यूजीपीएफ का 'सर्वें भवन्तु सुखिनः' सेमिनार: बीकानेर में यूजीपीएफ का राष्ट्रीय सम्मेलन: भारतीय मूल्यों से ईएसजी का संगम
बीकानेर (Bikaner) में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (United Global Peace Foundation) का राष्ट्रीय सेमिनार 'एचआर-सीएसआर ओन सर्वे भवन्तु सुखिनः' भारतीय मूल्यों को ईएसजी (ESG) फ्रेमवर्क से जोड़ने की पहल है। यूजीपीएफ ने एक वर्ष में सैकड़ों युवाओं को ₹4 करोड़ से अधिक की सामाजिक सहायता दी है। यह सम्मेलन 11-12 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी निवास पैलेस (Laxmi Niwas Palace) में होगा।
बीकानेर: बीकानेर में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (United Global Peace Foundation) का राष्ट्रीय सेमिनार 'एचआर-सीएसआर on सर्वे भवन्तु सुखिनः' भारतीय मूल्यों को ईएसजी (ESG) फ्रेमवर्क से जोड़ने की पहल है। यूजीपीएफ ने एक वर्ष में सैकड़ों युवाओं को ₹4 करोड़ से अधिक की सामाजिक सहायता दी है। यह सम्मेलन 11-12 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी निवास पैलेस (Laxmi Niwas Palace) में होगा।
यूजीपीएफ का एक वर्षीय सफर और उपलब्धियाँ
फाउंडेशन के निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि यूजीपीएफ का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, सेवा, संस्कृति और पर्यावरण के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना है।
उन्होंने गर्व से बताया कि फाउंडेशन ने अपने पहले ही वर्ष में देशभर में कई उल्लेखनीय सामाजिक कार्य किए हैं और विभिन्न क्षेत्रों में गहरा प्रभाव डाला है।
यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (यूजीपीएफ) ने अपने स्थापना के एक वर्ष के भीतर ही समाज के विभिन्न वर्गों, विशेषकर युवाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यूजीपीएफ ने विभिन्न योजनाओं, छात्रवृत्तियों और सेवा परियोजनाओं के माध्यम से समाज के पिछड़े वर्गों को 4 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान की है।
युवा सशक्तिकरण और शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में, फाउंडेशन ने 350 से अधिक मेधावी विद्यार्थियों को आईएएस और आरएएस की कोचिंग के लिए गोद लिया है।
जयपुर और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में इन बच्चों को शिक्षा और छात्रावास की पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शक्ति सिंह बांदीकुई ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान के हर बेटे-बेटी को शिक्षा और रोजगार से जोड़ना उनका लक्ष्य है।
उन्होंने आगे कहा कि वे सिर्फ मदद नहीं कर रहे, बल्कि एक संस्कारशील और सशक्त समाज की नींव रख रहे हैं।
कौशल विकास और आत्मनिर्भरता
रोजगार परक प्रशिक्षण के तहत, 100 युवाओं को स्किल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत होटल इंडस्ट्री में रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया गया है।
"हाथ का हुनर" जैसी पहल को बढ़ावा देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण और सतत जीवनशैली
जयपुर के झाबड़ गांव में "धुन प्रोजेक्ट" के तहत 800 बीघा भूमि पर जीवनशैली परिवर्तन की एक अनूठी पहल की गई है।
इस परियोजना के अंतर्गत 3.5 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं और वर्षा जल संग्रहण तथा सतत जीवनशैली को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट को कतर फाउंडेशन और किंग चार्ल्स फाउंडेशन जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी सराहना और सहयोग मिला है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान
