पिण्डवाड़ा खनन परियोजना : पिण्डवाड़ा पंचायत समिति में खनन परियोजना निरस्त करने का प्रस्ताव पारित
सिरोही (Sirohi) की पिण्डवाड़ा पंचायत समिति (Pindwara Panchayat Samiti) में मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट (M/s Kamlesh Metacast) की प्रस्तावित खनन परियोजना (mining project) को निरस्त करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया, जिसके बाद सदन में 'खनन परियोजना निरस्त करो' के नारे गूंज उठे।
सिरोही: सिरोही की पिण्डवाड़ा पंचायत समिति में मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट की प्रस्तावित खनन परियोजना को निरस्त करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया, जिसके बाद सदन में 'खनन परियोजना निरस्त करो' के नारे गूंज उठे।
पिण्डवाड़ा पंचायत समिति में खनन परियोजना निरस्त करने का प्रस्ताव पारित
पंचायत समिति पिण्डवाड़ा की साधारण बैठक सोमवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर भवन पिण्डवाड़ा में प्रधान नितिन बंसल की अध्यक्षता में आयोजित हुई थी।
इस बैठक में मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, जयपुर की प्रस्तावित खनन परियोजना को लेकर माहौल काफी गर्मा गया था।
प्रधान नितिन बंसल ने सदन में मेटा कास्ट की खनन लीज निरस्त करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिससे सदन में खुशी की लहर दौड़ गई।
प्रस्ताव पारित होते ही सदन में "खनन परियोजना निरस्त करो, निरस्त करो" के जोरदार नारे गूंजने लगे थे।
बैठक की शुरुआत में देरी और अधिकारियों की अनुपस्थिति
यह महत्वपूर्ण बैठक तय समय से कुछ देर से शुरू हुई थी।
उपखण्ड अधिकारी निर्धारित समय पर बैठक में नहीं पहुंचे थे।
जनप्रतिनिधि और अन्य अधिकारी सभागार में उनकी प्रतीक्षा करते रहे थे।
बैठक की शुरुआत में विकास अधिकारी नवलाराम चौधरी ने पिछली बैठक की कार्यवाही पढ़कर सुनाई थी।
प्रधान ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
प्रधान नितिन बंसल ने प्रशासन पर जनता से संवाद न करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भारजा, भीमाना, वाटेरा और रोहिड़ा क्षेत्र में मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट परियोजना के विरोध में जनता एक माह से आंदोलन कर रही है।
प्रधान ने जोर देकर कहा कि प्रशासन को जनता से संवाद कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने सदन की भावना व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना हर हाल में निरस्त की जानी चाहिए।
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस
प्रशासक भीमाना हेमेन्द्र सिंह देवड़ा, पवन कुमार राठौड़ और सविता रावल ने आंदोलन की स्थिति के लिए प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया।
इस मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।
अतिरिक्त जिला कलक्टर डॉ. राजेश गोयल ने स्पष्ट किया कि जनसुनवाई प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक पंचायत से 15-20 सदस्यों की एक कमेटी गठित की जाए।
यह कमेटी प्रशासन के साथ वार्ता करके समाधान का रास्ता निकाल सकती है।
खनन विभाग पर निष्क्रियता और जनता की परेशानी
प्रधान बंसल ने खनन विभाग की लापरवाही पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों से ब्लॉक में चुनाई पत्थर के सर्वे के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
हालांकि, विभाग ने इस संबंध में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
प्रधान ने कहा कि गरीब परिवारों को पत्थर महंगे दामों पर खरीदने पड़ रहे हैं।
चोरी-छिपे पत्थर लाने पर उन पर भारी जुर्माना लगाया जाता है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
साथ ही, उन्होंने बजरी और पत्थर की लीज जल्द शुरू करने का प्रस्ताव भी पारित कराया।
विधायक समाराम गरासिया की चेतावनी
