चीटिंग गैंग के मास्टरमाइंड गिरफ्तार: गर्लफ्रेंड से मिलने आए चीटिंग गैंग के मास्टरमाइंड गिरफ्तार: प्लंबर बन ATS ने दबोचा, पापों के प्रायश्चित को गए थे वैष्णो देवी
एटीएस ने हाईटेक चीटिंग गैंग के दो मास्टरमाइंड को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। गर्लफ्रेंड से मिलने आए आरोपियों को प्लंबर बन दबोचा। फरार रहते हुए पापों के प्रायश्चित को धार्मिक यात्राएं कीं।
जयपुर, राजस्थान। प्रतियोगिता परीक्षाओं में हाईटेक चीटिंग कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मुख्य सरगनाओं को राजस्थान एटीएस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया है। इन पर जयपुर पुलिस ने प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
एटीएस टीम ने बेहद गोपनीय तरीके से कार्रवाई करते हुए, प्लंबर का भेष धारण कर इन दोनों शातिर बदमाशों को उनकी गर्लफ्रेंड के ठिकाने से दबोचा। पूछताछ में सामने आया है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए ये आरोपी पिछले नौ महीनों से फरार चल रहे थे और अपने "पापों के प्रायश्चित" के लिए वैष्णो देवी, महाकाल मंदिर उज्जैन सहित कई धार्मिक स्थलों की यात्रा भी कर चुके थे।
गिरफ्तारी की फिल्मी कहानी: प्लंबर बन एटीएस ने दबोचा
पुलिस महानिरीक्षक (एटीएस) विकास कुमार ने इस बड़ी कार्रवाई का खुलासा करते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए इनामी बदमाश जोगेंद्र कुमार पुत्र महेंद्र सिंह निवासी पिलानी (झुंझुनूं) और परमजीत कादियान पुत्र नेपाल सिंह निवासी बहादुरगढ़, हरियाणा हैं।
जोगेंद्र एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है, जबकि परमजीत कंप्यूटर इंजीनियरिंग में माहिर है। दोनों ही अपने क्षेत्र के जानकार थे और इसी ज्ञान का उपयोग उन्होंने अपराध में किया। दोनों पर लंबे समय से 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था और एटीएस लगातार उनकी तलाश में थी।
एटीएस टीम को करीब दो महीने पहले आरोपी परमजीत की गर्लफ्रेंड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। पता चला कि वह गुरुग्राम के सेक्टर-37डी में एक फ्लैट किराए पर लेकर रह रही थी। किराएनामे में परमजीत का नाम गर्लफ्रेंड के पति के तौर पर लिखा होने से टीम को यह पुख्ता ठिकाना लगा कि आरोपी यहां आ सकता है।
पिछले 10 दिनों से एटीएस की विशेष टीम इस फ्लैट के आसपास डेरा डाले हुए थी, आरोपी के आने की संभावना पर लगातार नजर रखी जा रही थी।
टीम ने अपार्टमेंट के संचालकों से संपर्क साधा और ई-ब्लॉक की लिफ्ट के सीसीटीवी फुटेज को रिमोट पर लेकर उसकी गहन निगरानी शुरू की। 2 अक्टूबर की सुबह एटीएस टीम को लिफ्ट में दोनों आरोपियों की लाइव फुटेज दिखी।
फुटेज में वे 12वें फ्लोर का बटन दबाते हुए नजर आ रहे थे। चूंकि फ्लैट नंबर स्पष्ट नहीं था, इसलिए एटीएस के दो तेज-तर्रार जवान प्लंबर की ड्रेस में उस फ्लोर पर पहुंचे। उन्होंने फ्लैट में टॉयलेट में पानी लीकेज की बात कहकर अंदर प्रवेश करने की कोशिश की। जैसे ही फ्लैट का दरवाजा खुला और दोनों आरोपियों को अंदर मौजूद देखा, एक जवान ने कोडवर्ड में दूसरे जवान को "टूल लाने" के लिए कहा।
यह इशारा समझते ही बाहर इंतजार कर रही एटीएस की पूरी टीम ने तुरंत फ्लैट में दबिश दी और दोनों शातिर बदमाशों को मौके पर ही धर-दबोचा। एक आरोपी तो फ्लैट में सोते हुए ही मिला, जिसे टीम ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया। यह पूरी कार्रवाई इतनी तेजी और गोपनीयता से की गई कि आरोपियों को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
दिल्ली से जयपुर तक फैला फर्जीवाड़े का जाल
पूछताछ में सामने आया है कि जोगेंद्र और परमजीत की मुलाकात दिल्ली में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के दौरान हुई थी। दोनों की आपराधिक मानसिकता मेल खा गई और उन्होंने मिलकर पहले दिल्ली में और फिर जयपुर के अलग-अलग इलाकों में कंप्यूटर लैब खोलीं। वे विभिन्न ऑनलाइन प्रतियोगिता परीक्षाओं के दौरान इन कंप्यूटर लैब में ऑब्जर्वर का काम करने लगे, जो उनके फर्जीवाड़े का पहला कदम था।
दिल्ली के तिमारपुर में उन्होंने लंबे समय तक कंप्यूटर को रिमोट से हैक कर फर्जी तरीके से पेपर सॉल्व कराने का काम किया। इस दौरान वे कई छात्रों को गलत तरीके से पास कराने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के द्वारका इलाके में भी यही फर्जीवाड़ा शुरू किया।
