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जिस स्थान पर गुरु जंभेश्वर की समाधि बनी हुई है उस स्थान को “मुकाम” के नाम से जाना जाता है। प्रति वर्ष यहां दो बार फागुन व अश्विन की अमावस्या को मेला भरता है। गुरु जंभेश्वर एक महान संत थे जो 15 वीं शताब्दी में राजस्थान के पीपासर नामक गांव में जन्मे थे। जांभोजी ने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना कर जीव कल्याण व वृक्षों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण व चमत्कारी कार्य किया।
गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई ने एक निजी न्यूज चैनल एबीपी के जगविंदर पटियाल को दिए इंटरव्यू में सलमान खान को मारने की खुली चेतावनी दी है। इसके बाद लॉरेंस विश्नोई दिन-भर ट्विटर ट्रेंड में बना रहा।
एबीपी न्यूज के जगविंदंर पटियाल को दिए इंटरव्यू में लॉरेंस विश्नोई ने कहा कि- सलमान खान ने काले हिरण का शिकार करके विश्नोई समाज की भावनाओं को आहत किया है। समाज के मन में इस घटना से रोष है।
लॉरेंस ने कहा कि विश्नोई समाज गुरु जांभोजी को मानता है। उनके द्वारा समाज को दिए 29 नियमों को पालन करता है। लॉरेंस ने कहा कि बीकानेर के नोखा जिले में हमारे धर्म गुरु जांभोजी का धर्मस्थल है। हमारे गुरु ने हमें पर्यावरण का संरक्षण और जीव हत्या न करने का उपदेश दिया था। ऐसे में सलमान खान ने अब तक समाज से माफी भी नहीं मांगी है।
एबीपी न्यूज को फिर से दिए इंटरव्यू में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने कहा, ''सलमान खान यदि मांग लें तो बात खत्म हो जाएगी। पिछले चार-पांच सालों से सलमान को मारना चाहता हूं। सलमान खान का अहंकार रावण से भी बड़ा है। सिद्धू मूसेवाला भी इसी तरह अहंकारी था।''
बिश्नोई ने आगे कहा, "सलमान खान को माफी मांगनी होगी। उन्हें बीकानेर में हमारे मंदिर जाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए। मेरे जीवन का लक्ष्य सलमान खान को मारना है। अगर उनकी सुरक्षा हटाई गई तो मैं सलमान खान को मार डालूंगा।"
मालूम हो, साल 1998 में सलमान खान ने अपनी फिल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग लोकेशन के पास काले हिरण का शिकार किया था। बिश्नोई समुदाय द्वारा दायर एक मामले में जोधपुर की एक अदालत ने उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई थी।
WATCH | सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता से लॉरेंस बिश्नोई मांगेगा माफ़ी ?
— ABP News (@ABPNews) March 17, 2023
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सिद्धू मूसेवाला की हत्या का खुलासा
वहीं जब लॉरेंस से सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि सिद्धू मूसेवाला को गैंगस्टर गोल्डी बरार ने मरवाया था। वहीं गैंग को चला रहा है।
'अपने भाई की हत्या का बदला लिया'
लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या की वजह बताते हुए कहा कि उसने हमारे भाई विक्की को मरवाया था, जिसकी वजह से उसकी हत्या की गई। लॉरेंस ने कहा कि वह(सिद्धू) अपनी सिंगिंग करने की बजाय हमारी आपस की गड़ाई में गुस रहा था गैंगवार में घुस रहा था। वह नेतागिरी में सिंडिकेट बना रहा था और मेरे खिलाफ गैंग तैयार कर रहा था। उसने हमारे भाई विक्की को मरवाया जिसका हमने बदला लिया।
आइए जानते हैं कौन हैं विश्नोई समाज के गुरु जांभोजी
गुरु जम्भेश्वर जिन्हें जाम्भोजी के नाम से भी जाना जाता है। गुरु जम्भेश्वर ने ही विश्नोई समाज की स्थापना की थी। गुरु जम्भेश्वर ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने और पर्यावरण की रक्षा के महत्व के बारे में उपदेश दिया। "बिश्नोई" शब्द "बिस" और "नोई" शब्दों से बना है, जिसका अर्थ बीस और नौ है। बिश्नोई समुदाय 29 सिद्धांतों का पालन करता है जो गुरु जम्भेश्वर द्वारा निर्धारित किए गए थे।
बिश्नोई समाज के 29 नियम निम्नलिखित है:
तीस दिन तक सूतक रखना।
पाँच दिन तक रजस्वला स्त्री को गृह कार्यों से अलग रखना।
प्रातः काल स्नान करना।
शील, सन्तोष व शुद्धि रखना।
द्विकाल सन्ध्या करना।
सायं को आरती करना।
प्रातः काल हवन करना।
पानी, दूध, ईन्धन को छानबीन कर प्रयोग में लेना।
वाणी शुद्ध व मधुर बोलना।
क्षमा ( सहनशीलता ) रखना।
दया (नम्रता) से रहना।
चोरी नहीं करना।
निन्दा नहीं करना।
झूठ नहीं बोलना।
वाद-विवाद नहीं करना।
अमावस्या का व्रत रखना।
विष्णु का भजन करना।
जीवों पर दया करना।
हरे वृक्ष नहीं काटना।
काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार आदि को वश में रखना।
अपने हाथ से रसोई बनाना।
थाट अमर रखना।
बैल बधिया न करना।
अफीम नहीं खाना
तम्बाकू खाना-पीना नहीं।
भाँग नहीं खाना।
मद्यपान नहीं करना।
मांस नहीं खाना
नीले वस्त्र नहीं पहनना।
बिश्नोई लोग किसकी पूजा करते हैं?
