सिरोही: सांड का हमला, कलेक्टर पर अवमानना: सिरोही: आवारा सांड का हमला, कलेक्टर पर परिवाद व अवमानना का खतरा
सिरोही (Sirohi) में आवारा सांड (stray bull) के हमले से बुजुर्ग मोहनलाल सोनी (Mohanlal Soni) घायल हुए। भाजपा नेता महिपाल चारण (Mahipal Charan) ने कलेक्टर (Collector) व आयुक्त (Commissioner) के खिलाफ पुलिस (Police) में परिवाद दिया है, न्यायिक अवमानना (judicial contempt) का भी खतरा है।
सिरोही: सिरोही (Sirohi) में आवारा सांड (stray bull) के हमले से बुजुर्ग मोहनलाल सोनी (Mohanlal Soni) घायल हुए। भाजपा नेता महिपाल चारण (Mahipal Charan) ने कलेक्टर (Collector) व आयुक्त (Commissioner) के खिलाफ पुलिस (Police) में परिवाद दिया है, न्यायिक अवमानना (judicial contempt) का भी खतरा है।
सिरोही में आवारा सांड का आतंक और लापरवाही
राजस्थान के सिरोही शहर में आवारा पशुओं का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है।
हाल ही में खारी बावड़ी के पास एक बुजुर्ग व्यक्ति आवारा सांड के हमले का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो गए।
यह घटना 31 अक्टूबर 2025 की शाम करीब 5 बजे की है जब सुनारवाड़ा निवासी मोहनलाल सोनी गणेशजी मंदिर से दर्शन कर घर लौट रहे थे।
अचानक एक आवारा सांड ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें सींगों से उठाकर सड़क किनारे पटक दिया।
इस हमले में मोहनलाल सोनी के हाथों, पैरों, कुल्हे और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं।
घटनास्थल पर मौजूद भरत छीपा और आसपास के दुकानदारों ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
चिकित्सकों ने जांच और एक्सरे के बाद उनके कुल्हे और घुटनों में अस्थिभंग की पुष्टि की और ऑपरेशन की आवश्यकता बताई।
इस घटना से बाजार में अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए दुकानों में छिप गए।
नगर परिषद अधिकारियों पर आपराधिक लापरवाही का आरोप
इस गंभीर घटना के बाद भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष महिपाल चारण ने नगर परिषद प्रशासक, जो कि जिला कलेक्टर भी हैं, आयुक्त और सफाई निरीक्षक सहित अन्य संबंधित कार्मिकों के खिलाफ सिरोही कोतवाली में परिवाद पेश किया है।
महिपाल चारण ने आरोप लगाया है कि यह घटना नगर परिषद सिरोही के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों में घोर लापरवाही बरतने के कारण हुई है।
उन्होंने अपने परिवाद में बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है।
पूर्व में भी टाकरिया मोहल्ला में एक व्यक्ति को आवारा बैल ने पटक दिया था।
इसी तरह पुरोहित भवन के व्यवस्थापक खीमसिंह राजपुरोहित की भी आवारा सांड के हमले से मृत्यु हो गई थी।
चारण ने परिवाद में जांच कर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
न्यायालय की अवमानना का गंभीर मामला
भाजपा नेता महिपाल चारण ने केवल आपराधिक लापरवाही का जिक्र किया है, लेकिन यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों की घोर अवहेलना का भी बनता है।
सिरोही नगर परिषद के प्रशासक, आयुक्त और सफाई निरीक्षक ने उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों को दरकिनार किया है।
अगस्त 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने के आदेश के बाद, राजस्थान हाईकोर्ट ने भी आवारा पशुओं की समस्या पर लंबित याचिका पर निर्णय दिया था।
जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने 12 अगस्त को दिए अपने आदेश में राजस्थान के सभी नगर निकायों को अपने शहरों को आवारा कुत्तों और अन्य आवारा पशुओं से मुक्त करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने यह भी कहा था कि आवारा पशुओं को उनके मालिकों के पास वापस सौंपा जाए, और यदि कोई इस प्रक्रिया में बाधा डालता है तो उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाएं।
इस आदेश के बावजूद, सिरोही नगर परिषद के प्रशासक और आयुक्त ने इसकी पालना नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप यह दुखद हादसा हुआ।
महिपाल चारण ने बताया कि वे सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश की प्रतिलिपि लेकर न्यायिक राय के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी अमल में लाएंगे।
जिला कलेक्टर पर दोहरी अवमानना का आरोप
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह आदेश केवल नगर निकायों को ही नहीं, बल्कि यूआईटी (शहरी सुधार न्यास) को भी दिए थे।
सिरोही की सभी नगर निकायों के साथ-साथ यहां की एकमात्र यूआईटी आबूरोड में भी आवारा पशु एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।
इस विभाग को दो आईएएस अधिकारी संभालते हैं, जिनमें सिरोही कलेक्टर इसकी अध्यक्ष हैं और माउंट आबू उपखंड अधिकारी इसकी सचिव हैं।
यूआईटी क्षेत्र में आबूरोड चिकित्सालय से लेकर आमथला तक के मुख्य मार्गों पर आवारा गोवंश का जमावड़ा लगा रहता है।
इन अधिकारियों ने भी न्यायालय के आदेशों की पालना करते हुए इन आवारा पशुओं को यहां से नहीं हटाया।
यह स्थिति जिला कलेक्टर पर दोहरी अवमानना का आरोप लगाती है, क्योंकि वे नगर परिषद प्रशासक के साथ-साथ यूआईटी अध्यक्ष भी हैं।
यह घटना सार्वजनिक सुरक्षा और न्यायिक आदेशों के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।