विधायक समाराम गरासिया ने बैठक में एक महत्वपूर्ण चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि अगर प्रस्तावित कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र को निरस्त नहीं किया गया, तो आदिवासी परिवार सड़कों पर उतर आएंगे।
ऐसी स्थिति में प्रशासन के लिए हालात संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
पिण्डवाड़ा कॉलेज संघर्ष समिति की मांग
पिण्डवाड़ा कॉलेज संघर्ष समिति के सदस्य भी बैठक में पहुंचे थे।
उन्होंने प्रधान बंसल से झाड़ोली में बन रहे महाविद्यालय को निरस्त करने की मांग की।
समिति ने जनापुर सीमा (पिण्डवाड़ा मुख्यालय) में कॉलेज निर्माण का प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया।
विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली की समीक्षा
बैठक में राजस्व, जलदाय, विद्युत, सार्वजनिक निर्माण, कृषि और रसद सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की कार्यप्रणाली पर विस्तृत चर्चा हुई।
बैठक में तहसीलदार शंकरलाल पटेल, डीएसपी किशोरसिंह, डिप्टी भंवरलाल चौधरी और थानाधिकारी गंगाप्रसाद सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
मेटा कास्ट परियोजना की लंबी पृष्ठभूमि
मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्रा. लि. ने वर्ष 2011 में इस खनन परियोजना के लिए आवेदन किया था।
सरकार ने 30 नवम्बर 2016 को कंपनी सहित अन्य आवेदनों को निरस्त कर दिया था।
कंपनी ने इस निर्णय के खिलाफ 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
न्यायालय के आदेश पर सरकार ने 15 अगस्त 2020 को अनुज्ञा पत्र निरस्त करते हुए अपील की।
फिर 25 जून 2021 को अदालत ने कंपनी के पक्ष में निर्णय सुनाया।
सरकार ने 3 जनवरी 2021 को अपील नहीं करने की सिफारिश की थी।
30 जून 2022 को परियोजना प्रस्ताव को कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई।
19 मार्च 2023 को कंपनी ने पर्यावरण मंत्रालय को एक पत्र भेजा।
15 जुलाई 2025 को जयपुर में आयोजित राजस्थान निवेश शिखर सम्मेलन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उपस्थिति में ₹1700 करोड़ का एमओयू (MoU) साइन हुआ था।
खनन विभाग के अनुसार, चारागाह और राजस्व भूमि की एनओसी (NOC) मिलने के बाद ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी।
खातेदारी भूमि बिना खातेदारों की स्वीकृति के अधिग्रहित नहीं की जाएगी।
फिलहाल विभाग ने इस परियोजना के लिए कोई पट्टा जारी नहीं किया है।
जनता के सुलगते सवाल और भविष्य की राह
अब क्षेत्र की जनता के बीच कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति को रोकने के निर्देश देंगे, यह देखना बाकी है।
क्या "राइजिंग राजस्थान" के तहत हुए एमओयू को रद्द किया जाएगा, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
क्या सरकार जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस परियोजना को पूर्ण रूप से निरस्त करेगी, यह समय बताएगा।
क्षेत्र की जनता का साफ कहना है कि चाहे भूमि सरकारी हो या निजी, वे किसी भी हाल में इस परियोजना को स्वीकार नहीं करेंगे।
पिण्डवाड़ा की इस बैठक में पारित प्रस्ताव ने मेटा कास्ट खनन परियोजना को लेकर चल रहे विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या राज्य सरकार और मुख्यमंत्री स्वयं इस विवादित परियोजना को निरस्त करने की पहल करेंगे या नहीं।
रोहिड़ा प्रशासक पर आरोप और जांच की मांग
कुछ ग्रामीणों ने रोहिड़ा ग्राम पंचायत के प्रशासक पवन राठौड़ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
इन आरोपों में रिश्तेदारों के नाम पर अवैध कब्जा और खनन शामिल है।
शिकायत में सरकारी धन का दुरुपयोग कर सड़क निर्माण और पीपेला गांव में अतिक्रमण के आरोप भी हैं।
हालांकि, पवन राठौड़ ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
ग्रामीणों ने इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि "दूध का दूध और पानी का पानी" हो सके।