आजीवन करेंगी जन सेवा: चार सौ युवा बहनों ने शिवलिंग के 7 फेरे कर पहनायी वरमाला और बन गयी ब्रह्माकुमारी

देशभर से आयी 4 सौ से ज्यादा युवा बहनों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित हो गयी।

Brahma Kumaris

Brahma Kumaris: आज के समय में जहॉं युवक युवतियां अपने कैरियर और धन कमाने के पीछे भाग रहे है। वहीं सिरोही जिले के आबू रोड में देशभर से आयी 4 सौ से ज्यादा युवा बहनों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित हो गयी।

यह समर्पण अपने आप में खास इसलिए है क्योकि वे परमात्मा ािश्व को साक्षी मानकर अब शिवलिंग के सात फेरे लगाकर वरमाला पहनायी और अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

अब उनका पूरा जीवन परमात्मा की याद और मानवता की सेवा में गुजरेगा। इस दौरान उनके माता पिता के साथ रिश्तेदार भी उपस्थित रहे।

ब्रह्माकुमारीज संस्थान के आबू रोड स्थित डायमंड हॉल में यह भव्य समारोह आयोजित किया गया।  इसमें खास बात तो यह है कि ये सभी युवा बहनें पढ़ी लिखी है।

ब्रह्माकुमारी बनकर सात फेरों के साथ सात संकल्प लिए

1. मैं दृढ़ संकल्प के साथ निश्चय पूर्वक यह कहती हूं कि सारे विश्व की आत्माओं के पिता कल्याणकारी परमात्मा शिव ज्योतिर्बिंदु स्वरूप हैं। वे वर्तमान समय हर कल्प के अनुसार इस धरा पर अवतरित होकर प्रजापिता ब्रह्मा के साकार माध्यम द्वारा गीता ज्ञान एवं राजयोग की शिक्षा द्वारा हम आत्माओं को पावन बना रहे हैं।
2. मुझे यह निश्चय है कि परमात्मा इस ज्ञान के द्वारा नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना के लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कार्यरत है।
3. मैंने अपने स्व विवेक, स्व इच्छा और अनुभव के आधार पर यह निर्णय लिया है कि अब मैं अपना सारा जीवन परमात्मा के इस पुनीत कार्य में समर्पित कर सफल करुं।
4. आज शुक्रवार 30 जून 2023 को ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका परमश्रद्धेय आदरणीय दादी रतनमोहिनी जी के पावन सानिध्य में आयोजित समारोह के इस सौभाग्यपूर्ण अवसर पर प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा एवं सर्व ब्राह्मण परिवार के समक्ष यह प्रतिज्ञा करती हूं कि मैं अपने दिल में सदा एक दिलाराम शिव बाबा को ही दिल में बसाऊंगी। सदा श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शिवबाबा की श्रीमत पर पूर्णत: चलूंगी।
5. सदा शिवबाबा और उनके द्वारा रचित यज्ञ के प्रति आज्ञाकारी, ईमानदार और वफादार बनकर सच्चाई और दिल की सफाई के साथ चलूंगी। मन-वचन और कर्म से पवित्रता के व्रत का पालन करुंगी।
6. शिव बाबा मुझे जहां बिठाएं, जो खिलाएं, जो पहनाएं इस कथन को अपने जीवन का आधार बनाकर चलूंगी। सादगी को अपने जीवन का शृंगार बनाऊंगी।
7. ऐसा कोई कर्म नहीं करुंगी, जिससे लौकिक और अलौकिक परिवार का नाम बदनाम हो। सदा ब्राह्मण कुलदीपक बनकर ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करुंगी।

बेटियों के माता-पिता ने भी लिया संकल्प

1. मैं अपनी लौकिक बच्ची को परमात्मा को समर्पित करती हूं।
2. सर्व के सुखदाता, विश्व के कल्याणकारी, सर्व के आधारमूर्त, उद्धारमूर्त, प्यारे मात-पिता बापदादा तथा निमित्त बनी हुईं रतनमोहिनी दादीजी हम अपनी कुमारी के लौकिक मात-पिता अच्छी तरह से इस ईश्वरीय कार्य को जानते हैं।
3. हमें बहुत खुशी है कि ऐसे विश्व परिवर्तन के श्रेष्ठ कार्य में हमारी पुत्री को सहयोगी बनने का सौभाग्य मिला।
4. हमारी लौकिक पुत्री सेवाकेंद्र में सेवारत है। उसका पवित्र, निर्मल, शांत और आनंदमय जीवन देखकर इन्हें इस ईश्वरीय कार्य अर्थ समर्पित करने की दिल से शुभ इच्छा उत्पन्न हुई है। सो आज समर्पण के शुभ दिन पर हम इस विशाल सुंदर और श्रेष्ठ कार्य के लिए अपनी इच्छा व प्यार से इन्हें समर्पित कर रहे हैं।
5. हमें यह भी पता है कि प्रेम तथा कायदे के संतुलन से स्वयं भगवान व विश्व के सर्व आत्माओं की दुआएं होती हैं। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाई-बहनों के पवित्र, त्यागमय, सेवामय जीवन की श्रेष्ठ धारणा, पवित्रता के नियम को भी हम जानते हैं।
6. यदि इस नियम में पूर्ण रीति से मेरी बच्ची न चल सके व ईश्वरीय मर्यादाओं के विरुद्ध कोई कर्म करे तो इसके जीवन के प्रति हम संपूर्ण जिम्मेदार हैं। आप इसके जीवन के प्रति जो भी कदम उठाएंगी उसमें हम संपूर्ण सहमत रहेंगे।
7. अंत में हम यही कहेंगे कि भगवान के इस कार्य में हमारी बच्ची दिनोंदिन तन-मन से संपूर्ण सहयोगी बन अपना श्वांस, समय, मन, वचन, कर्म सफल करेंगी और अन्य का कराएंगी।