तंबाकू बिल: राठौड़ का जोरदार समर्थन: मदन राठौड़: तंबाकू पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाना जनहित में

नई दिल्ली: राज्यसभा (Rajya Sabha) में सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल, 2025 (The Central Excise (Amendment) Bill, 2025) पर चर्चा के दौरान मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर शुल्क बढ़ाना जनहित में है, जिससे प्राप्त आय का उपयोग बीमारों के इलाज में किया जा सके।

New Delhi | राज्यसभा में भाजपा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़ ने सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल 2025 पर अपनी महत्वपूर्ण राय व्यक्त की। उन्होंने सदन में विपक्षी माननीय सदस्यों द्वारा इस विधेयक के विरोध पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया। राठौड़ ने अपने संबोधन में प्रश्न उठाया कि जो उत्पाद सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं और उन्हें बीमार बनाते हैं, यदि उन्हीं पर उत्पाद शुल्क (excise duty) लगाया जाता है, और उस शुल्क से प्राप्त होने वाली आय का उपयोग उन्हीं बीमार व्यक्तियों के इलाज और स्वास्थ्य सेवाओं में किया जाता है, तो इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? उन्हें यह तर्कसंगत विरोध समझ में नहीं आया, क्योंकि उनका मानना था कि यह कदम सीधे तौर पर जनहित से जुड़ा है।

जीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

राठौड़ ने देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने याद दिलाया कि 1 जुलाई 2017 को जब जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी, तब देश की अधिकांश वस्तुओं पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क को समाप्त कर दिया गया था। यह एक बड़ा आर्थिक सुधार था जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना था।

हालांकि, कुछ विशिष्ट वस्तुएं, जैसे तंबाकू और तंबाकू उत्पाद, साथ ही डीजल और पेट्रोल, केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में बनी रहीं। जीएसटी के लागू होने के बाद, तंबाकू पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कमी करनी पड़ी थी। इस राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए, राज्यों को होने वाली संभावित क्षतिपूर्ति के रूप में पांच वर्ष की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति उपकर (compensation cess) का प्रावधान किया गया था। यह उपकर राज्यों के राजस्व हितों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

जीएसटी विरोध पर स्पष्टीकरण और राजनीतिक साहस

अपने भाषण के दौरान, राठौड़ ने माननीय सदस्य प्रमोद तिवारी द्वारा उठाए गए एक बिंदु का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा जीएसटी का विरोध करने का उल्लेख किया था। राठौड़ ने स्पष्ट किया कि उस समय जीएसटी के मसौदे में क्षतिपूर्ति उपकर का स्पष्ट प्रावधान नहीं था, जिसके कारण राज्यों को राजस्व हानि की आशंका थी और इसी वजह से विरोध हुआ था। उन्होंने कहा कि उस समय के नेता शायद इस बिल की दूरगामी प्रभावों को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे थे।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी भी जीएसटी लाना चाहती थी, लेकिन उनमें इसे लागू करने का राजनीतिक साहस नहीं था। राठौड़ ने उस समय की एक घटना का भी जिक्र किया, जब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कैबिनेट नोट को फाड़कर फेंक दिया था, जो दर्शाता है कि उस समय उनकी पार्टी के भीतर भी उनकी बात नहीं चलती थी। राठौड़ ने प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र भाई मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति और हिम्मत की सराहना की, जिन्होंने न केवल जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया, बल्कि क्षतिपूर्ति उपकर लगाकर राज्यों को उनके राजस्व का पूरा हिस्सा भी सुनिश्चित किया। यह एक ऐसा कदम था जिसने संघीय ढांचे में राज्यों के हितों की रक्षा की।

तंबाकू: एक गंभीर जनस्वास्थ्य संकट

मदन राठौड़ ने तंबाकू के सेवन को भारत के लिए एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने चिंताजनक आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रतिवर्ष लगभग 13.5 लाख लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। यह आंकड़ा भारत में तंबाकू के व्यापक और घातक प्रभाव को दर्शाता है।

उन्होंने आगे बताया कि विश्वभर में तंबाकू से होने वाली कुल मौतों में से लगभग 17% मौतें अकेले भारत में होती हैं, जो इस समस्या की भयावहता को उजागर करता है। यह एक ऐसा संकट है जिस पर तत्काल ध्यान देने और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

