Australia: सिडनी हमला: 20 मिनट, 50 राउंड फायरिंग, 15 मौतें; पुलिस मूकदर्शक

सिडनी (Sydney) के मशहूर बॉन्डी बीच (Bondi Beach) पर 14 दिसंबर की शाम हनुक्का (Hanukkah) त्योहार मना रहे यहूदियों (Jews) को निशाना बनाकर दो हमलावरों ने 50 राउंड फायरिंग की, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और 40 घायल हो गए। चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस सामने थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। इस हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया (Australia) में यहूदी विरोधी भावना बढ़ने की बहस तेज हो गई है।

सिडनी नरसंहार: 15 मौतें, पुलिस पर सवाल

नई दिल्ली: सिडनी (Sydney) के मशहूर बॉन्डी बीच (Bondi Beach) पर 14 दिसंबर की शाम हनुक्का (Hanukkah) त्योहार मना रहे यहूदियों (Jews) को निशाना बनाकर दो हमलावरों ने 50 राउंड फायरिंग की, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और 40 घायल हो गए।

चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस सामने थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। इस हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया (Australia) में यहूदी विरोधी भावना बढ़ने की बहस तेज हो गई है।

सिडनी के बॉन्डी बीच पर पसरा मातम

दुनिया में ऑस्ट्रेलिया की पहचान ओपेरा हाउस, सिडनी हार्बर ब्रिज और बॉन्डी बीच जैसी जगहों से है। ओपेरा हाउस और सिडनी हार्बर ब्रिज आज भी गुलजार हैं, लेकिन सिडनी के मशहूर बॉन्डी बीच पर अब मातम पसरा हुआ है।

यहूदी समुदाय के लोग यहां 14 दिसंबर की शाम को अपना धार्मिक त्योहार 'हनुक्का' मना रहे थे। तभी दो हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह घटना सिडनी के इतिहास में एक काला अध्याय बन गई है।

हमले का भयावह मंजर: चश्मदीदों की जुबानी

एली स्लैंगर की शहादत

मरने वालों में हनुक्का फेस्टिवल के आयोजक एली स्लैंगर भी शामिल थे। हमलावरों ने सबसे पहले उन्हें ही गोली मारी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

सिडनी में रहने वाले 41 वर्षीय एली स्लैंगर ऑस्ट्रेलिया के यहूदी समुदाय में एक जाना-पहचाना नाम थे। वे समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते थे।

एली स्लैंगर एक खुशमिजाज शख्स थे और उनके पांच बच्चे हैं। हमले के वक्त वे स्टेज पर खड़े थे, तभी हमलावरों ने उनके सिर पर गोली मार दी।

उनके दोस्त एलीजर टेवेल ने लिखा, "वे सिर्फ अपना काम कर रहे थे। वे किसी युद्ध के मैदान में नहीं थे। वे सिर्फ एक फेस्टिवल में थे।"

यांकी बर्गर का अनुभव

यहूदी समुदाय के नेता और एली स्लैंगर के दोस्त यांकी बर्गर ने इस भयावह मंजर को करीब से देखा। बॉन्डी बीच वाले इलाके में ऑस्ट्रेलिया के सबसे अमीर लोग रहते हैं, और यहूदी समुदाय के ज्यादातर बड़े कारोबारी इसी क्षेत्र में निवास करते हैं।

यांकी बर्गर बताते हैं कि उनके दोस्त एली स्लैंगर ने हनुक्का फेस्टिवल का आयोजन किया था। अचानक दो आतंकियों ने फेस्टिवल को निशाना बनाकर फायरिंग शुरू कर दी।

फेस्टिवल मना रहे लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। आतंकियों ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी को निशाना बनाया और उन पर गोलियां बरसाईं।

हमले के वक्त यांकी बर्गर के बेटे मेंडी और पोती बाथिया भी फेस्टिवल में मौजूद थे। मेंडी ने फायरिंग की आवाज सुनकर अपनी बेटी को गोद में उठाया और छिपने की कोशिश की।

उन्हें महसूस हो रहा था कि फायरिंग की आवाज तेज हो रही है और उनके आसपास भीड़ जमा हो रही है। मेंडी को लगा कि अब मौत करीब है, तो वह अपनी बेटी के साथ अपने धर्म की आखिरी प्रार्थना करने लगा।

उन्होंने लोगों को गोली लगते और गिरते देखा, साथ ही हमलावरों को भी करीब से देखा। यांकी कहते हैं कि इस हमले के बाद लोग खौफ और सदमे में हैं, दर्द से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वे और ज्यादा मजबूत बनेंगे।

एक यहूदी चश्मदीद का दर्द

एक अन्य यहूदी चश्मदीद, जिसकी पहचान उजागर नहीं की गई है, ने हमलावरों को करीब से देखा था। उन्होंने बताया कि वहां दो शूटर थे, जिनमें से एक पुल के नीचे और दूसरा ऊपर था।