विश्नोई जाति के लोग शमी (खेजड़ी) के वृक्ष की पूजा करते है| शमी वृक्ष को हिन्दू धर्म में बड़ा ही पवित्र माना गया है। भारतीय परंपरा में 'विजयादशमी' पर शमी पूजन का पौराणिक महत्व रहा है। राजस्थान में शमी वृक्ष को 'खेजड़ी' के नाम से जाना जाता है।
महिलाएं अपने बच्चों की तरह जानवरों के बच्चों को दूध पिलाती हैं।
विश्नोई समाज की महिलाएं अपने बच्चों की तरह जानवरों के बच्चों को दूध पिलाती हैं। वे बिल्कुल मां की तरह ही उन्हें पालती हैं।
- कहा जाता है कि राजस्थान में करीब 500 सालों से बिश्नोई समाज के लोग जानवरों को अपने बच्चों की तरह पालते आए हैं।
- बिश्नोई समाज की महिलाएं न सिर्फ जानवरों को पालती हैं, बल्कि अपने बच्चे की तरह उनका देखभाल करती हैं।
- न सिर्फ महिलाएं बल्कि इस समाज के पुरुष भी लावारिस और अनाथ हो चुके हिरण के बच्चों को अपने घरों में परिवार की तरह पालते हैं।
- इस समाज की महिलाएं खुद को हिरण के इन बच्चों की मां कहती हैं।
जम्भेश्वर मेला कहां लगता है?
जिस स्थान पर गुरु जंभेश्वर की समाधि बनी हुई है उस स्थान को “मुकाम” के नाम से जाना जाता है। प्रति वर्ष यहां दो बार फागुन व अश्विन की अमावस्या को मेला भरता है। गुरु जंभेश्वर एक महान संत थे जो 15 वीं शताब्दी में राजस्थान के पीपासर नामक गांव में जन्मे थे। जांभोजी ने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना कर जीव कल्याण व वृक्षों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण व चमत्कारी कार्य किया।
कैसे पहुँचें विश्नोईयों के प्रसिद्द तीर्थ मुकाम धाम, जांभोजी तीर्थस्थल
बीकानेर जिले की नोखा तहसिल के तालवां गाँव में जांभोजी का समाधि स्थल है। गुरु जम्भेश्वर भगवान के पवित्र शरीर का अन्तिम पड़ाव होने से यह तीर्थ ‘मुकाम’ के नाम से विख्यात है। यहां पहुँचने के लिए आप जयपुर से बीकानेर ट्रेन से जा सकते हैं। वहां लोकल स्टेशन भी है नोखा। मेले के दौरान सिरसा से नोखा के लिए स्पेशल ट्रेन की चलाई जाती है। अलग समय में आप बीकानेर से मुकाम धाम पहुँच सकते हैं।
'We are against those who talk about dividing the country. My gang and I are not terrorists. We are nationalists...' Lawrence Bishnoi says#LawrenceBishnoi #SidhuMooseWala #Khalistan pic.twitter.com/PQjUFsY6Yx
— #जयश्रीराधे ???????? (@gayatrigkhurana) March 14, 2023