तंबाकू जनित बीमारियाँ और उनका प्रभाव

राठौड़ ने कच्ची तंबाकू, खैनी, गुटखा और हुक्का जैसे विभिन्न तंबाकू उत्पादों के प्रयोग से होने वाली गंभीर बीमारियों का विस्तार से उल्लेख किया। इनमें मुंह का कैंसर और फेफड़ों का कैंसर प्रमुख हैं, जो व्यक्ति के जीवन को तबाह कर देते हैं। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों के कारण व्यक्ति ठीक से बोल भी नहीं पाता और कई बार तो उसकी ऐसी स्थिति हो जाती है कि बोलने के लिए सांस लेने में भी कठिनाई होती है, क्योंकि तंबाकू के कण फेफड़ों में चले जाते हैं। ऐसी स्थितियों में अक्सर व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि ऐसे जानलेवा उत्पादों पर अंकुश लगाने और लोगों को उनके उपयोग से हतोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है, तो इसमें किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह एक ऐसा कदम है जो सीधे तौर पर लाखों लोगों के जीवन को बचाने और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने से जुड़ा है। इस विधेयक का उद्देश्य इन गंभीर समस्याओं का समाधान करना है।

उत्पाद शुल्क वृद्धि के बहुआयामी लाभ और उद्देश्य

राठौड़ ने विधेयक के माध्यम से उत्पाद शुल्क बढ़ाने के कई सकारात्मक और दूरगामी प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से उनके मूल्य में स्थिरता आएगी, जिससे इन उत्पादों की पहुंच कम होगी और विशेष रूप से युवाओं में इसके उपयोग के प्रति हतोत्साहन पैदा होगा। जब उत्पाद महंगे होंगे, तो युवा वर्ग उनके सेवन से दूर रहेगा, जिससे एक स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण होगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक के प्रावधानों के तहत, राज्यों को राजस्व का 42% हिस्सा पहले की तरह ही मिलता रहेगा, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी। इस विधेयक का एक प्रमुख उद्देश्य जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति के बाद भी इन हानिकारक उत्पादों पर राजस्व बोझ को सुरक्षित रखना है, ताकि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को आवश्यक वित्तीय संसाधन प्राप्त होते रहें।

विशिष्ट शुल्क दरें और राजस्व सुरक्षा का महत्व

विधेयक में सिगरेट, सिगार और चिरूट जैसे तंबाकू उत्पादों पर लगाई जाने वाली विशिष्ट शुल्क दरों का भी उल्लेख किया गया है। इन उत्पादों पर प्रति 1000 स्टिक की दर से 5,000 रुपये से लेकर 11,000 रुपये तक का उत्पाद शुल्क लगेगा। कई माननीय सदस्यों ने यह भी बताया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद, इन उत्पादों की बिक्री पर 40% अतिरिक्त शुल्क भी लगेगा, जिससे राजस्व संग्रह में और वृद्धि होगी।

राठौड़ ने जोर दिया कि यह कदम केवल राजस्व संग्रह तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है। यह युवाओं को नशे की लत से दूर रखने में सहायक होगा, जिससे देश का भविष्य सुरक्षित होगा। इसके साथ ही, यह आर्थिक स्थिरता भी प्रदान करेगा, जिससे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अपने विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों को जारी रखने में मदद मिलेगी।

राजस्थान में तंबाकू के उपयोग की चिंताजनक स्थिति

राजस्थान से आने वाले माननीय सदस्य मदन राठौड़ ने अपने गृह राज्य में तंबाकू के उपयोग की चिंताजनक स्थिति पर विशेष ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में लगभग 41% लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है और एक गंभीर जनस्वास्थ्य चुनौती प्रस्तुत करता है।

उन्होंने खेनी (चबाने वाली तंबाकू) के व्यापक उपयोग का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कई महिलाएं जो दिहाड़ी मजदूरी करती हैं, वे दिनभर के काम के दौरान खेनी का सेवन करती हैं। इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि कुछ ठेकेदार मजदूरों को उनके दैनिक वेतन के साथ खेनी भी देते हैं, जो एक तरह से इस हानिकारक आदत को बढ़ावा देने का काम करता है। राठौड़ ने दृढ़ता से कहा कि यदि ऐसे प्रथाओं पर प्रभावी रोक लगाई जाए, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ा और सकारात्मक कदम होगा।

ग्रामीण और युवा वर्ग में तंबाकू का बढ़ता प्रचलन

राठौड़ ने ग्रामीण क्षेत्रों में हुक्का और बीड़ी के उपयोग की व्यापकता पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि यह प्रवृत्ति न केवल वयस्कों में बल्कि किशोरों और विद्यार्थियों में भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे युवा पीढ़ी नशे की चपेट में आ रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि तंबाकू उत्पादों की कीमतें बढ़ाई जाएंगी, तो निश्चित रूप से उनके उपयोग पर अंकुश लगेगा, क्योंकि अधिक कीमत एक निवारक के रूप में कार्य करेगी। यह विशेष रूप से युवा वर्ग को इन उत्पादों से दूर रखने में सहायक होगा।

