Sonum Wangchuk NSA Case: वांगचुक NSA मामला: जोधपुर जेल में होगी सुनवाई

एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) पर NSA (National Security Act) मामले की सुनवाई कल जोधपुर (Jodhpur) जेल में होगी, जहां एडवाइजरी बोर्ड (Advisory Board) की टीम उनसे मिलेगी।

Sonum Wangchuk NSA Case

जोधपुर: एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) पर NSA (National Security Act) मामले की सुनवाई जोधपुर (Jodhpur) जेल में होगी, जहां एडवाइजरी बोर्ड (Advisory Board) की टीम उनसे मिलेगी।

जोधपुर जेल में बंद एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक से एडवाइजरी बोर्ड के तीन सदस्य मुलाकात करेंगे।

वांगचुक की हिरासत के खिलाफ उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और एडवाइजरी बोर्ड को एक प्रतिनिधित्व सौंपा था।

इसके बाद एडवाइजरी बोर्ड ने मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।

एडवाइजरी बोर्ड के तीन सदस्य गुरुवार को जोधपुर पहुंचे।

इनमें एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायाधीश एमके हुजूरा एवं सलाहकार मंडल अध्यक्ष जिला जज मनोज परिहार शामिल हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता स्पल जयेश अंगमों भी इस टीम का हिस्सा हैं।

यह टीम शुक्रवार सुबह 10:30 बजे जोधपुर सेंट्रल जेल में ही वांगचुक पर एनएसए के संबंध में सुनवाई करेगी।

एनएसए हिरासत और कानूनी चुनौती

सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था, जिसका देशभर में विरोध हो रहा है।

उनकी हिरासत को कानूनी चुनौती दी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई कर रहा है।

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो इस कानूनी लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं।

वांगचुक की ओर से राज्य, केंद्र सरकार और एडवाइजरी बोर्ड को हिरासत के आधार को चुनौती देने वाला रिप्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।

इस रिप्रेजेंटेशन में प्रक्रियागत खामियों के साथ-साथ वांगचुक के वीडियो के संदर्भ से बाहर, गलत प्रस्तुतीकरण पर आधारित कमजोर और निराधार आरोपों को चुनौती दी गई।

गीतांजलि ने बताया कि इस रिप्रेजेंटेशन में न केवल हिरासत के आधारों को चुनौती दी गई है, बल्कि सरकार द्वारा तय प्रक्रिया में हुई खामियों को भी उजागर किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक के बयानों और वीडियो के संदर्भ से बाहर तोड़-मरोड़कर पेश किए गए तथ्यों को भी निराधार बताया गया है।

क्या है एडवाइजरी बोर्ड?

एडवाइजरी बोर्ड (सलाहकार बोर्ड) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) 1980 के तहत गठित एक विशेष संवैधानिक निकाय है।

यह निरोधात्मक हिरासत (Preventive Detention) के मामलों की समीक्षा करता है।

हिरासत के आदेश का औचित्य इसी बोर्ड के समक्ष परखा जाता है।

जरूरी होने पर व्यक्ति के पक्ष में राहत दी जा सकती है।

एडवाइजरी बोर्ड की संरचना

यह बोर्ड तीन सदस्यों से मिलकर बनता है, जो हाईकोर्ट के पूर्व या मौजूदा न्यायाधीश होते हैं।

इन सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।

यह प्रक्रिया बोर्ड की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है।

एडवाइजरी बोर्ड का कार्य

जब किसी व्यक्ति को NSA के तहत हिरासत में लिया जाता है, तो सरकार को हिरासत के तीन सप्ताह के भीतर एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।

इन दस्तावेजों में हिरासत आदेश के आधार, हिरासत में लिए गए व्यक्ति द्वारा दिया गया प्रतिनिधित्व और जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट शामिल होती है।

बोर्ड को हिरासत की तारीख से सात सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होती है।

बोर्ड की शक्तियां और प्रक्रिया

एडवाइजरी बोर्ड के पास सरकार या किसी भी व्यक्ति से अतिरिक्त जानकारी मांगने का अधिकार है।

यह हिरासत में लिए गए व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर भी देता है।

बोर्ड की कार्यवाही गोपनीय होती है और वकील इसमें भाग नहीं ले सकते।

एडवाइजरी बोर्ड का महत्व

यह बोर्ड संविधान के अनुच्छेद 22(4) के तहत एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सुरक्षा उपाय है।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कार्यपालिका द्वारा निवारक हिरासत की शक्ति का मनमाना उपयोग न हो।

यह बोर्ड व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यदि बोर्ड यह राय देता है कि हिरासत के लिए पर्याप्त कारण नहीं हैं, तो सरकार को उस व्यक्ति को रिहा करना होता है।