आदेश बचाएगा वैभव : जो चित्तौड़गढ़ मुगलिया धमाके से कभी नहीं दहला वो आज धूज रहा है 

जिंदगी की दौड़ भाग में शायद आपको अब ये ध्यान ना रहा हो पर चित्तौड़ का किला खतरे में है, जो किला मुगलिया सल्तनत से खतरे में नहीं आया, वो आज नए साम्राज्यवादियों के आगे धूज रहा हैं। 

Chittorgarh Fort (AI generated Image)

चित्तौड़ का किला हमारी पीढ़ी या आज का बड़े से बड़ा बिजनेस हाउस चाह कर भी नहीं बना सकता

इस महान किले जिसकी ऐतिहासिक पहचान पहचान है मुगलिया सल्तनत के खिलाफ राजपूती जीवटता। 

चाहे महाराणा प्रताप की अकबर के खिलाफ जंग का ऐलान हो या रानी पद्मिनी, कर्मावती और  फूलकुंवर जैसी लाखों वीरांगनाओं के जौहर से दीप्त हुआ चित्तौड़गढ़। मीरांबाई खुद यहां वर्षों तक इसी चित्तौड़ किले में अपने आराध्य की सेवा करती रही। परन्तु मजाल कि इस दुर्ग की अस्मिता को, वैभव को कोई मिटा सके।

जिंदगी की दौड़ भाग में शायद आपको अब ये ध्यान ना रहा हो पर चित्तौड़ का किला खतरे में है, जो किला मुगलिया सल्तनत से नहीं खतरे में नहीं आया, वो आज नए साम्राज्यवादियों के आगे धूज रहा हैं। 

समय की मार उसपर आसपास की चूना पत्थर की खदानों से होने वाले विस्फोटों ने चित्तौड़गढ़ किले के अस्तित्व के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

चित्तौड़गढ़ किले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला सुनाया हैं अब चित्तौड़गढ़ किले के 5 किमी के दायरे में चूना पत्थर की खदानों में विस्फोट पर रोक होगी। 

राजस्थान की धरोहर ही राजस्थान का वजूद बचाए रख सकती हैं नई सरकार इसके प्रति सकारात्मक रवैया रखे, पिछली सरकार में धरोहरों की उपेक्षा हुई हैं।

चित्तौड़गढ़ किले को मिला ये सुरक्षा कवच कागजी ना रह जाए इस पर सरकार को काम करना होगा।

चित्तौड़गढ़ के किले ने अपनी भूमिका राजस्थान की अस्मिता को बचाए रखने में निभाई थी, आज ये किला अपनी अस्मिता की तलाश में हैं, सुप्रीम कोर्ट ने यूनेस्को धरोहर स्थल से 5 किमी के दायरे में चूना पत्थर की खदानों में विस्फोट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।