वे लगातार 20 मिनट तक फायरिंग करते रहे, मैगजीन बदलते और फिर से गोलीबारी शुरू कर देते थे। इस दौरान 20 मिनट तक किसी ने भी जवाबी फायरिंग नहीं की।

उन्होंने अपने बच्चों को छिपा लिया और खुद हमलावरों को देखते रहे। हमलावर काफी दूर थे, इसलिए वे उनकी आवाज नहीं सुन पाए।

इस चश्मदीद ने बताया कि वहां चार पुलिसवाले भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा, "मैं इजराइली हूं। मैंने इस तरह के हालात देखे हैं। मैं 6 बच्चों के साथ आया था, शुक्र है हम सब सही-सलामत हैं।"

यह फेस्टिवल का पहला दिन था और वे उसी के लिए इकट्ठे हुए थे। उन्होंने कहा कि आतंकी उन्हें मार देना चाहते थे, जबकि वे बाकी नागरिकों की तरह ही हैं।

पूर्व फौजी रहे इस व्यक्ति ने कहा, "मैंने ये सब करीब से देखा है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में ऐसा हो जाएगा कभी नहीं सोचा था। आतंकी फायरिंग करते रहें और उन पर जवाबी फायरिंग न हो, ये चौंकाने वाली बात है।"

पुलिस की भूमिका पर सवाल

चश्मदीदों के बयानों से सिडनी पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कई लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने हमलावरों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।

20 मिनट तक चली इस अंधाधुंध फायरिंग में 15 लोगों की जान चली गई, जबकि पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इस निष्क्रियता ने जनता में भारी गुस्सा और निराशा पैदा की है।

ऑस्ट्रेलिया टुडे के एडिटर अमित सरवाल ने बताया कि हादसे के बाद पुलिस ने पूरे बॉन्डी बीच को खाली करवा लिया था। इस इलाके से एक कार मिली है, जिसे हमलावरों की कार बताया जा रहा है।

कार में बम बनाने का सामान भी मिला है, जिससे हमले की भयावहता और योजनाबद्ध तरीके से होने का संकेत मिलता है।

हमलावर कौन थे?

बाप-बेटे की जोड़ी: साजिद और नवीद अकरम

हमला करने वालों की पहचान साजिद अकरम और उसके 24 वर्षीय बेटे नवीद अकरम के तौर पर हुई है। उन्होंने अपने परिवार को बताया था कि वे वीकेंड पर मछलियां पकड़ने जा रहे हैं।

नवीद का जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ था। हमलावरों में से एक, 24 साल के नवीद अकरम का ड्राइविंग लाइसेंस भी घटनास्थल से मिला है, जिसके बाद हमलावरों के घर पर छापेमारी की गई।

ISIS से जुड़े होने का शक और खुफिया एजेंसी की चूक

ऑस्ट्रेलियाई खुफिया पुलिस के मुताबिक, साजिद और नवीद दोनों पर आतंकी संगठन ISIS से जुड़े होने का शक था। 2019 से ही उन पर नजर रखी जा रही थी।

अब सवाल उठ रहे हैं कि जब प्रशासन को इस जानकारी पर एक्शन लेना चाहिए था, तो उसने ऐसा क्यों नहीं किया। यह खुफिया एजेंसियों की बड़ी चूक मानी जा रही है।

बंदूक लाइसेंस पर बहस

हमलावर साजिद अकरम के पास 6 राइफल के लाइसेंस थे। वह एक फायरिंग क्लब का सदस्य था, जिसके जरिए उसे शॉटगन के लाइसेंस भी मिले थे।

पुलिस के मुताबिक, उसने सामान्य तरीके से ही लाइसेंस हासिल किए थे। इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया में बंदूक लाइसेंस से जुड़े नियमों को सख्त करने की मांग तेज हो गई है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बनीज ने हाईलेवल सिक्योरिटी मीटिंग बुलाई थी। वे चाहते हैं कि बंदूक लाइसेंस से जुड़े नियमों को सख्त किया जाए।

एक व्यक्ति के पास 1-2 से ज्यादा हथियार न हों, यह सुनिश्चित करने की बात हो रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

यहूदी विरोधी हिंसा की बहस

7 अक्टूबर के बाद बढ़ी नफरत

यांकी बर्गर ऑस्ट्रेलिया की सरकार से नाराज दिखते हैं। वे कहते हैं कि 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों के खिलाफ नफरत बढ़ी है।

यहां भीड़ यहूदियों के खिलाफ प्रदर्शन करती थी, इसके बावजूद सरकार कुछ नहीं करती थी। प्रदर्शन में शामिल लोग कई बार यहूदियों को मारने की बात कहते थे।