फाउंडेशन के पास देशभर में 660 से अधिक स्वयंसेवकों की एक सक्रिय टीम है, जो हर योजना को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यूजीपीएफ ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सांस्कृतिक प्रस्तुति भी की है, जिसमें जैसलमेर में भव्य लॉन्चिंग, ऑरलैंडो (अमेरिका) में राणा फैमिली कन्वेंशन, उज्जैन में 24 देशों के साथ ग्लोबल लॉन्च और लंदन की ब्रिटिश संसद में "लंदन डिक्लरेशन" शामिल हैं।
अजमेर में 40 लाख रुपये की छात्रवृत्ति योजना और दिल्ली व जयपुर में महिला सशक्तिकरण एवं पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं।
राष्ट्रीय सम्मेलन की विस्तृत रूपरेखा
प्रधान सलाहकार यूजीपीएफ, डॉ. विक्रांत सिंह तोमर ने सम्मेलन की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह आयोजन केवल एचआर और सीएसआर से जुड़ी तकनीकी चर्चाओं तक सीमित नहीं रहेगा।
उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन ईएसजी मूल्यों को भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ते हुए समग्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
केंद्रीय विषय: "सर्वे भवन्तु सुखिनः"
भारतीय दर्शन का यह पवित्र मंत्र, जो सभी प्राणियों के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता है, इस सम्मेलन का केंद्रीय आधार है।
पहले दिन का कार्यक्रम (11 अक्टूबर 2025)
कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र और स्वागत भाषण होगा।
पर्यावरणीय सामंजस्य पर 10 मॉडल प्रस्तुतियाँ और विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे।
सामाजिक कल्याण ढांचा पर समता, सह-अस्तित्व और करुणा पर आधारित विचारों की प्रस्तुति होगी।
नैतिक शासन प्रणाली के तहत पारदर्शी और उत्तरदायी शासन के लिए विशेषज्ञ विचार और ओपन डिस्कशन होगा।
दूसरे दिन का कार्यक्रम (12 अक्टूबर 2025)
दूसरे दिन सेवा विषय पर प्रस्तुति, चर्चा और वोटिंग का आयोजन किया जाएगा।
सुशासन पर एक ओपन डिबेट भी होगी।
सम्मेलन का समापन एक विस्तृत रिपोर्ट और प्रस्तुति के साथ होगा।
प्रमुख अतिथिगण और वक्ता
इस सम्मेलन में पद्मश्री श्रीमती निवेदिता भिड़े, जो विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष हैं, शामिल होंगी।
पद्मश्री डॉ. अगुस इन्द्र उदयाना, जो गांधी आश्रम, पुरी (इंडोनेशिया) के संस्थापक हैं, भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
भारत सरकार के एचआरसीबीसी सदस्य डॉ. आर. बालासुब्रहमण्यम भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे।
मध्य प्रदेश पुलिस के एडीजी श्री राजा बाबू सिंह, आईपीएस भी महत्वपूर्ण वक्ता होंगे।
आईआईएम बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता और कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक (मानव संसाधन) डॉ. विनय रंजन भी उपस्थित रहेंगे।
आईआईसीए, नई दिल्ली के महानिदेशक व सीईओ श्री ग्यानेश्वर कुमार सिंह भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
इनके अतिरिक्त, देशभर से लगभग 40 प्रमुख बुद्धिजीवी, नीति विशेषज्ञ, कॉर्पोरेट प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस ऐतिहासिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत
फाउंडेशन के चेयरमैन श्री मेघराज सिंह रॉयल के नेतृत्व में यूजीपीएफ का यह सम्मेलन भारतीयता की उस महान सोच को सशक्त कर रहा है जो "वसुधैव कुटुम्बकम्" का संदेश देती है।
जब पर्यावरण, सामाजिक भागीदारी और गवर्नेंस जैसे वैश्विक फ्रेमवर्क को भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाता है, तब उसका स्वरूप केवल कॉर्पोरेट नीति नहीं, बल्कि मानव कल्याण की आधारशिला बन जाता है।
यूजीपीएफ केवल कार्य ही नहीं कर रहा है, बल्कि शिक्षा, सेवा, संस्कृति और सतत विकास का एक व्यापक आंदोलन खड़ा कर रहा है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः" अब केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि यह यूजीपीएफ की नीति और नीयत का अभिन्न हिस्सा बन गया है।