते हो, वो कौन लोग थे जो गये और लौट आये?

-हम नहीं जानते।

-नहीं जानते तो जान लो। ये वो लोग थे जिन्हें सीखना था। चोरी- चकारी नहीं, सच्चीमुच्ची का पूजापाठ। सच्चीमुच्ची का तौरतरीका। सच्चीमुच्ची का प्यार। बिना किसी उस्ताद के। यह तरीका तुम्हें किताबों में नहीं मिलेगा बच्चू, पढ़ लो चाहे जितना। यह  तरीका जंगल में ही सीखा जा सकता है।

सनसन हवा चल रही हो, झमाझम पानी गिर रहा हो, लोगबाग सोये पड़े हों अपने अपने घरों में घोड़ा बेच कर और ठंड कह रही हो कि हमीं रहेंगे.. ऐसी हो कोई जालिम रात या संगीन दिन तो किसकी मज़ाल जो जंगल का रुख करे। लेकिन जाने वाले जाते ही थे। तब भी जाते थे। जाते थे और वापस लौट आते थे। खांची भर किस्सों के साथ।

- वह था कौन जो जंगल में उन्हें बचाता था?

- वह? वह देवता था।

- हुंह

- बात सुन। वह न होता न तो यह गांव नहीं होता। आसपास बस्तियां नहीं बसतीं। 'जिमदार' (ज़मींदार) न होते। उस देवता ने नदी सुखा डाली थी अपने पुण्य प्रताप से। तब जा कर हमारे- तुम्हारे पुरखे पैदल, सैकड़ों मील पैदल चल कर इस इलाके में पहुंचे थे। गोरखपुर से। उसके भी पहले उदयपुर से। उसे सलाम करो कि मरजाद रख ली हमारी- तुम्हारी।

- फिर?
- बकलोल हो का रे? फिर देवता ने सरयू नदी को लबालब कर दिया। आज जो कूदते हो तुम अरार से नदी में और गरई की तरह तैर लेते हो छप छपाछप, इस पाट से उस पाट- तब माटी भी मिलती क्या फांकने को? अंजी चाउर खा के ठसाठस पादते हो आज न...। नहीं होता वह तो हाबुस निकल गया होता। फिर कहां होते तुम? कहां होते हम? होते भी कि नहीं होते, राम जाने।

- लेकिन वह था प्रेम का ही देवता। वह प्रेम सिखाता था। फिर ऐसा हुआ कि जंगल में उसे किसी सांप ने काट लिया। 

- वह शरीरी था?

- और क्या? हर देवता शरीरी होता है, यह जान लो।

- जब सांप ने उसे काटा, उस वक्त कंधे पर उसकी बच्ची झूल रही थी और गोद में सर था उस लड़की का जिसने उसे सिखाया था प्रेम करना। यूं कह लो कि लड़की ने सीखा था उससे प्यार करना। कुछ भी कह लो। कुछ भी मान लो। कुछ भी समझ लो। तो वह देवता मर गया लेकिन जाते जाते लड़की से कह गया: मैं यहीं जिया, यहीं मर रहा हूं। तुम बची रहोगी। यह बच्ची बची रहेगी। यह जंगल बचा रहेगा। तुम दोनों ध्यान रखना कि जंगल में कोई आये तो झूठ न बोले। आये तो सच्चे मन से आये। आये तो प्यार करने आये। तुम्हें खाने- पीने की दिक्कत नहीं होगी, यह हमारा असीस है।

- यह सच्चीमुच्ची का प्यार क्या होता है?

- अभी नहीं समझोगे बाबू। 

- तुमने समझ लिया?

- अंगरेजी छांट रहे हो? पड़ेगा संस्कृत से पाला, तब समझ में आयेगा।

समझते देर नहीं लगी कि वह संस्कृत पढ़ने जाने लगा है । ' अस्तु लीलावती नाम कन्या' ... ' एकदा सरयू तीरे' और जाने क्या क्या।

- ई बता कि संस्कृत पढ़ने  आ कथा- कहनी बांचने से  होगा क्या?

- फिर उहे बात। सबकी दुकान बंद करानी है और नंबर एक पर है चचवा। लोटा लोटा पीटता था साला जब हम फेल हुए थे। दूसरा निशाना बनेगा ऊ बहिरा जो पूजा कराते खुद ही बोले, खुद ही समझे। तीसरा नंबर उन तमाम हरामजादों का जो सटासट पीटते थे स्कूल में। इस सूची में सबसे पहला नाम उस मुंहटेढ़ा मास्टर का जो लड़कियों को देखते ही सूरमा हो जाता और हमारी पीठ और हमारे चूतड़ उसकी रणस्थली। नाम बहुतेरे हैं। लेकिन रात बहुत हो गयी है, अब सो जा।

- फिर उस जंगल का, उस देवता का क्या हुआ?

सूं सूं सूं..। हमारा उस्ताद सो रहा है।  और हम? हम जगे हुए हैं। आगे भी जगेंगे। उस्ताद जगाता है। वह हमें जगा कर सो गया। कल को वह सुनाएगा उस प्रेमी देवता के बाद की दुनिया का किस्सा। किस्से के भीतर का किस्सा। रात सचमुच बहुत हो गयी है। थोड़ी देर में सुकवा ( शुक्र तारा) दिखने लगेगा। (क्रमश:)

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