Highlights
- अजमेर लोकसभा मध्यावधि चुनाव हुआ तो पायलट ने ही कंधे पर बिठा न सिर्फ रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाया बल्कि जीत तय कर दिल्ली भी भेजा
लेकिन पायलट समर्थक रघु शर्मा से तब से चिढ़े बैठे हैं जबसे रघु शर्मा ने पाला बदल गहलोत केम्प में अपनी जगह बनायी - पायलट की जगह गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने की शुरूआती भूमिका भी तत्कालीन प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे और कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के यहाँ रघु शर्मा ने ही अदा की
- राजस्थान कांग्रेस में पायलट युग की शुरुआत के चर्चे आसमान में हैं। रघु शर्मा भी बदले समीकरणों में अपनी जगह बचाने की जुगत में हैं। ऐसे में सवाल यह कि पायलट एक बार फिर रघु शर्मा पर भरोसा करेंगे या नहीं
Jaipur | राजस्थान में सियासी समीकरण बदल रहे हैं। कांग्रेस में भी और बीजेपी में। जैसे जैसे चुनाव पास आएंगे ,यह सिलसिला और तेज होगा। शनिवार को कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी की अलग अंदाज़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ फोटो वायरल हुई।
19 फरवरी को कांग्रेस के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा की एक तस्वीर वायरल हो गयी। गहलोत के साथ हरीश चौधरी के फोटो वायरल में इतनी बड़ी बात नहीं थी ,जितनी रघु शर्मा की फोटो में मानी जा रही है।
शर्मा -पारीक के बदलते रिश्ते !
रविवार को रघु शर्मा अपने विधान सभा क्षेत्र-केकड़ी के दौरे पर थे। इस दौरान वह मसूदा के विधायक और सेवादल के पूर्व प्रमुख राकेश पारीक के घर मुलाकात करने पहुंचे। कहने को दोनों कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन पारीक का पार्टी में बतौर विधायक उदय शर्मा को कभी रास आया हो,ऐसा नहीं।
यहाँ तक कि जिला प्रशासन में भी रघु शर्मा ने मंत्री रहते हुए पारीक को अपने विधान सभा क्षेत्र तक ही सीमित कर दिया ,जबकि सेवादल के प्रदेश प्रमुख के रूप में उनका प्रभाव क्षेत्र रघु शर्मा से कमतर नहीं रहा।
फोटो वायरल होने के बाद चर्चा दो कारणों से हो रही है। पहला यह कि रघु शर्मा अपना कद इतना बड़ा मानते रहे हैं कि पारीक को वह तवज्जोह देना ही पसंद नहीं करते। दूसरा यह कि कांग्रेस में सचिन पायलट युग की शुरुआत की चर्चाएं एक बार फिर तेज हो गयी है।
राकेश पारीक पायलट के हनुमान माने जाते हैं, लिहाजा कहा जा रहा है कि पायलट को साधने के लिए रघु शर्मा उनके करीबी विधायक राकेश पारीक को साध रहे हैं।
वोट साधने की नयी कवायद
रघु शर्मा की परेशानी यह कि केकड़ी में गुर्जर मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं और अजमेर से सांसद रहे सचिन पायलट का इस वोट बैंक से इतर मतदाताओं में बड़ा प्रभाव भी है। वसुंधरा सरकार के आखिरी साल में अजमेर लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हुआ तो पायलट ने ही कंधे पर बिठा न सिर्फ रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाया बल्कि जीत तय कर दिल्ली भी भेजा।
लेकिन पायलट समर्थक रघु शर्मा से तब से चिढ़े बैठे हैं जबसे रघु शर्मा ने पाला बदल गहलोत केम्प में अपनी जगह बनायी। कहा तो यहाँ तक जाता है कि पायलट की जगह गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने की शुरूआती भूमिका भी तत्कालीन प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे और कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के यहाँ रघु शर्मा ने ही अदा की।
जिसका ईनाम भी उन्हें चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसा मलाईदार महकमा देकर गहलोत द्वारा दिया गया।
पायलट को साधने की जुगत
लेकिन कोविड काल में खरीद के दौरान हुए खुले खेल से मीडिया में बदनामी से नाराज गहलोत ने शर्मा से एकाएक मुँह मोड़ लिया।
रघु शर्मा गुजरात के प्रभारी बनाये गए और एक व्यक्ति एक पद के बहाने शर्मा को मंत्री पद से मुक्त करने की कहानी गढ़ी गयी। यानी गहलोत -शर्मा के रिश्ते एक बार फिर बदलते देखे गए। गुजरात में चुनाव प्रचार और टिकिट वितरण के दौरान दोनों के बीच खिंचाव की चर्चाएं एआईसीसी तक पहुंची सो अलग।
24 से 26 फरवरी को होने वाले एआईसीसी के छत्तीसगढ़ - रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस संगठन में बड़ी सर्जरी की सम्भावना है।
इसी दौरान बड़े बदलावों की चर्चा के बीच राजस्थान कांग्रेस में पायलट युग की शुरुआत के चर्चे भी आसमान में हैं। इन्ही परिस्थितियों के बीच सचिन पायलट के हनुमान कहे जाने वाले विधायक राकेश पारीक के दर पर रघु शर्मा का अचानक पहुँचना इसी वजह से मायने रखता है।
पायलट को साधने की ही गरज से रघु शर्मा के "हरकारे" कहे जाने वाले ब्लॉक प्रमुख हर विज्ञापन में सचिन पायलट की तस्वीर लगाने लगे हैं तो रघु शर्मा भी बदले समीकरणों में अपनी जगह बचाने की जुगत में हैं। ऐसे में सवाल यह कि पायलट एक बार फिर रघु शर्मा पर भरोसा करेंगे या नहीं।
क्या इलाके में सुदामा के नाम से मशहूर सचिन पायलट के हनुमान राकेश पारीक चार साल की अपमानजनक स्थितियों को भूल रघु शर्मा के साथ खड़े होंगे? या फिर ऐसी जुगत बिठाएंगे कि कद खुद का बड़ा हो और लकीर बड़ी खींच जिले में स्थापित हो सकें।