Rajasthan: अजमेर: वकीलों ने PWD अधिकारी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, फिर हुआ समझौता

अजमेर (Ajmer) में वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में PWD अधिकारी को पीटा। यह घटना जिला न्यायालय (District Court) के बाहर स्पीड ब्रेकर की मांग पर हुई। PWD कर्मचारियों ने विरोध किया, पर बाद में समझौता हो गया।

अजमेर: वकीलों ने PWD अधिकारी को पीटा

अजमेर: अजमेर (Ajmer) में वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में PWD अधिकारी को पीटा। यह घटना जिला न्यायालय (District Court) के बाहर स्पीड ब्रेकर की मांग पर हुई। PWD कर्मचारियों ने विरोध किया, पर बाद में समझौता हो गया।

अजमेर में वकीलों और पीडब्ल्यूडी अधिकारी के बीच हुई यह घटना जयपुर रोड पर जिला न्यायालय के बाहर घटित हुई। वकीलों ने अपनी मांगों को लेकर सड़क को दोनों तरफ से जाम कर दिया था, जिससे यातायात बाधित हो गया।

यह प्रदर्शन स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग को लेकर किया जा रहा था, जो कि सड़क सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया जा रहा था। इस दौरान पुलिस बल और पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद थे, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

मामले को सुलझाने और वकीलों से बातचीत करने के लिए पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी को विशेष रूप से बुलाया गया था। उनकी उपस्थिति का उद्देश्य गतिरोध को समाप्त करना था।

वकीलों ने पीडब्ल्यूडी अधिकारी को पीटा

बातचीत के दौरान माहौल अचानक बिगड़ गया और कई वकील अत्यधिक आक्रोशित हो गए। उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अधिकारी पर हमला कर दिया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।

अधिकारी को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, जो पुलिस की मौजूदगी में हुई एक चौंकाने वाली घटना थी। पुलिसकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और अधिकारी को बचाने का प्रयास किया।

पुलिस ने किसी तरह पीडब्ल्यूडी अधिकारी को वकीलों के बीच से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस घटना के बाद अधिकारियों ने वकीलों को आश्वासन दिया, जिसके बाद करीब ढाई घंटे बाद कोर्ट के बाहर लगा जाम खोल दिया गया।

पुलिस की मौजूदगी में हुई घटना

यह घटना सार्वजनिक रूप से और पुलिस की प्रत्यक्ष मौजूदगी में हुई, जिसने इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया। इस मारपीट के बाद पीडब्ल्यूडी के सभी अधिकारी और कर्मचारियों में भारी रोष और असुरक्षा की भावना देखी गई।

स्पीड ब्रेकर की मांग को लेकर प्रदर्शन

अजमेर जिला बार एसोसिएशन के सचिव रूपेंद्र परिहार ने इस प्रदर्शन के पीछे की वजह बताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला न्यायालय का एक नया भवन बनकर तैयार हो गया है और इसमें नियमित रूप से न्यायिक कार्य भी शुरू हो चुका है।

हालांकि, अधिवक्ताओं के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नए भवन में न होने के कारण उन्हें रोजाना पुराने भवन से नए भवन की ओर आना-जाना पड़ता है। इसके अलावा, हजारों की संख्या में पीड़ित और पक्षकार भी प्रतिदिन कोर्ट पहुंचते हैं।

नए कोर्ट भवन के पास सुरक्षा की चिंता

नए भवन तक पहुंचने के लिए इन सभी लोगों को व्यस्त जयपुर रोड को पार करना पड़ता है। यह सड़क एक हाईवे है, जिस पर वाहनों की तेज रफ्तार के कारण कई वकीलों और पक्षकारों को भारी परेशानी और खतरे का सामना करना पड़ता है।

रूपेंद्र परिहार ने बताया कि अतीत में भी कई वकील और पक्षकार इस रोड को क्रॉस करते वक्त घायल हो चुके हैं। कई बार गंभीर टक्करें भी हो चुकी हैं, जिससे लोगों की जान को खतरा बना रहता है।

प्रदर्शन के दिन भी एक वकील के ऊपर गाड़ी चढ़ गई थी, जिसने वकीलों के गुस्से को और भड़का दिया। इसी घटना के विरोध में अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र ओझा के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने यह प्रदर्शन किया।

अधिवक्ताओं ने नए कोर्ट भवन के बाहर दोनों तरफ से रास्ते को पूरी तरह जाम कर दिया था। सचिव रूपेंद्र परिहार ने जानकारी दी कि करीब 2 घंटे के भीतर स्पीड ब्रेकर बनाकर देने का आश्वासन प्रशासन द्वारा दिया गया, जिसके बाद रास्ते को यातायात के लिए खोल दिया गया।

पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

वकीलों द्वारा पीडब्ल्यूडी अधिकारी से की गई इस मारपीट की घटना के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग में भारी आक्रोश फैल गया। विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार एकजुट होकर लामबंद हो गए।

उन्होंने एकजुटता दिखाते हुए एक विरोध रैली निकाली और सीधे जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट चेंबर के बाहर सभी ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इस धरने में एक गर्भवती महिला अधिकारी भी शामिल थीं, जो अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए आवाज उठा रही थीं। उनके साथ कुछ अन्य महिला अधिकारी भी अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी थीं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

कार्य बहिष्कार की चेतावनी

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों ने स्पष्ट मांग की कि मारपीट करने वाले वकीलों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अगले दिन से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे।

यह घटना सरकारी कर्मचारियों के बीच अपनी सुरक्षा, सम्मान और कार्यस्थल पर गरिमा को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गई थी। उन्होंने जिला कलेक्टर लोकबंधु से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और न्याय सुनिश्चित करने की मांग की।

मामले में दो विरोधाभासी बयान

पीडब्ल्यूडी अधिकारी से मारपीट के इस संवेदनशील मामले में दो बिल्कुल अलग-अलग बयान सामने आए, जिससे पूरे प्रकरण में एक नया मोड़ आ गया। इन विरोधाभासी बयानों ने घटना की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए।

बार एसोसिएशन का खंडन

जिला बार एसोसिएशन के सचिव ने पीडब्ल्यूडी अधिकारी से मारपीट के आरोपों का पूरी तरह खंडन किया। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि किसी भी वकील द्वारा अधिकारी पर हाथ नहीं उठाया गया है और यह आरोप निराधार हैं।

सचिव ने अपनी बात रखते हुए बताया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारी द्वारा बार अध्यक्ष के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था। जब पुलिस के अधिकारी उस अधिकारी को वहां से ले जाने लगे, तो ऐसा लगा कि उसके साथ मारपीट की जा रही है, लेकिन वास्तव में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी।

घायल अधिकारी का आरोप

दूसरी ओर, इस घटना में कथित रूप से घायल हुए पीडब्ल्यूडी अधिकारी विपिन जिंदल ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि नई कोर्ट बिल्डिंग के बाहर स्पीड ब्रेकर बनाने का काम होना था, लेकिन किसी अपरिहार्य कारणवश उस दिन काम नहीं हो पाया था। इसकी सूचना भी पहले ही दे दी गई थी।

विपिन जिंदल ने आगे बताया कि जब वे वकीलों से बातचीत करने के लिए मौके पर पहुंचे, तो उनके साथ बदतमीजी की गई। जब उन्होंने वकीलों से तमीज से बात करने को कहा, तो सभी अधिवक्ताओं द्वारा उन पर एक साथ हाथ उठाया गया और मारपीट की गई।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक सरकारी अधिकारी, विशेष रूप से एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पर इस तरह हाथापाई करना किसी भी नियम या कानून के तहत सही नहीं है। विपिन जिंदल ने बताया कि पुलिस ने उन्हें वकीलों के बीच से बचाकर सुरक्षित बाहर निकाला और वे इस मामले में औपचारिक शिकायत दर्ज कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।

प्रशासन की मध्यस्थता से समझौता

पीडब्ल्यूडी अधिकारी के साथ हुई मारपीट और उसके बाद कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के गंभीर होते मामले को देखते हुए जिला प्रशासन ने तत्काल हस्तक्षेप किया। जिला कलेक्टर लोकबंधु की पहल पर स्थिति को शांत करने और समाधान निकालने के लिए कदम उठाए गए।

कलेक्ट्रेट सभागार में एक महत्वपूर्ण वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों, कर्मचारियों के प्रतिनिधि और जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र ओझा के बीच गहन चर्चा हुई।

सौहार्दपूर्ण समाधान की दिशा में कदम

एडीएम सिटी नरेंद्र मीणा ने इस वार्ता के परिणामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अधिवक्ताओं द्वारा स्पीड ब्रेकर की मांग को लेकर रोड जाम किया गया था और एक्सईएन विपिन जिंदल के साथ घटना हुई थी।

प्रशासन ने दोनों पक्षों को धैर्यपूर्वक सुना और उनकी चिंताओं को समझा। लंबे समय तक चली इस सौहार्दपूर्ण वार्ता के बाद, आखिरकार दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी है, जिससे गतिरोध समाप्त हो गया।

पीड़ित अधिकारी विपिन जिंदल ने भी इस समझौते पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ उनकी बातचीत बहुत ही सौहार्दपूर्ण रही है और भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाएँ न हों, इसे लेकर खेद व्यक्त किया गया है।

जिंदल ने पुष्टि की कि इस पूरे मामले में सहमति बन चुकी है, जिससे यह विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ गया है और सभी पक्ष अपने-अपने काम पर लौट सकेंगे।