तिमारपुर थाने में परमजीत के खिलाफ लैब हैक करने का एक मामला भी दर्ज हुआ था, जिससे वे पुलिस की नजर में आ गए। दिल्ली में चिह्नित होने के बाद दोनों ने अपना ठिकाना बदलने का फैसला किया और राजस्थान की ओर रुख किया।
ठिकाना बदलने के दौरान उनकी मुलाकात साई एजुकेट कंपनी के एक प्रतिनिधि से हुई, जिसने उन्हें बताया कि जयपुर में कंप्यूटर लैब की बहुत कमी है और ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की मांग अधिक है। इस जानकारी का फायदा उठाते हुए, साल 2021 में उन्होंने अजमेर बाइपास पर रावत कॉलेज के नाम से एक कंप्यूटर लैब खोली।
हालांकि, लैब में जगह कम होने और छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण मकान मालिक ने लैब खाली करवा दी। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और मानसरोवर के रीको कांटा चौराहा के पास गणपति कॉलेज के नाम से एक और लैब खोलकर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की ऑनलाइन परीक्षाएं करवाना शुरू कर दिया।
हाईटेक तरीकों से नकल और लाखों की कमाई
आरोपियों ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वे बेहद हाईटेक तरीकों से नकल करवाते थे, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता था। ऑनलाइन परीक्षा के लिए वे अपनी लैब को सेंटर के तौर पर देते थे और परीक्षा से पहले ही कंप्यूटर में विशेष एप्लिकेशन इंस्टॉल कर देते थे।
फिर परीक्षा के दौरान, वे कंप्यूटर को रिमोट से संचालित कर पेपर सॉल्व करवाते थे। इसके अलावा, वे कंप्यूटर स्क्रीन का फोटो खींचकर पर्ची के माध्यम से पेपर सॉल्यूशन देकर भी नकल करवाते थे। इन तरीकों से वे सुनिश्चित करते थे कि अभ्यर्थी आसानी से परीक्षा पास कर सकें।
इस फर्जीवाड़े से वे लाखों रुपये कमाते थे। सबसे पहले वे एग्जाम का कॉन्टैक्ट लेने वाली कंपनियों को अपनी लैब किराए पर देते थे। लैब पर एग्जाम के दौरान अपना विश्वसनीय आदमी काम पर रख लेते थे, जो उनकी ओर से निगरानी करता था।
लैब में एग्जाम देने वाले अभ्यर्थियों से कोचिंग संस्था के संचालकों की ओर से लेन-देन की बातचीत की जाती थी। परीक्षा के स्तर और कठिनाई के अनुसार, वे अलग-अलग एग्जाम में 1.5 लाख रुपये से लेकर 8 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूलते थे।
पूछताछ में आरोपियों ने कई परीक्षाओं में दर्जनों अभ्यर्थियों को इसी प्रकार फर्जी तरीके से एग्जाम पास कराने की बात स्वीकार की है, जिससे इस गिरोह के बड़े पैमाने पर सक्रिय होने का पता चलता है।
नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन घोटाला और लंबी फरारी
जनवरी 2025 में नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कृषि प्रशिक्षु के पद के लिए हुई परीक्षा में एटीएस ने खातीपुरा स्थित हेरिटेज वायुना सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सेंटर पर छापा मारा था। तब 6 कंप्यूटरों को रिमोट पर लेकर पेपर सॉल्व कराने का भंडाफोड़ हुआ था।
इस मामले में वैशाली नगर थाने में केस दर्ज कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जोगेंद्र और परमजीत, जो इस पूरे ऑपरेशन के मास्टरमाइंड थे, तब पुलिस की गिरफ्त से फरार होने में कामयाब रहे थे। तभी से एटीएस उनकी तलाश में जुटी थी।
पिछले नौ महीनों से फरारी के दौरान दोनों आरोपियों ने कभी भी तीन रातें एक ही स्थान पर नहीं गुजारीं। वे लगातार अपना ठिकाना बदलते रहे ताकि पुलिस उन तक न पहुंच सके। राजस्थान से फरार होते समय उन्होंने अपने मोबाइल घग्घर नदी में फेंक दिए थे ताकि उनकी लोकेशन ट्रैक न हो सके।
पूछताछ में उन्होंने बताया कि अपने "पापों का प्रायश्चित" करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने वैष्णो देवी, महाकाल मंदिर उज्जैन और अन्य कई धार्मिक स्थलों की यात्रा की। वे दिल्ली के द्वारका इलाके में अपने पुराने दोस्तों के गुप्त ठिकानों पर फरारी काटते रहे।
पुलिस से बचने के लिए वे राहगीरों के मोबाइल लेकर कभी-कभी अपने घरवालों से संपर्क करते थे। आरोपियों ने पूछताछ में यह भी बताया कि वे गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही महाकाल के दर्शन कर तनाव से मुक्ति की प्रार्थना करके आए थे। यह एक विडंबना ही है कि पापों का प्रायश्चित करने के बाद भी वे अपने अंजाम से बच नहीं पाए।
अब एटीएस दोनों आरोपियों से गहनता से पूछताछ कर रही है ताकि इस पूरे चीटिंग नेटवर्क के अन्य सदस्यों और उनके सहयोगियों का भी पर्दाफाश किया जा सके।