खड़ा हो गया विवाद: गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज 

कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जड़ावत द्वारा शिकायत देने के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 153-ए और 295-ए जैसी धाराओं का हवाला देते हुए शेखावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

gajendra singh shekhawat

जयपुर | चित्तौड़गढ़ में भाजपा की एक रैली के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। 

जैसे ही शेखावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई तो उसके बाद से विवाद खड़ा हो गया है। 

पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जड़ावत ने दर्ज कराया मामला

शनिवार को कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जड़ावत द्वारा शिकायत देने के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 153-ए और 295-ए जैसी धाराओं का हवाला देते हुए शेखावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

सुरेंद्र जड़ावत की शिकायत के अनुसार, गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने भाषण के दौरान झूठी सूचना फैलाई और लोगों को उकसाया। 

इसी के साथ ही अशोक गहलोत को ’राजनीति का रावण’ कहकर मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का अपमान किया। 

शिकायत में आगे आरोप लगाया गया है कि शेखावत ने 27 अप्रैल की भारतीय जनता पार्टी की एक सभा बीजेपी की रैली को संबोधित करते हुए धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाने की कोशिश की है।

शेखावत ने  चित्तौड़गढ़ में भाजपा की जन आक्रोश रैली में यह टिप्पणी की। गहलोत के वफादार जड़ावत ने शेखावत के खिलाफ चित्तौड़गढ़ के सदर थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295-ए ( किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का दुर्भावनापूर्ण इरादा), 500 (मानहानि के लिए सजा), 504 (जानबूझकर अपमान करना, और इस तरह किसी भी व्यक्ति को उकसाना), 505 (2) (दुश्मनी, नफरत या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) वर्ग), और 511 (अपराध करने के प्रयासों से संबंधित सामान्य प्रावधान अन्य विशिष्ट वर्गों द्वारा दंडनीय नहीं बनाया गया)।

कांग्रेस नेताओं की मांग, इस्तीफा दे शेखावत

इस घटना से राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। कई नेताओं ने शेखावत की कथित टिप्पणी की निंदा की है। 

कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि केंद्रीय मंत्री अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगें और अपने पद से इस्तीफा दे। 

मामला अब पुलिस के हाथ में है, जो आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए गहन जांच में जुट गई है। 

विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में चल रही इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों से माहौल गरमाया हुआ है।