किसानों और बीड़ी श्रमिकों पर प्रभाव से संबंधित भ्रांतियों का निवारण

सदन में बीड़ी उद्योग से जुड़े मजदूरों और तंबाकू किसानों को होने वाले संभावित नुकसान की चिंताओं को दूर करते हुए, राठौड़ ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित उत्पाद शुल्क कारखाने स्तर पर लगाया जा रहा है, न कि सीधे किसान या मजदूर पर।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई किसान तंबाकू का उत्पादन करता है, तो उस पर कोई कर या उत्पाद शुल्क नहीं लगेगा। इसी प्रकार, यदि कोई मजदूर बीड़ी बनाने का काम करता है, तो उस पर भी कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। यह शुल्क केवल उन कंपनियों पर लागू होगा जो तंबाकू उत्पादों का निर्माण करती हैं और उन्हें बाजार में बेचती हैं। इसलिए, इस संबंध में किसानों या मजदूरों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके हितों को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने राजस्थान के कोटा, बारां, बूंदी, धौलपुर और भरतपुर जैसे क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जहाँ बीड़ी उत्पादन में बड़ी संख्या में श्रमिक कार्यरत हैं। उन्होंने दोहराया कि यह विधेयक किसानों या मजदूरों को किसी भी प्रकार का सीधा नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि यह उत्पादकों पर केंद्रित है जो बड़े पैमाने पर तंबाकू उत्पादों का निर्माण करते हैं।

"कैंसर एक्सप्रेस" की भयावहता और व्यापक सामाजिक लाभ

राठौड़ ने तंबाकू के सेवन से होने वाले एक और भयावह परिणाम की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया: पंजाब से बीकानेर आने वाली एक विशेष ट्रेन, जिसका नाम लोगों ने "कैंसर एक्सप्रेस" या "कैंसर ट्रेन" रख दिया है। इस ट्रेन में बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज यात्रा करते हैं, जो तंबाकू के व्यापक और घातक दुष्प्रभावों का एक जीता-जागता प्रमाण है। यह स्थिति देश में तंबाकू जनित बीमारियों के बढ़ते बोझ को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

उन्होंने कहा कि इस तरह के कई भ्रमों को दूर करने और वास्तविकता को स्वीकार करने की आवश्यकता है। यह विधेयक न केवल सरकार के राजस्व को सुरक्षित रखेगा, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा। यह युवाओं को नशे की लत से दूर रखने का काम करेगा, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसके साथ ही, यह आर्थिक स्थिरता भी प्रदान करेगा, राज्यों के राजस्व हिस्सों को सुरक्षित रखने का काम करेगा, और तंबाकू उद्योग को एक उचित विनियमन के दायरे में लाएगा।

राठौड़ ने आगे कहा कि इस विधेयक से राजस्थान और अन्य राज्यों के स्वास्थ्य संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार आएगा। जब इतने सारे अच्छे और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने वाले हैं, तो हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि हम लोगों को तंबाकू का उपयोग करने से कैसे रोकें, उन्हें इसके प्रति आकर्षित होने से कैसे बचाएं, और उन्हें इस जानलेवा लत से कैसे दूर रखें, बजाय इसके कि हम इस पर शुल्क क्यों लगाया जा रहा है, इस पर बहस करें।

राजनीति से परे, स्वस्थ भविष्य के लिए एकजुटता

मदन राठौड़ ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि उन्हें यह समझ में नहीं आया कि इस महत्वपूर्ण जनस्वास्थ्य मुद्दे में राजनीति की बात कहाँ है। उन्होंने सभी माननीय सदस्यों से आग्रह किया कि हम सबको मिलकर ऐसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए काम करना चाहिए। हमारा सामूहिक लक्ष्य यह होना चाहिए कि हमारा देश सुरक्षित रहे, हमारे नौजवान सुरक्षित रहें, और हमारा युवा वर्ग नशे की लत से भटकने से बचे।

उन्होंने केवल विरोध करने के लिए विरोध करने की प्रवृत्ति को अनुचित बताया। राठौड़ ने विश्वास के साथ कहा कि यह बिल न केवल वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है, बल्कि यह तंबाकू के दुष्प्रभावों पर प्रभावी रोक भी लगाता है। यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को मजबूत करता है, जिससे वे अपने नागरिकों के कल्याण के लिए बेहतर तरीके से कार्य कर सकें।

अंत में, उन्होंने विनम्रतापूर्वक सदन से आग्रह किया कि इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के स्वस्थ और सशक्त भविष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। उन्होंने उपसभापति महोदय और राठौड़ जी को उनके समय और अवसर के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।