Operation Sindoor: एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह: पाक के दावे 'मनोहर कहानियां', F-16 सहित 4-5 विमान नष्ट किए

भारतीय वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने पाकिस्तान के दावों को 'मनोहर कहानियां' बताया। उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान के 4-5 लड़ाकू विमान नष्ट हुए, जबकि भारत को हुए नुकसान पर बात करना अनावश्यक है।

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New Delhi | भारतीय वायुसेना के एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के दावों को 'मनोहर कहानियां' करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत को हुए संभावित नुक़सान पर अनावश्यक रूप से बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि दुश्मन को अपने नुकसान का पता लगाने देना चाहिए।

पाकिस्तान के दावों पर वायुसेना प्रमुख का रुख

भारतीय वायुसेना की 93वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने पाकिस्तान के उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने भारत के कई लड़ाकू विमान गिराने की बात कही थी। उन्होंने कहा, "उन्होंने (पाकिस्तान ने) कहा हमने इतने जेट गिराए, आपने कुछ नहीं कहा। मैं अब भी कुछ नहीं बोल रहा हूं और न ही कुछ बोलना चाहूंगा। अगर वे सोचते हैं कि हमारे 15 जेट गिराए हैं, तो उनको सोचने दो।"

सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के नुक़सान पर बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में क्यों बात करनी चाहिए? मैं उसके बारे में आज भी कुछ नहीं बोलूंगा कि क्या हुआ, कितना नुक़सान हुआ। कुछ नहीं बताना चाहिए क्योंकि उनको पता करने दो। हम भी कुरेद-कुरेद के निकाल रहे हैं कि हम क्या कर पाए हैं, तो उनको भी निकालने दो।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या किसी ने भारत के एयरबेस में किसी तरह के नुक़सान की कोई तस्वीर देखी है, जबकि भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान में हुए नुक़सान की कई तस्वीरें सार्वजनिक की हैं। उन्होंने पाकिस्तान के नैरेटिव को "मनोहर कहानियां" कहकर खारिज कर दिया।

पाकिस्तान को हुए नुक़सान का खुलासा

एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान को हुए भारी नुक़सान का भी ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि हवाई हमलों में पाकिस्तान के 4 से 5 लड़ाकू विमान, जिनमें ज़्यादातर एफ़-16 थे, ज़मीन पर ही नष्ट हो गए। यह पहली बार है जब भारत की तरफ़ से 'पाकिस्तान के नष्ट किए गए' लड़ाकू विमानों का मॉडल बताया गया है। इससे पहले, उन्होंने बेंगलुरु में एक लेक्चर के दौरान कम से कम पांच लड़ाकू विमान और एक बड़ा विमान नष्ट होने की बात कही थी, लेकिन उनके मॉडल का ज़िक्र नहीं किया था।

उन्होंने आगे बताया कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया। इन हमलों में कम से कम चार जगहों पर रडार, दो जगहों पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, दो रनवे और तीन अलग-अलग स्टेशनों पर तीन हैंगर को नुक़सान पहुंचाया गया। सिंह ने कहा, "हमारे पास एक सी-130 श्रेणी के विमान और कम से कम 4-5 लड़ाकू विमानों, जो ज़्यादातर एफ-16 थे, के सबूत हैं। उस वक़्त वहां एफ-16 मौजूद थे, जो मरम्मत में थे।"

आधुनिक मिसाइल प्रणालियों का प्रभावी उपयोग

एयर चीफ़ मार्शल ने भारतीय वायुसेना की आधुनिक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) की क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान इन मिसाइलों ने पाकिस्तान को उसकी अपनी सीमा में भी एक निश्चित दूरी तक ऑपरेट करने से रोक दिया। अमर प्रीत सिंह ने कहा, "हमारी लंबी दूरी के एसएएम सिस्टम को हमने हाल ही में ख़रीदा और इस्तेमाल में लाया। इसके कारण हम उनकी सीमा के भीतर काफ़ी दूर तक नज़र रख सके। इससे हम यह सुनिश्चित कर सके कि वे अपनी ही सीमा में भी एक तय दूरी से आगे न बढ़ पाएं। इतिहास में दर्ज होगा कि हमने 300 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी पर मौजूद टारगेट को निशाना बनाया।"

भारत के नुक़सान पर पूर्व के बयान और सरकार का रुख

हालांकि एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने भारत के नुक़सान का सीधे तौर पर ज़िक्र नहीं किया, लेकिन इससे पहले वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने ऑपरेशन के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा विमान खोने की बात स्वीकार की थी। भारत सरकार ने इस पर न तो पुष्टि की है और न ही इनकार किया है।

मई में, भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष के दौरान भारत के लड़ाकू विमान गिराए जाने के सवालों पर जवाब दिया था। जनरल चौहान ने कहा था, "मुझे लगता है कि जो ज़रूरी है वो ये नहीं कि जेट गिराए गए बल्कि ये कि वो क्यों गिराए गए।" हालांकि, उन्होंने विमानों की संख्या के बारे में कोई जवाब नहीं दिया था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से छह विमानों को नुक़सान पहुंचने के दावे को सिरे से ख़ारिज किया था।

जून में, इंडोनेशिया में भारत के डिफ़ेंस अताशे कैप्टन शिव कुमार ने एक सेमिनार में कहा था कि वायुसेना ने 'कुछ विमान' खोए। बाद में, भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर कहा था कि उनके बयान को संदर्भ से हटकर पेश किया गया है और मीडिया रिपोर्ट्स उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश करती हैं।

जुलाई में संसद के मॉनसून सत्र में कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में पूछा था कि क्या भारत के रफ़ाल जेट पाकिस्तान ने मार गिराए थे? इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया था, "उन्हें पूछना चाहिए: क्या भारत ने आतंकी ठिकाने नष्ट किए? हां। क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? हां। क्या उन आतंकियों के आकाओं को ख़त्म किया गया जिन्होंने हमारी बहनों के माथे से सिंदूर मिटाया था? हां। क्या हमारे सैनिकों को कोई नुकसान हुआ? नहीं। बड़ी बातों पर ध्यान दीजिए, छोटी बातों पर नहीं - वरना हम बड़ी बातों और अपने सैनिकों के सम्मान से ध्यान हटा देंगे।"

संयुक्त राष्ट्र में भारत और पाकिस्तान आमने-सामने

सितंबर के अंत में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिली थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि पाकिस्तान ने अपनी पूर्वी सीमा पर दुश्मन के उकसावे का जवाब दिया और भारत को पहलगाम हमले की निष्पक्ष जांच की पेशकश की थी। उन्होंने भारत पर पहलगाम की घटना का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि "हमने भारत के साथ युद्ध जीत लिया है, अब हम शांति चाहते हैं और पाकिस्तान सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ व्यापक और कारगर वार्ता करने के लिए तैयार है।"

इसके जवाब में, भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने 'राइट टू रिप्लाई' का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि 'अगर तबाह रनवे, जले हैंगर जीत है तो पाकिस्तान आनंद ले सकता है।' गहलोत ने यह भी याद दिलाया कि 'यही पाकिस्तान था जिसने ओसामा बिन लादेन को एक दशक तक छिपाए रखा।'

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले और आतंकवाद का ज़िक्र किया था। उन्होंने पूरे भाषण में एक बार भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन अपने बयानों से लगातार उसकी तरफ़ इशारा करते रहे। जयशंकर ने कहा था, "दशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों का पता उसी देश तक जाता है और संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची ऐसे ही नागरिकों से भरी हुई है।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार इस्तेमाल किया और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।