एली स्लैंगर इसी तरह के मुद्दे उठाते रहते थे। यांकी को लगता है कि इस हमले के बाद यह जरूरी है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार यहूदी समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए।

समुदाय के तौर पर भी यह उनके लिए एक बड़ी सीख है कि उन्हें और ज्यादा एकजुट रहना होगा।

सरकार और ग्रीन पार्टी पर आरोप

अमित सरवाल बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की पार्टी ग्रीन्स की डिप्टी लीडर महरीन फारुकी जब बॉन्डी एरिया में गईं, तो लोगों ने उनका विरोध किया।

अब लोगों को लग रहा है कि 7 अक्टूबर 2023 के बाद से ग्रीन्स और लेफ्ट पार्टियों ने यहूदी विरोध को इतनी ज्यादा हवा दे दी है कि लोगों में कट्टर सोच पैदा हो रही है।

यह बहस भी चल रही है कि क्या इस हमले के पीछे राजनीतिक या धार्मिक प्रेरणा थी। अमित सरवाल कहते हैं कि अभी यह पुख्ता तरीके से नहीं कहा जा सकता कि हमलावर कुछ ऐसा बोल रहे थे या उन्होंने इस्लाम का हवाला देकर हमले के समर्थन में पोस्टर-पर्चे फेंके हों।

यह सच है कि बॉन्डी बीच पर उस वक्त बहुत सारे लोग थे, लेकिन हमलावरों ने टारगेट करके सिर्फ यहूदियों को ही मारा। उन्होंने दूसरे कैफे में बैठे लोगों पर फायरिंग नहीं की।

जानबूझकर फेस्टिवल मना रहे यहूदियों पर ही फायरिंग की गई। प्रधानमंत्री और पुलिस ने भी यह बात मानी है। हमलावरों ने राजनीति या धर्म से प्रेरित होकर हमला किया, यह अब तक साफ नहीं हो सका है।

समुदाय की एकजुटता का आह्वान

यांकी बर्गर ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि यहूदियों ने सदियों से बहुत कुछ झेला है। उन्हें लगता है कि अब यहूदी जाग गए हैं और अपने खिलाफ होने वाले जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना सीख गए हैं।

उन्होंने कहा कि वे फेस्टिवल मनाने के लिए इकट्ठे हुए थे। यह रोशनी का त्योहार है, जो अंधेरे को दूर करता है और दुनिया को रोशन बनाने का संदेश देता है।

हीरो अहमद अल अहमद: जान बचाने वाला

निहत्थे भिड़े हमलावर से

सीरियाई मूल के प्रवासी अहमद अल अहमद सिडनी में दुकान चलाते हैं। हमले के वक्त वे बॉन्डी बीच पर मौजूद थे। उन्होंने देखा कि एक हमलावर लोगों पर फायरिंग कर रहा है।

अहमद चुपके से गए और उसे पकड़ लिया। उन्होंने जान की परवाह किए बिना फायरिंग कर रहे आतंकी साजिद अकरम से निहत्थे भिड़कर उसकी बंदूक छीन ली।

घायल अवस्था में अस्पताल में

हमलावर को रोकने की कोशिश में अहमद को गोली लग गई। वे गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।

43 वर्षीय अहमद के परिवार ने बताया कि उनके कंधे में गोलियां लगी हैं और कुछ गोलियां हड्डियों में फंसी हुई हैं। अहमद का परिवार कुछ महीने पहले ही सीरिया से सिडनी शिफ्ट हुआ था।

न्यू साउथ वेल्स प्रीमियर ने की मुलाकात

अहमद अल अहमद अस्पताल में भर्ती हैं, और न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर क्रिस मिन्स उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे। अहमद की बहादुरी की पूरे ऑस्ट्रेलिया में सराहना की जा रही है।

ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षा और भविष्य की चुनौतियां

हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बनीज ने हाईलेवल सिक्योरिटी मीटिंग बुलाई है। सरकार बंदूक लाइसेंस से जुड़े नियमों को सख्त करने पर विचार कर रही है।

इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया में यहूदी समुदाय की सुरक्षा और देश में बढ़ती कट्टरपंथी सोच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस के मुताबिक, 50 साल के साजिद को मौके पर ही मार दिया गया, जबकि नवीद घायल है और उसका इलाज चल रहा है।

न्यू साउथ वेल्स के पुलिस कमिश्नर माल लैन्योन ने कहा कि पुलिस को एक शूटर के बारे में जानकारी थी, लेकिन यह नहीं पता था कि वे हमले की योजना बना रहे हैं।

यह हमला ऑस्ट्रेलिया के शांतिपूर्ण समाज के लिए एक बड़ा झटका है और देश को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।