Rajasthan: अरावली खनन के खिलाफ जन आंदोलन: सिरोही में NH-27 पर धरना
सिरोही (Sirohi) में अरावली (Aravalli) खनन परियोजना के विरोध में सामाजिक संगठन, पशुपालक और पर्यावरण प्रेमी एकजुट हो गए हैं। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि एक माह में परियोजना रद्द नहीं हुई, तो 28 जनवरी 2026 से राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (NH-27) पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा।
सिरोही: सिरोही (Sirohi) में अरावली (Aravalli) खनन परियोजना के विरोध में सामाजिक संगठन, पशुपालक और पर्यावरण प्रेमी एकजुट हो गए हैं। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि एक माह में परियोजना रद्द नहीं हुई, तो 28 जनवरी 2026 से राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (NH-27) पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा।
सिरोही जिले में अरावली पर्वतमाला और पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ा जन आंदोलन होने जा रहा है। खनन परियोजना के विरोध में सामाजिक संगठनों, पशुपालकों और पर्यावरण प्रेमियों ने सरकार को कड़ा अल्टीमेटम दिया है।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि एक महीने के भीतर प्रस्तावित परियोजना रद्द नहीं की गई, तो 28 जनवरी 2026 से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह आंदोलन राष्ट्रीय राजमार्ग-27 पर होगा।
परियोजना से अरावली को खतरा
खनन संघर्ष समिति, राष्ट्रीय पशुपालक संघ और किसान संघ का आरोप है कि मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की प्रस्तावित खनन परियोजना से अरावली के ऐतिहासिक पहाड़ों को भारी नुकसान होगा। इससे क्षेत्र की पारिस्थितिकी असंतुलित होगी।
समिति का कहना है कि खनन से वन्यजीवों, पशुपालन, जल स्रोतों और स्थानीय ग्रामीण जीवन पर भी गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बड़ा संकट उत्पन्न करेगा।
प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी
इस आंदोलन में राष्ट्रीय पशुपालक संघ, खनन संघर्ष समिति और अन्य सामाजिक व पर्यावरणीय संगठन सक्रिय रूप से शामिल हैं। राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लाल सिंह रायका ने पिण्डवाड़ा के एसडीएम नरेंद्र जांगिड़ को ज्ञापन सौंपा है।
उन्होंने सरकार को एक माह का समय देते हुए चेतावनी दी कि यदि परियोजना रद्द नहीं हुई, तो आंदोलन सिरोही तक सीमित न रहकर प्रदेशव्यापी हो जाएगा। यह पूरे राज्य में फैल सकता है।
आंदोलन की रणनीति और स्थान
आंदोलन की योजना के अनुसार, 28 जनवरी 2026 से राष्ट्रीय राजमार्ग-27 पर सरगामाता क्षेत्र के पास अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। यह स्थान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
यह एक ओर राष्ट्रीय राजमार्ग और दूसरी ओर रेलवे ट्रैक के बीच स्थित है, जिससे व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। संघर्ष समिति ने दावा किया है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।
इसका मुख्य उद्देश्य व्यापक जनभागीदारी के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करना है।
जनसंपर्क अभियान और समर्थन
आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए क्षेत्र में युद्ध स्तर पर जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा। गांव-गांव और ढाणी-ढाणी जाकर लोगों को खनन के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
इसके तहत बाइक रैली, जनसभाएं, पोस्टर अभियान और संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पशुपालकों और किसानों को विशेष रूप से इस अभियान से जोड़ा जा रहा है।
खनन संघर्ष समिति के अनुसार, अरावली बचाने की इस मुहिम को प्रदेशभर से अपार समर्थन मिल रहा है। पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता और कई संगठन खुलकर आंदोलन के समर्थन में आ रहे हैं।
समिति के सदस्य दिन-रात आंदोलन की रणनीति बनाने और जनसमर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।
सरकार से निर्णायक कदम की मांग
संघर्ष समिति और पशुपालक संघ व अन्य संगठनों ने सरकार से मांग की है कि जनहित, पर्यावरण संरक्षण और भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए कमलेश मेटाकास्ट की प्रस्तावित खनन परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाए।
उनका कहना है कि विकास के नाम पर प्रकृति के विनाश को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। सिरोही में अरावली बचाने की यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है।
आने वाला एक महीना सरकार और आंदोलनकारियों के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है।